PMC: बेहद घिनौनी और स्याह है प्राइवेट मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर की दुनिया

वैगनर ग्रुप (Wagner Group) दुनिया भर में जाना माना प्राइवेट मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर (PMC) है, इसने हाल ही में तब सुर्खियां बटोरी जब इसके ज़वानों ने रूस के लिए बखमुत पर कब्जा कर लिया। साल 2014 में क्रीमिया (Crimea) के रूसी कब्जे के साथ बना वैगनर ग्रुप चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) के दौरान ताकत के रूप में उभरने से पहले कई सालों तक गुमनामी के अंधेरे छाया में रहा। आज दुनिया भर के जंगी मैदान सौ से ज्यादा बड़े और छोटे पीएमसी काम कर रहे हैं। कुछ पीएमसी अमेरिका, ब्रिटेन और रूस (Britain and Russia) जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की ओर से समर्थित हैं जबकि कुछ अफ्रीका मुल्कों के पीएमसी तीसरी दुनिया की सरकारों के साथ काम कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर इन पीएमसी पर मानवाधिकारों के उल्लंघन, नरसंहार, भ्रष्टाचार, गलत सैन्य प्रथाओं और लोगों को मानव ढाल बनाकर इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है, लेकिन इन पर फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है क्योंकि ये असल में निजी मिलिशिया (Private Militia) हैं जो किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। ये निजी सेना घातक हैं, और काले रहस्यों से भरी हुई हैं, ये किसी देश की रेगुलर आर्मी का हिस्सा नहीं हैं, और ये दुनिया भर में खतरनाक काम कर रहे हैं।

पीएमसी की दुनिया नई नहीं है। साल 1965 में दूसरे विश्वयुद्ध के लगभग दो दशक बाद ब्रिटिश स्पेशल एयर सर्विस (SAS-British Special Air Service) के दो दिग्गज लेफ्टिनेंट कर्नल डेविड स्टर्लिंग और लेफ्टिनेंट कर्नल जॉन वुडहाउस (Lieutenant Colonel David Stirling and Lieutenant Colonel John Woodhouse) ने वॉचगार्ड इंटरनेशनल के नाम से अपनी PMC कंपनी खड़ी की, हालांकि शुरूआती मकसद लड़ाकों को ट्रेनिंग देना था। साथ ही सेनाओं की सहायता करना, हाथियों के दांत की तस्करी के खिलाफ शिकारियों से लड़ना, कंपनी जल्द हथियारों की आपूर्ति, तख्तापलट में सहायता, प्रशिक्षण, और मिलिशिया को हथियारों से लैस करने और जंगी मैदान में लड़ने के लिये प्रशिक्षित सैनिकों की सप्लाई करना इस मुख्य काम था, तब से लेकर आज तक इन निजी सेनाओं की दुनिया कई गुना बढ़ गयी है।

दुनिया के सबसे बदनाम पीएमसी में से एक ब्लैकवाटर या अकादमी या कॉन्स्टेलिस है, जिसे अब ट्रिपल कैनोपी नाम की एक दूसरी फर्म के साथ मिला दिया गया है। ब्लैकवाटर (Blackwater) अमेरिकी सरकार के सबसे बड़े ठेकेदारों में से एक रहा है और इसने अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, लीबिया, बोस्निया और दुनिया भर के अन्य जंगी इलाकों में यूएस लिये काम किया है। शायद दुनिया में सबसे अच्छी तरह से हथियारबंद प्रशिक्षित सैनिक, खुद के सैन्य विमान, टैंक, तोपखाना और यूएवी समेत कई एडवांस जंगी मशीनें इन्हीं लोगों के पास है। ये फर्म इराक में निसोर स्क्वायर नरसंहार (Nisor Square Massacre) समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामलों के लिये भी जिम्मेदार है। दिलचस्प बात ये है कि मानवाधिकारों उल्लंघन की ऐसी कवायदों के लिये इन्हें कोई सजा मुकर्रर नहीं की गयी, इसके पीछे सीधी और साफ वज़ह ये रही कि इन्हें अमेरिकी सरकार की सरपरस्ती हासिल थी। यानि कि कुल मिलाकर अमेरिकी सरकार की मदद से ये किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से बचते रहे है। हालाँकि मानवाधिकार संगठनों का दबाव ज्यादा पड़ने पर इन पर मुकदमा चलाया गया और अमेरिका वापस लौटने के बाद कुछ जंगी सिपहसालारों (Warlords) को जेल में डाल दिया गया। बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण बाद में उनके अपने ही राष्ट्रपति ने उन्हें माफ़ कर दिया। उल्लंघन के कई अन्य दूसरे मामले भी सामने आये हैं जहां इस फर्म ने पीड़ित परिवारों को कुछ पैसे मुआवजे के तौर पर देकर कई मामलों को रफा-दफा कर दिया।

रूस का वैगनर पीएमसी मुमकिन तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा पीएमसी है, जिसमें 60,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं। इतना ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इन लोगों की धमक और कारनामों की परछाईं साफ देखी जा सकती है। ये सीरिया, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य (CAR), मेडागास्कर, वेनेजुएला, लीबिया, मोजाम्बिक, माली, बेलारूस, बुर्किना फासो, चाड, मोल्दोवा और सर्बिया (Moldova And Serbia) में काम कर रहे हैं, साथ ही इन्होनें अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia and Azerbaijan) के बीच नार्गोनों-काराबाख (Nargonon-Karabakh) की जंग में खुलकर हिस्सा लिया।

ब्लैकवाटर की तरह वैगनर ग्रुप पर भी अपने कब्जे वाले इलाकों में घोर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप है। इसके अलावा ये लोग यूक्रेन में तोप के चारे के तौर पर इस्तेमाल होने के लिये जेलों से कैदियों की भर्ती करने के लिये कुख्यात हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की ओर से स्वीकृत नहीं होने के बावजूद वैगनर पीएमसी ने बढ़ना जारी रखा है और खुद को दुनिया भर में खतरनाक ढंग से फैलाया है।

इनके अलावा कई अन्य पीएमसी भी थे जो वैश्विक स्तर पर काम कर रहे हैं। इनमें यूनाइटेड किंगडम के G4S और एजिस डिफेंस, अमेरिकन डायनकॉर्प, पेरूवियन डिफाइन इंटरनेशनल और लगभग दो दर्जन चीनी पीएमसी मुख्य रूप से अपनी बेल्ट एंड रोड पहल की सुरक्षा के लिये तैनात हैं। इनकी दुनिया बहुत तेजी से बढ़ रही है और इनका वैश्विक बाजार जो कि 2020 में लगभग $224bn था, अब बढ़कर $300bn से ज्यादा हो गया है और अगले छह सालों में इसके $500bn को पार करने की उम्मीद है। ये आंकड़े संगठित पीएमसी के हैं, अगर हम असंगठित क्षेत्र को भी गिनें तो ये आंकड़े 2-3 गुना हो जाते है।

अमेरिका और रूस जैसी वैश्विक ताकतें इन निजी जंगी मुहफिज़ों पर निर्भर क्यों हैं? ज़वाब आसान है, ये सस्ते हैं, ये विश्वसनीय हैं, और किसी को इनके काले कामों के लिये जवाबदेह नहीं होना पड़ता। ये सरकार के लिये हर तरह के गंदे काम करने को तैयार हैं और अपना मुनाफा कमाने के लिये ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। विश्व स्तर पर बड़ी तादाद में सैनिक कम उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं, और वो अच्छी खासी तनख्वाहों और सालाना कॉन्ट्रैक्ट के लिए आसानी से इन पीएमसी में शामिल हो जाते हैं। इन पीएमसी का पेशकश आसाना है, यानि कि आप एक संविदा सैनिक हैं। जब तक तुम जीते हो और लड़ते हो तब तक तुम्हें अच्छा पैसा मिलता है, लेकिन मरने पर तुम्हें कुछ नहीं मिलने वाला।

रेगुलर ऑर्मी के ठीक उलट ये गुट विदेशी नागरिकों, अपराधियों, कैदियों, या यहां तक कि आतंकवादियों को अपने रैंकों और कैडरों में भर्ती करने के लिये पूरी तरह आज़ाद हैं। इसके अलावा अगर हम नियमित सशस्त्र बलों के साथ इनकी तुलना करते हैं तो इन पीएमसी को राजनयिक संबंधों पर निर्भरता के बिना पूरी दुनिया में तेजी से तैनात किया जा सकता है। चूंकि, ये दूसरे मुल्कों में किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से आसानी से बच निकलते है। इस तरह की निजी सेना में भ्रष्टाचार और बदसलूकी भी काफी फैली रहती है, चूंकि इनका संचालन का क्षेत्र उस देश के अलावा कोई अन्य देश में है जिसने इन्हें काम पर रखा है, इसलिए ये लोग नियमित अनुबंध कानूनों के अंतर्गत भी नहीं आते हैं।

खास बात ये है कि संयुक्त राष्ट्र मर्सेनरी कन्वेंशन (United Nations Mercenary Convention) साल 1989 में शुरू हुआ और ये 2001 में लागू हुआ, किसी भी जंगी इलाके में भाड़े के सैनिकों की भर्ती, प्रशिक्षण, इस्तेमाल और फाइनेसिंग पर ये पूरी तरह से प्रतिबंध लगाता है, लेकिन बदकिस्मती से संयुक्त राज्य अमेरिका समेत यूनाइटेड किंगडम, रूस या चीन जैसी दुनिया की किसी भी शीर्ष सैन्य ताकतों ने इस पर हस्ताक्षर या पुष्टि नहीं की है। निजी सुरक्षा प्रदाताओं के लिए ये अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र मर्सेनरी कन्वेंशन की तरह ज्यादातर शीर्ष पीएमसी इसमें शामिल नहीं हुए हैं और चूंकि ये गैर सरकारी निकाय है, इसलिये कोई भी ऐसा करने के लिये बाध्य नहीं है।

जैसे-जैसे विश्व स्तर पर हथियारबंद संघर्षों की तादाद बढ़ रही है, निजी सैन्य ठेकेदारों की अंधेरी दुनिया भी बढ़ रही है। ये लोग बेहतर सुसज्जित, प्रशिक्षित, घातक और अनियमित सुरक्षा बल बन रहे हैं जो कि दुनिया में भारी तबाही मचा सकता है। हैरतअंगेज तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे जम्हूरियत वाले मुल्क इस रवायत की रहनुमाई कर रहे है, ये मुल्क पीएमसी को पालने पोसने के लिये सीधे जिम्मेदार हैं, जबकि दुनिया इनसे खौफजदा है।

सह-संस्थापक संपादक : राम अजोर

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