मुंबई के बांद्रा में अचानक इतने लोगों के इकट्ठा होने के पीछे अफवाह या साज़िश ?

मुंबई (अमित त्यागी): कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में इसकी घोषणा की। महाराष्ट्र सरकार ने तो पीएम मोदी से भी पहले ऐलान कर दिया था कि राज्य में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा लेकिन बावजूद इसके, मंगलवार को अचानक मुंबई के बांद्रा स्टेशन के पास हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। उन सब लोगों का कहना था कि वे प्रवासी मज़दूर हैं और अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन सवाल ये है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि इतने सारे लोग एक साथ इस तरह एक ही जगह पर जमा हो गए ? और पीएम मोदी द्वारा लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान करने के ठीक बाद ही ऐसा क्यों हुआ ? इसके पीछे कोई तेज़ी से फैली अफवाह थी या कोई बड़ी साज़िश ? ये बड़ा सवाल है।

सवाल कई हैं और उनके जवाब ढूंढने के लिए कुछ तथ्यों पर ग़ौर करना ज़रूरी है। सबसे पहले तो जान लेते हैं कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस सम्बन्ध में क्या कहा। सीएम ठाकरे ने कहा कि “बांद्रा स्टेशन के पास जो हुआ वो गलत था। ट्रेन का रिज़र्वेशन शुरू किया था इसलिए कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई होगी, जिसकी वजह से लोग यहां जमा हो गए लेकिन मैं सभी को कहना चाहता हूं कि जो जहां है वहीं रहे। सभी को मज़दूरों की चिंता है, महाराष्ट्र में सभी के खाने पीने की व्यवस्था की गई है”

महाराष्ट्र सरकार को क्या लगता है ?

सीएम उद्धव ठाकरे ने लोगों के इस जमघट के पीछे अफवाह की आशंका जताई और कहा जा सकता है कि उद्धव ठाकरे ने उस अफवाह के लिए अप्रत्यक्ष रूप से रेलवे को ज़िम्मेदार बताया क्योंकि रेलवे ने रिज़र्वेशन चालू रखे थे। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने भी कहा कि “ट्रेन शुरू होने का एक मैसेज सर्कुलेट होने के बाद मज़दूर बांद्रा स्टेशन पर जमा हुए”। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि “अफवाह किसने फैलाई, ये पता लगाने के लिए जांच बिठा दी गई है”। कुल मिलाकर देखें तो ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र सरकार ये मानकर चल रही है कि बांद्रा में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के पीछे अफवाहें ही थीं और उन अफवाहों का आधार रेलवे की गलती थी।

रेलवे पर निशाना

बता दें कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार लॉॅकडाउन का ऐलान किया था तो रेलवे ने 14 अप्रैल तक सभी ट्रेनें रद्द कर दी थीं और इस अवधि की सभी टिकटें भी कैंसिल कर दी थीं। साथ ही 14 अप्रैल तक की यात्रा के लिए बुकिंग भी बंद कर दी गई थी लेकिन 15 अप्रैल को या उसके बाद के दिनों के लिए टिकट बुक किए जा सकते थे। ख़बरों के मुताबिक, रेलवे ने 15 अप्रैल से 3 मई के बीच चलने वाली ट्रेनों के लिए लगभग 39 लाख टिकट बुक किए। कई नेताओं, बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों का कहना है कि जब तमाम एक्सपर्ट लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने पर ज़ोर दे रहे थे, एक के बाद एक राज्य लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर रहा था, प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कॉॅन्फ्रेंसिंग के ज़रिये हुई मीटिंग में भी मुख्यमंत्रियों ने एक सुर में लॉकडाउन बढ़ाने की सिफारिश की थी, तो रेलवे ने टिकटों की एडवांस बुकिंग क्यों जारी रखी ? अगर ये उम्मीद भी थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, तब भी ऐहतियातन यात्रियों को ये सूचित क्यों नहीं किया गया कि 15 अप्रैल से ट्रेनों का चलना इसपर निर्भर करता है कि 14 अप्रैल को सरकार लॉकडाउन पर क्या फैसला करती है ? इसी तरह के कई सवाल रेलवे पर उठाए जा रहे हैं।

कई सवालों के जवाब तलाशने की ज़रूरत

अगर ये मान भी लिया जाए कि रेलवे टिकट बुकिंग जारी रखने के कारण, फैली अफवाह के चलते ही लोग बांद्रा वेस्ट रेलवे स्टेशन पर जमा हुए, तो भी कई सवाल हैं जिनके जवाब तलाशने की ज़रूरत है। मसलन, रेलवे जो टिकट बुक कर रहा था, वे 15 अप्रैल या उसके बाद के दिनों में यात्रा करने के लिए होते लेकिन बांद्रा में लोग 14 अप्रैल को ही जुट गए, जबकि 14 अप्रैल को सभी ट्रेनें रद्द थीं और इसकी घोषणा भी काफी पहले हो चुकी थी। ऐसे में 14 अप्रैल को भीड़ इकट्ठा होने का क्या औचित्य था ?

हज़ारों लोगों की भीड़ बांद्रा वेस्ट स्टेशन पर जमा हुई और कहा जा रहा है कि उस भीड़ में शामिल लोग दूसरे राज्यों में स्थित अपने घरों को जाने के लिए आए थे लेकिन सवाल ये है कि अगर वाकई ये लोग मुंबई से बाहर जाना चाहते थे तो बांद्रा वेस्ट स्टेशन पर ही क्यों आए ? क्योंकि वहां से तो किसी भी अन्य राज्य के लिए कोई ट्रेन जाती ही नहीं है। इसके लिए लोगों को बांद्रा ईस्ट स्टेशन जाना चाहिए था जहां से बाहर की ट्रेन चलती हैं। जबकि जिस वक्त बांद्रा वेस्ट स्टेशन पर हंगामा हो रहा था, उस वक्त बांद्रा ईस्ट स्टेशन खाली पड़ा था, वहां कोई नहीं गया।

बाकी स्टेशनों पर क्यों नहीं जुटी भीड़ ?

अगर वास्तव में ये अफवाह फैली थी कि ट्रेन सर्विस शुरू हो रही है और लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है तो केवल एक ही स्टेशन पर ही भीड़ क्यों जुटी ? बाकी स्टेशनों पर भी लोगों को पहुंचना चाहिए था। अगर किसी को ट्रेन के ज़रिए मुंबई से बाहर जाना है तो बांद्रा ईस्ट स्टेशन के अलावा सीएसएमटी, दादर, एलएलटी मुंबई सेंट्रल, बांद्रा टर्मिनल या बोरिवली से भी ट्रेनें मिलती हैं। अगर लोग वास्तव में मुंबई से बाहर जाना चाहते थे तो इन स्टेशनों पर भी भीड़ जुटनी चाहिए थी लेकिन इनमें से किसी भी स्टेशन पर भीड़ जुटने की कोई ख़बर सामने नहीं आई।

क्या वाकई वो प्रवासी मज़दूर थे ?

बताया जा रहा है कि बांद्रा वेस्ट स्टेशन पर जुटी भीड़ प्रवासी मजदूरों की थी, जो दूसरे राज्यों में अपने घर जाना चाहते थे। कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं। लोगों का तर्क है कि अगर वे लोग वाकई अपने घरों को जाना चाहते थे तो उनमें से किसी के पास भी कोई सामान क्यों नहीं था ? सवाल ये भी है कि उनमें से किसी के साथ भी उनका परिवार (बीवी—बच्चे, मां—बाप) क्यों नहीं थे ? इसके अलावा कुुछ लोगों का सवाल है कि क्या केवल पुरूष मज़दूर ही अपने घर जाना चाहते थे, महिला मज़दूर नहीं ? और यदि महिला मज़दूर भी अपने घर जाना चाहती थीं तो वे उस भीड़ में शामिल क्यों नहीं थीं ? गौरतलब है कि जब पहली बार लॉकडाउन का ऐलान हुआ था तो देश के तमाम हिस्सों से मज़दूरों के पलायन की तस्वीरें सामने आई थीं। उस वक्त उन मज़दूरों के साथ उनका परिवार, सामान और महिलाएं भी थीं लेकिन बांद्रा में जो कुछ भी हुआ उसकी तस्वीरों में ये सब नदारद था।

इन सब बातों पर गंभीरता से विचार किया जाए तो कहा जा सकता है कि बांद्रा में जुटी भीड़ किसी साज़िश का हिस्सा भी हो सकती है। ऐसा ज़रूरी भी नहीं है कि यह आशंका सच ही साबित हो लेकिन फिर भी, इस नज़रिये से भी इसकी जांच होनी चाहिए ताकि तमाम तरह की आशंकाओं और अफवाहों पर विराम लग सके।

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