Mahagauri Puja: नवरात्रि के आठवें दिन यूं करे माँ महागौरी की आराधना

नई दिल्ली (यथार्थ गोस्वामी): दुर्गा पूजा (Durga Puja) के आठवें दिन माँ के स्वरूप को महागौरी (Mahagauri) रूप में पूजा जाता है। मां की चार भुजाएं हैं। वे एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं, दूसरे हाथ की अभय मुद्रा से साधकों का भय दूर होता है। तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है जिसकी डमडम से समस्त ब्रह्मांड में माँ की कीर्ति गूंजती है और चौथा हाथ वर मुद्रा में उपासकों की मनवांछित कामनायें पूरी करता है। सिंह और वृषभ दोनों ही माँ के वाहन है। माँ का वर्ण गौर और कांतिमय है। माँ के गौर वर्ण के कारण उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। स्वयं देव और ऋषियों-मुनियों ने ये कहकर माँ की आराधना की है।

सर्वमंगल मांगल्यै, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

पूर्व जन्म में पार्वती के रूप में माँ ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की थी। तप के प्रभाव से माँ का शरीर मलिन पड़ने लगा था। भगवान आशुतोष इनकी तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुए थे। जिसके उन्होनें गंगाजल से माँ के शरीर को धोया जिसके बाद माँ की आभा आलौकिक रूप से दैदीप्यमान हो उठी थी। जिसके बाद माँ को महागौरी नाम से जाना गया। माँ की उपासना से कन्याओं को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही समस्त बाधाओं का उन्मूलन हो जाता है। महागौरी के स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी आदि नामों से भी जाना जाता है।

माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा विधि

माँ महागौरी का पूजन-विधान बेहद सरल है। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में माँ महागौरी की मूर्ति अथवा विग्रह स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र की स्थापना करें। दाहिने हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान कर इन मंत्रों का जाप करे ॐ ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै और ॐ महागौरी देव्यै नम:। इसके बाद पुष्पों को माँ के चरणों में अर्पित कर दे। पूजन में चमेली व केसर का फूल मां के श्रीचरणों में अर्पित करने का विशेष विधान है। यंत्र सहित मां भगवती का पूजन पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करे। दूध से निर्मित नैवेद्य का भोग माँ को लगाये। कन्या पूजन करने से पहले इस मंत्र का जाप कर माँ का भौतिक जगत में आवाह्न करे सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥ पूजन उपरान्त आरती और भजन से पूजन विधान को सम्पूर्ण करे। सक्षम साधक 11 माला इन मंत्रों का भी जाप कर सकते है। माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना। श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।। और ओम देवी महागौर्यै नमः। इससे माँ शीघ्र ही प्रसन्न होकर कृपावर्षा करती है।

माँ महागौरी का स्रोत पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माँ महागौरी का ध्यान करने के लिए जाप मंत्र

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

माँ महागौरी कवच

ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो।

क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥

ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।

कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥

या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More