Joshimath: इन पांच बड़ी वजहों से लगातार धंस रहा है उत्तराखंड का जोशीमठ

न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): उत्तराखंड के पवित्र शहर जोशीमठ (Holy City Joshimath) में संकट अब सरकार की पुष्टि के साथ तेज हो रहा है कि शहर असल में धंस रहा है, जिससे शहर में रहने वाले हजारों लोगों का विस्थापन हो रहा है। परिवारों को अब सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, जबकि केंद्र सरकार (Central Government) इस संकट को ठीक करने की कोशिश कर रही है।

जोशीमठ में विशेषज्ञ सर्वेक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने घरों की दीवारों और फर्श पर बड़ी दरारें पायी, साथ ही सड़कों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की नींव में भी गहरी दरारें पायी गयी। अब लोग इस संकट के लिये जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और ढांचागत परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के निदेशक कालाचंद सेन (Director Kalachand Sen) ने जोशीमठ के धंसने/डूबने के संकट के पीछे के अहम वजहों का खुलासा किया। मामले पर कालाचंद सेन ने कहा कि- “तीन अहम वजहों से जोशीमठ की कमजोर नींव हैं क्योंकि ये जगह एक सदी से भी ज्यादा समय पहले भूकंप से पैदा हुए भूस्खलन के मलबे पर विकसित हुई थी, ये इलाका भूकंपीय क्षेत्र V में आता, जिसकी वजह से धरती की भार थामने की क्षमता बेहद कम है। इसके अलावा धीरे-धीरे होता कटाव और पानी का रिसाव जो समय के साथ चट्टानों की ताकत को बेहद कम कर देता है।”

इन पांच वजहों से धंस रहा है जोशीमठ

• जोशीमठ की सतह लगातार अस्थिरता का सामना क्यों कर रही है?, इसका एक बड़ा कारण एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना है। तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत संयंत्र (Tapovan Vishnugarh Hydroelectric Plant) 520 मेगावाट की रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत परियोजना है, जिसके कारण जोशीमठ की जमीन और नदी अस्त-व्यस्त हो गयी है।

• विशेषज्ञों के मुताबिक जोशीमठ में पर्यटन और निर्माण गतिविधियां इस शहर के डूबने की अहम वजह हैं। शहर में हर साल लाखों लोग आते हैं, यही वजह है कि भूस्खलन की आशंका वाले इलाके को लगातार अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।

• जोशीमठ में बढ़ती आबादी और पर्यटन ने बहुत सारे विकास को जन्म दिया है जैसे कि रेस्तरां और होटलों की तादाद में बेतहाशा इजाफा, जो कि आगे चलकर विकासात्मक परियोजनाओं और निर्माण गतिविधियों की ओर ले जाती है।

• जोशीमठ पहले से ही भूस्खलन और भूकंप इलाका है, जिसका मतलब है कि शहर का ज्यादातर हिस्सा भूस्खलन के मलबे पर बना हुआ है, जिससे चिकनी और क्षत-विक्षत चट्टानें और सतह पर ढीली मिट्टी की पर्त बनती है।

• कई विशेषज्ञों का कहना है कि जोशीमठ भूकंपीय क्षेत्र V में आता है, जो कि भूकंप को लेकर ज्यादा संवेदनशील है, इसके अलावा धीरे-धीरे मिट्टी का कटाव और पानी का रिसाव होता है, जो कि वक्त के साथ चट्टानों की वजन थामने की ताकत को कम कर देता है।

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