West Bengal Panchayat Elections: त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के मद्देनज़र पश्चिम बंगाल में बढ़ेगा खूनखराबे का दौर, मामले पर चढ़ा सियासी रंग

न्यूज डेस्क (राजकुमार): West Bengal Panchayat Elections: अगले महीने होने वाले त्रिस्तरीय पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी और कई अन्य घायल हो गये। माना जा रहा है कि सूबे में हिंसा और आगजनी का बड़ा दौर देखा जा सकता है। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल पुलिस (West Bengal Police) ने कहा कि कोलकाता (Kolkata) से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण 24 परगना जिले के भांगोर में दो लोगों की मौत हो गयी, जबकि राज्य के उत्तरी हिस्से में सिलीगुड़ी (Siliguri) से करीब 50 किलोमीटर दूर उत्तर दिनाजपुर जिले (North Dinajpur District) के चोपड़ा में बदमाशों ने एक अन्य युवक की गोली मारकर हत्या कर दी।

राज्य के कई हिस्सों से झड़पों की कई वारदातों की जानकारी लगातार सामने आ रही है, इसके चलते पुलिस को बिगाड़ते हालातों पर काबू कर पाना मुश्किल होता जा रहा है। मामले को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा ने इन घटनाओं पर बयान देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।

हिंसा ने विपक्ष के बीच राजनीतिक गतिरोध पैदा कर दिया। इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamta Banerjee) ने विपक्ष पर हिंसा को अंजाम देकर राज्य को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने हिंसा की वारदातों में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का किसी भी तरह का जुड़ाव होने से इंकार कर दिया। माना जा रहा है कि टीएमसी (TMC) ने अपने सदस्यों को सभी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने की मंजूर देने का निर्देश दिया है। मामले को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि, “करीब 74,000 बूथों पर सिर्फ इस तरह की दो या तीन ही वारदातें हुई है। हमारी पार्टी के कार्यकर्ता उन घटनाओं में शामिल नहीं हैं।”

उन्होनें ये इशारा करते हुए कहा कि- “पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा कोई नई बात नहीं है। साल 2003 के दौरान इसी तरह के हालात बने थे, जब वाम शासन के दौरान 36 लोग मारे गए थे। ग्रामीण चुनाव इतने स्थानीय हैं कि एक ही परिवार के तीन या चार सदस्य भी चुनाव लड़ रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि, “विपक्षी दल नामांकन दाखिल करने के दौरान हिंसा करके गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वो ऐसा राज्य की छवि को खराब करने के लिये कर रहे हैं। अगर वो (विपक्ष) सोचते हैं कि वे एकतरफा हिंसा करेंगे, तो उन लोगों का करारा जवाब दिया जायेगा”

बनर्जी ने सूबे में साल 2013 के पंचायत चुनावों का भी जिक्र किया, जब चुनाव केंद्रीय बलों की देखरेख में हुआ था, लेकिन सुरक्षा बलों की मौजूदगी हाने के बावजूद खूनखराबा नहीं रूका था, उस दौरान 49 लोग मारे गये थे। भांगोर में चल रही हिंसा के बारे में बात करते हुए, बनर्जी ने पार्टी का नाम लिये बिना इसके लिए भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा (आईएसएफ) को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि, “पिछले दो दिनों से एक राजनीतिक दल जो कि लोगों का ध्रुवीकरण करने के लिये धर्म का इस्तेमाल करता है, ने भांगोर में आतंक का राज कायम किया है, उन्होनें हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमला किया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की।”

बता दे कि लगभग 5.67 करोड़ के मतदाता वाले राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के लिये होने जा रहा है, जिसमें लगभग 75,000 सीटों पर प्रतिनिधियों को चुनने के लिए पश्चिम बंगाल के वोटर मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

बुधवार (14 जून 2023) तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, टीएमसी जो कि पहले कुछ दिनों में नामांकन दाखिल करने में विपक्ष के पीछे थी, ने लगभग 50,000 सीटों पर अपना नामांकन दाखिल किया, जबकि भाजपा ने लगभग 46,000 सीटों पर नामांकन किया, और माकपा ने 38,000 और कांग्रेस ने 11,000 सीटों को कवर किया। माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम (CPI(M) State Secretary Mohammad Salim) ने कहा कि चोपड़ा में वाम मोर्चे और कांग्रेस के उम्मीदवारों पर उस वक्त हमला किया, जब वो और उनके समर्थक नामांकन दाखिल करने जा रहे थे।

सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती (Senior Leader Sujan Chakraborty) ने कहा कि, “टीएमसी ने एसईसी और राज्य पुलिस से समर्थन से आतंक का शासन शुरू किया। लोकतंत्र में ये शर्मनाक है।” दूसरी ओर ISF ने भी राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिये कोई सम्मान नहीं होने के लिये TMC के खिलाफ मोर्चा खोला।

इसी मुद्दे पर आईएसएफ नेता और भांगोर के विधायक नौशाद सिद्दीकी (Naushad Siddiqui) ने कहा कि, “नामांकन दाखिल करने की शुरुआत के बाद से ही टीएमसी के गुंडों ने हमारे उम्मीदवारों को नामांकन केंद्रों तक पहुंचने से रोकने के लिये मारपीट और धमकी का सहारा लिया है।”

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य (Samik Bhattacharya) ने कहा कि, “एसईसी टीएमसी के फ्रंटल संगठन की तरह काम कर रहा है। टीएमसी इस पंचायत चुनाव को 2018 की तरह ही तमाशा बनाना चाहती है।”

बता दे कि साल 2018 के ग्रामीण चुनावों में TMC ने राज्य की 90 फीसदी पंचायत सीटों और सभी 22 जिला परिषदों पर जीत हासिल की थी। ये चुनाव व्यापक हिंसा और अनाचार से असर में सम्पन्न हुए थे, विपक्ष ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्य भर में कई सीटों पर नामांकन दाखिल करने से रोका गया था। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhary) ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग अपना वोट तभी डाल सकते हैं जब केंद्रीय बल सूबे में तैनात हों।

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