अतीत में भी Congress के लिये सिरदर्द रहे है, झारखंड के तीनों निलंबित विधायक

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में बीते शनिवार (30 जुलाई 2022) को कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी के साथ पकड़े जाने के बाद निलंबित किये गये कांग्रेस (Congress) के तीनों विधायकों-इरफ़ान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल कोंगारी ने पार्टी को मुश्किलों में डाल दिया है।

साल 2021 में तीनों ने कांग्रेस के बरही विधायक उमा शंकर अकेला (MLA Uma Shankar) के साथ नई दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की कैबिनेट में अपनी ही पार्टी के चार मंत्रियों के खिलाफ शिकायत की। इस साल अप्रैल में तीनों ने एक अलग बैठक की और कांग्रेस के मंत्रियों की आलोचना करते हुए सार्वजनिक बयान दिये, आलमगीर आलम (Alamgir Alam) ने पार्टी के उन निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि वो अपनी चिंतायें उचित मंचों पर साझा करें। ये इकलौता मौका था जब खिजरी विधायक राजेश कच्छप (Rajesh Kachhap) ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, नहीं तो उन्हें लो प्रोफाइल ही रखा गया था।

अंसारी जिनके बयानों ने झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) में अक्सर झामुमो, कांग्रेस और राजद (JMM, Congress and RJD) की सत्तारूढ़ सरकार को सांसत में डाला है, ने भी हाल ही में उस समय वक़्त विवाद खड़ा कर दिया, जब उन्होंने संथाल परगना (Santhal Pargana) के कई स्कूलों के उस फैसले का समर्थन किया, जिसमें स्कूलों ने अपनी एकतरफा साप्ताहिक छुट्टियों के लिये शुक्रवार का दिन चुना था।

अंसारी ने इस साल मई में अपने पिता फुरकान अंसारी (Furqan Ansari) के लिये राज्यसभा चुनाव टिकट की मांग के लिये कांग्रेस विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की थी। उन्होंने कहा था, “अगर फुरकान जी को संसद नहीं भेजा गया तो कांग्रेस अल्पसंख्यक वोट बैंक खो देगी।”

कोलेबिरा (Kolebira) विधानसभा क्षेत्र से दो बार के विधायक कोंगारी ने अंसारी और उमा शंकर अकेला के साथ कई बोर्डों और नगर निकायों में नियुक्तियां करने में सक्रिय भूमिका नहीं निभाने के लिये झामुमो की खुलकर आलोचना की थी। पिछले साल जुलाई में कोंगारी ने दावा किया कि उन्हें कांग्रेस छोड़ने और कई अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ एक स्वतंत्र संगठन बनाने के लिये कम से कम छह बार मोटी रकम की पेशकश की गयी, जिससे कि सूबे में सोरेन सरकार गिरायी जा सके।

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