Tomato Price Hike: आसमान छूती कीमतों के बीच मोदी सरकार खरीदेगी टमाटर, 20 दिनों में आयेगी दामों में गिरावट

बिजनेस डेस्क (राजकुमार): Tomato Price Hike:  देश भर में टमाटर की कीमतों में तेज उछाल के बीच मोदी सरकार ने अपनी एजेंसियों NAFED और NCCF को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र (Karnataka and Maharashtra) जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों से टमाटर की तुरंत खरीद करने का निर्देश दिया। टमाटर की कीमतों में आयी तेजी पूरे देश में दर्ज की गयी है, इससे देश का कोई राज्य अछूता नहीं है। देश भर के प्रमुख शहरों में टमाटर की कीमतें बढ़कर 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गयी।

एक बार खरीद लेने के बाद इन्हें प्रमुख उपभोग केंद्रों में एक साथ वितरण के लिये भेजा जाएगा, जहां पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में आसमानी उछाल दर्ज किया गया है। बता दे कि जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर के अक्सर टमाटर का उत्पादन मौसमी हालातों की वज़ह से कम होता है। इसी मामले आज (12 जुलाई 2023) खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस हफ्ते शुक्रवार तक टमाटर का स्टॉक खुदरा दुकानों के जरिये दिल्ली एनसीआर में आम लोगों को रियायती कीमतों पर बेचा जायेगा। (टमाटर की) बिक्री के लिये टारगेट सेंटरो की पहचान पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में हुए इज़ाफे के बाद कर ली गयी है। जहां मौजूदा कीमतें अखिल भारतीय औसत से ऊपर हैं।

देश में टमाटर का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में होता है, हालाँकि उत्पादित होने वाली मात्रा अलग-अलग होती है। टमाटर का ज्यादातर उत्पादन देश के दक्षिणी और पश्चिमी इलाकों में होता है, जो कि कुल उत्पादन में 56-58 का योगदान देता है। इन इलाकों में सरप्लस उत्पादन होता है, साथ ही यहीं से उत्पादन मौसम के आधार पर अन्य बाजारों को आपूर्ति होती हैं। कई इलाकों में उत्पादन सीज़न भी अलग-अलग होते हैं। कटाई का मौसम ज्यादातर दिसंबर से फरवरी के बीच होता है।

रोपाई और कटाई के मौसमी चक्रों और क्षेत्रों में भिन्नता मुख्य रूप से टमाटर की कीमत की मौसमी स्थिति के लिये जिम्मेदार है। आमतौर पर मूल्य मौसमी के अलावा अस्थायी सप्लाई चैन में रूकावट और प्रतिकूल मौसम की स्थिति जैसी वज़हों से फसल खराब होती है और अक्सर कीमतों में एकाएक इज़ाफा हो जाता है। सरकार ने कीमतों में उछाल के लिये मानसून के मौसम को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इससे वितरण संबंधी चुनौतियां और काफी बढ़ गईं है। खास बात ये भी है कि टमाटर की शेल्फ लाइफ काफी कम होती है, इस वज़ह से ढुलाई और सप्लाई के दौरान 5 से 10 फीसदी नुकसान का होना तय होता है।

मौजूदा हालातों में गुजरात, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के बाजारों में सप्लाई ज्यादातर महाराष्ट्र खासतौर से सतारा, नारायणगांव और नासिक (Nashik) से होती है, जो कि इस महीने के अंत तक रहने की उम्मीद है।

आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले (चित्तूर) में भी टमाटर की ठीकठाक अवाक जारी है। दिल्ली एनसीआर में आवक मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश से होती है और कुछ मात्रा कर्नाटक के कोलार से आती है। नासिक जिले से जल्द ही नई फसल की आवक होने की उम्मीद है। इसके अलावा अगस्त में नारायणगांव और औरंगाबाद (Narayangaon and Aurangabad) बेल्ट से अतिरिक्त आपूर्ति आने की भी उम्मीद है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से भी टमाटरों के आवक शुरू होने की उम्मीद है। खाद्य मंत्रालय ने उम्मीद जतायी है कि करीब 20 दिनों में टमाटर के दामों में गिरावट आनी शुरू हो जायेगी।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत मूल्य निगरानी प्रभाग की ओर से बनाये गये डेटाबेस के मुताबिक जून की शुरुआत में खुदरा बाजारों में इस महीने प्रति किलोग्राम टमाटर औसतन 60-100 रुपये तक बढ़ गया। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में टमाटर की कीमतें जून की शुरुआत में 20 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर पिछले सप्ताह 110 रुपये हो गयी।

ठीक इसी तरह तीन प्रमुख उपभोक्ता इलाकों चेन्नई, अहमदाबाद और कोलकाता (Ahmedabad and Kolkata) में टमाटर की कीमतें बढ़कर 117 रुपये, 100 रुपये और 148 रुपये हो गयी। आंकड़ों से पता चलता है कि टमाटर की दरें थोक बाजारों में उनकी कीमतों में इज़ाफे के तहत थीं, जो कि जून में औसतन काफी बढ़ीं।

टमाटर की बढ़ती कीमतों के साथ उम्मीद है कि जून के लिये देश की खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े, जो कि बाद में जारी होंगे, में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

देश में खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 4.25 प्रतिशत पर आ गयी थी, जो कि दो साल का सबसे निचला स्तर है। अप्रैल में ये 4.7 फीसदी और मार्च में 5.7 फीसदी थी। साल 2022 के मध्य से आरबीआई (RBI) की लगातार मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को सख्त करने को देश की मुद्रास्फीति संख्या में पर्याप्त गिरावट के लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) लगातार तीन तिमाहियों तक आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य 6 फीसदी से ऊपर थी और नवंबर 2022 में ही आरबीआई के कम्फर्ट जोन में ये वापस आने में कामयाब रही थी।

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