Dollar के मुकाबले रूपया पहुँचा अपने सबसे निचले स्तर पर, पार हुआ 80 का आंकड़ा

बिजनेस डेस्क (राजकुमार): अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) में मजबूती को देखते हुए भारतीय रूपया आज (29 अगस्त 2022) शुरुआती कारोबार में 80 अंक को तोड़कर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.11 पर पहुंच गया। सुबह 10.43 बजे रूपया अपनी शुरुआती गिरावट को कवर करते हुए 80.020 पर कारोबार कर रहा था। बीते शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को ये 79.87 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ था।

बता दे कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने की लड़ाई दूर के भविष्य में जारी रहने की उम्मीद है और दरों में बढ़ोतरी से रूपये और अन्य उभरती बाजार मुद्राओं पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। अमेरिकी डॉलर लगभग सभी देशों की रिजर्व करेंसी होने की वज़ह से ये अन्य करेंसियों के लिये नुकसानदेह है, खासतौर से वित्तीय बाजारों में तेज अस्थिरता के हालातों में क्योंकि ये खुद से जुड़ी दूसरी करेंसियों को कमजोर करता है।

जुलाई के दरमियान भी रूपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 से नीचे फिसल गया, क्योंकि कड़ी वैश्विक आपूर्ति के बीच कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने अमेरिकी डॉलर की मांग को बढ़ावा दिया।

मामले पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) कहा कि केंद्रीय बैंक (Central Bank) बढ़ती मुद्रास्फीति के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा। जिसका अनिवार्य रूप से ब्याज दरों में और बढ़ोतरी है, के बाद अमेरिकी डॉलर में आज तेजी आयी।

पॉवेल ने जैक्सन होल व्योमिंग (Jackson Hall Wyoming) में केंद्रीय बैंकिंग सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में कहा कि, मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने से पहले अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कुछ वक़्त के लिये सख्त मौद्रिक नीति की दरकार होगी। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) का फोकस अभी महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य पर वापस लाने पर है।

पॉवेल ने सम्मेलन में कहा कि, “मुद्रास्फीति को कम करने की लागतें दुर्भाग्यपूर्ण हैं। लेकिन मूल्य स्थिरता को बहाल करने में नाकाम रहने का मतलब कहीं अधिक दर्दनाक होगा।”

चार दशक से ज़्यादा की उच्च मुद्रास्फीति की पृष्ठभूमि में यूएस फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (US Federal Open Market Committee) ने जुलाई के आखिर में अपनी प्रमुख नीतिगत ब्याज दर को 75 आधार अंकों से बढ़ाकर 2.25-2.50 फीसदी कर दिया, ये अनुमान लगाते हुए कि ब्याज दरों में इज़ाफा करना ठीक होगा।

ब्याज दरों में बढ़ोतरी आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को धीमा करती है, जिससे मुद्रास्फीति दर पर ब्रेक लग जाता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति और नकारात्मक विकास के साथ कठिन दौर से गुजर रही है।

इस बीच भारतीय शेयरों में आज सुबह तेजी से गिरावट आयी, वैश्विक बेंचमार्क से लाल निशानों के कई संकेतों को देखा गया। कुछ शुरूआती कारोबारी नुकसानों को पार करते हुए सेंसेक्स और निफ्टी (Sensex and Nifty) बीते कारोबारी हफ़्ते के आखिर दिन शुक्रवार के बंद होने से पहले लगभग 1.5 फीसदी नीचे कारोबार कर रहे थे।

अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और यूएस फेड की मौद्रिक नीति के रूख में नरमी के दबाव से सोमवार (29 अगस्त 2022) को घरेलू सर्राफा बाज़ार (Domestic Bullion Market) में सोना भी कमजोर रहा।

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