पकड़ गया Pakistan का सफेद झूठ, अब खुद ही कबूल रहा Dawood Ibrahim की मौजूदगी

नई दिल्ली (शौर्य यादव): भारत के मोस्ट वॉन्टेड भगोड़े Dawood Ibrahim को लेकर Pakistan अब फंसता नज़र आ रहा है। इस्लामाबाद में बैठे हुक्मरानों का दोहरा रवैया अब उन्हें ही भारी पड़ने वाला है। जिसका सीधा असर पाकिस्तान की FATF लिस्टिंग पर पड़ेगा। अब तक इस्लामाबाद यूएन और दिल्ली (Islamabad UN and Delhi) के सामने दाऊद इब्राहिम की मौजूदगी अपनी सरजमीं पर कबूलने से बचता रहा है। लेकिन अब उसके दोमुँहे बयान उसे ही भारी पड़ने वाले है। हाल ही में भारतीय मीडिया ने दाऊद की रिहाईश कराची में क्लिफ्टन इलाके के व्हाइट हाउस में (Dawood’s house at White House in Clifton area in Karachi)  होने की पुष्टि की थी। जिसे पाकिस्तानी सरकार ने नकार दिया था।

https://twitter.com/RadioPakistan/status/1297367104451215360

अब रेडियो पाकिस्तान ने अपनी ही सरकार की झूठ का खुलासा दुनिया के सामने रख दिया है। जिससे दाऊद की पाकिस्तान में मौजूदगी का पुख्ता सबूत अब सामने आ गया है। रेडियो पाकिस्तान (Radio pakistan) ने लिखा कि- पाकिस्तान विदेश मंत्रालय (Pakistan Foreign Ministry) भारतीय के दावों को पूरी तरह खारिज करता है। जिसमें कुछ सूचीबद्ध लोगों के पाकिस्तान में होने की बात कही गयी थी। लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र को सौंपे गये एसआरओ (SROs assigned to United Nations) में दाऊद इब्राहिम का नाम खासतौर से शामिल है। साल 2015 में जारी किये गये एसआरओ में दाऊद की जानकारी 43 वें पेज पर है और साथ ही साल 2020 की ताजा एसआरओ लिस्टिंग में दाऊद की सभी जानकारियां 48 वें पेज पर है। दिलचस्प बात ये है कि, ये डोजियर खुद पाकिस्तानी सरकार ने तय किया (Pakistani government decided the dossier itself) है। जिसमें दाऊद इब्राहिम से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात शामिल है। बावजजूद इसके पाकिस्तान दाऊद को लेकर अब तक लगातार झूठ बोलता आ रहा है।

Pakistans white lie caught now confessing itself to Dawood Ibrahims presence 0001

हाफिज सईद, मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम (Hafiz Saeed, Masood Azhar and Dawood Ibrahim) सहित मुल्ला फजलुल्ला, जकीउर रहमान लखवी, मुहम्मद यह्या मुजाहिद, अब्दुल हकीम मुराद, नूर वली महसूद, फजल रहीम शाह, जलालुद्दीन हक्कानी, खलील अहमद हक्कानी, और यह्या हक्कानी जैसे इंसानियत के दुश्मन पाकिस्तान के गले ही हड्डी बने हुए है। साल 2018 के दौरान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद फाइनेंशियल एड पर निगरानी रखने वाली संस्था (International terrorism financing watchdog organissation) फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। जिससे बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान लगातार छटपटा रहा है।

पाकिस्तान पर जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयब्बा, उजबेकिस्तान लिबरेशन मूवमेंट, हिज्बुल मुजाहिद्दीन (Jamaat-ud-Dawa, Jaish-e-Mohammed, Lashkar-e-Taiba, Uzbekistan Liberation Movement, Hizbul Mujahideen) जैसे दहशतगर्द तंजीमों को पालने पोसने के इल्ज़ाम लगे थे। जिसके बाद FATF ने ये कड़ा कदम उठाया। खबरें ये भी सामने आयी थी कि, पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी ISI के अधिकारी इन आंतकवादी संगठनों को ट्रेनिंग, हथियार और पैसा भी मुहैया करवाते है। इस कड़ी में दुनिया को बेवकूफ बनाने और आंतकवादियों पर बनावटी कार्रवाई करने के नाम पर पाकिस्तानी सेना ने जर्ब-ए-अज़्ब नाम से फर्जी मुहिम छेड़ी (Pakistani army launched fake campaign named Zarb-e-Azb) थी। FATF की ग्रे-लिस्टिंग की वजह से पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय सहायता हासिल करने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही दुनिया के सामने उसकी विश्वसनीयता को गहरा धक्का भी पहुँचा है।

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