बड़ी कंपनियों की राह हुई आसान, RBI ने बैकिंग के लिए खोले दरवाज़े

नई दिल्ली (शौर्य यादव): केन्द्रीय बैंक (RBI) देशभर की बैकिंग प्रणाली की काफी बारीकी से पड़ताल कर रहा है। जिसके चलते आने वाले दिनों में बैकिंग व्यवस्था में कई बड़े फेरबदलाव देखने को मिल सकते है। जिसका असर कार्पोरेट दिग्गज़ो से लेकर, आम जनता तक पड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसी क्रम में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की समिति में एक सिफारिश पेश की है। जिसके लागू होने पर देश भर की बड़ी औद्योगिक दिग्गज कंपनियां बैकिंग सेक्टर में अपनी धमक दिखा सकती है। इस सिफारिश के तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (Non banking financial companies) नियम लागू होने के बाद से बतौर बैंक का काम कर सकेगीं। इस साथ ही समिति ने मौजूदा नियमों के तहत बैंकों में प्रवर्तकों (Promoters of banks) की हिस्सेदारी की सीमा को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने की भी बात कही।

इन सिफारिशों को लागू करने से पहले आरबीआई को केन्द्र सरकार से कई स्तरों पर गहन विचार-विर्मश करना होगा। जिसमें बड़े पैमाने पर बैंकिंग एक्ट में कई संशोधन भी करने होगें। समिति की इन अनुशंसाओं के लागू होने के बाद भारतीय बैकिंग प्रणाली में व्यापक और बड़े स्तर के बदलाव होगें। जिनका सीधा असर अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर भी पड़ सकता है। ये खुलासा आंतरिक कार्य दल ने किया। जिसका गठन जून महीने के दौरान बैकिंग इक्विटी होल्डिंग (Banking equity holding) में हुए बदलावों का मूल्याकंन करने के लिए किया गया था।

आंतरिक कार्य दल (Internal task force) की सार्वजनिक हुई रिपोर्ट के मुताबिक बड़े कार्पोरेट दिग्गज या कारोबारी घराने, जिनकी मिल्कियत 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। यदि वो बतौर एनबीएफसी 10 सालों तक पर कारोबार चलाये तो वे खुद को बैंकों में बदल सकेगें। सभी गैर-प्रवर्तक स्टेक होल्डर्स (Non-promoter stake holders) के लिए शेयर होल्डिंग की मियाद 15 फीसदी हो। कार्पोरेट दिग्गजों या कारोबारी घरानों को बैकों में बदलने के लिए 1949 के बैकिंग कानूनों में जरूरी फेरबदलाव किये जाये। मौजूदा एनबीएफसी कंपनियां जिन्हें संचालित होते 15 साल बीत गये हो, उनमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 26 फीसदी कर दी जाये।

प्रस्तावित सिफाऱिशों के मुताबिक छह साल कामकाज करने के बाद स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंकों (Small Finance Bank and Payment Banks) को बैकों में बदल दिया जाये। साथ ही बैंकिंग लाइसेंस हासिल करने के लिए कंपनियों की पूंजी आधार सीमा को 5,00 करोड़ से बढ़ा कर 1,000 करोड़ रुपये करने की अनुशंसा की गयी है। इन सिफारिश और सुझावों को भविष्य की भारतीय बैकिंग व्यवस्था से जोड़कर देखा जा रहा है। जिसका खाका आंतरिक कार्य दल की रिपोर्ट में दिया गया है। अब वो दिन दूर नहीं जब एलएंडटी फाइनेंस, इंडिया बुल्स और बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों के बैंक होगें।

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