UCC In India: इस वज़ह से देश में अहम होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड, भाजपा के कोर एजेंड़े में है समान नागरिक संहिता

न्यूज डेस्क (ओंकारनाथ द्विवेदी): UCC In India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार (27 जून 2023) को पूरे देश में समान नागरिक संहिता (UCC- Uniform Civil Code) की वकालत की। उन्होंने कहा कि एक देश को कई कानूनों के साथ चलाना अव्यावहारिक है और उन्होंने संविधान में निहित समान अधिकार प्रदान करने की आवश्यकताओं को दोहराया।

लेकिन यूसीसी क्या है और इसे लाना क्यों जरूरी है? संविधान कहता है कि किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, रंग या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर एक ही अपराध दो अलग-अलग समुदायों के अपराधियों की ओर से किया जाता है तो दोनों को समान सजा मिलेगी।

आईपीसी की धारा 494 के मुताबिक, कोई भी पुरुष या महिला अपनी पत्नी या पति को तलाक दिये बिना दोबारा शादी नहीं कर सकता। अगर वो ऐसा करता है तो उसे सात साल की सजा हो सकती है, लेकिन ये धारा मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) पर लागू नहीं होती क्योंकि मुसलमानों पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) के मुताबिक उन्हें 4 शादियां करने का अधिकार है।

जिन समुदायों के पास अपने व्यक्तिगत कानून हैं वो समान नागरिक संहिता का विरोध करते रहते हैं। उनका मानना है कि समान नागरिक संहिता उनके धार्मिक मामलों में सीधा दखल देन के बराबर माना जायेगा। माना जा रहा है कि इसके आने के बाद भारतीय महिलाओं की स्थिति में सुधार आयेगा। कुछ समुदायों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। यूसीसी लागू होने के बाद शादी, पैतृक संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मुद्दों पर एक जैसे नियम लागू होंगे।

यूसीसी को लेकर भले ही देश में सियासी घमासान मचा हो, लेकिन देश में एक राज्य ऐसा भी है जहां 154 साल पहले से समान नागरिक संहिता लागू है। ये गोवा (Goa) है, गोवा में पुर्तगाली शासन (Portuguese Rule) के दौरान 1869 से ही यूसीसी लागू है। साल 1961 में गोवा के भारत में विलय के साथ ही यूसीसी को भी लागू रखा गया। इसी वजह से गोवा में UCC के तहत बने नियम लागू होते हैं, जैसे वहां एक से ज्यादा शादी करना कानूनी जुर्म है।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More