Maharashtra Crisis: देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे आज करेगें गठबंधन पर फैसला, बागी विधायकों के पास रहेगें ये विकल्प

न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) ने बुधवार (29 जून 2022) रात कहा कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे। शिवसेना में बगावत फैलाने और ठाकरे को इस्तीफा दिलवाने का रोडमैप तैयार करने वाले फडणवीस ने कहा कि, “मैं कल निश्चित रूप से पार्टी का रूख बताऊंगा।” शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। वो और उनके समर्थक कल गुवाहाटी (Guwahati) से गोवा (Goa) पहुंचे। उन्होंने फ्लोर टेस्ट (Floor Test) में हिस्सा लेने के लिये मुंबई जाने की योजना बनायी थी, लेकिन चूंकि अब इसकी जरूरत नहीं है, इसलिये पाटिल ने उनसे सिर्फ शपथ लेने के लिये महाराष्ट्र की राजधानी में पहुंचने और रूकने की गुज़ारिश की है।

एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से मांग की थी कि वो राकांपा और कांग्रेस (NCP and Congress) के साथ अपने वैचारिक रूप से बेमेल गठबंधन को खत्म करें। वो और अन्य विद्रोही कथित तौर पर ठाकरे के हिंदुत्व (Hindutva) पर रूख को कथित तौर पर कमजोर करने से नाराज थे, जिसे शिवसेना (Shiv Sena) ने तीन दशक पहले अपनाया था। उन्होंने कहा था कि बागी भाजपा में विलय नहीं करेंगे बल्कि शिवसेना के भीतर एक अलग से धड़ा बनायेगें।

एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों के पास भविष्य की क्या है संभावनायें?

सबसे आसान और सबसे संभावित विकल्प है- भाजपा में विलय। एकनाथ शिंदे ने अपने पास 40 से ज़्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है, जो दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिये पर्याप्त से अधिक है। इसका मतलब है कि विधायक अयोग्यता का सामना किये बिना भाजपा के विधायक बन सकते हैं। वो फ्लोर टेस्ट में आसानी से पार्टी को वोट कर सकते हैं। संभावना है कि शिंदे और शिवसेना के कई अन्य विधायक भविष्य के राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होंगे।

अगर विद्रोही शिवसेना (बालासाहेब) के रूप में पहचाने जाने पर जोर देते हैं तो उन्हें कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायकों को अपनी पार्टी के व्हिप को बायपास करने के लिये अयोग्य ठहराया जा सकता है। जब भाजपा सरकार बनाती है और फ्लोर टेस्ट के लिये मौजूदा होती है तो जेपी नड्डा की अगुवाई वाली पार्टी को वोट देने का विकल्प चुनने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा। अगर बीजेपी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें अगले 6 महीनों में उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा।

वो पार्टी के आधिकारिक चुनाव चिह्न के लिये उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने का विकल्प भी चुन सकते हैं। अगर कानूनी लड़ाई उनके पक्ष में जाती है तो वो असली शिवसेना बन जायेगें।

चुनाव आयोग (Election Commission) तय करेगा कि असली शिवसेना कौन सा धड़ा है। मान्यता देने से पहले चुनाव आयोग कई बातों को ध्यान में रखता है, जिसमें विधायकों, सांसदों, कार्पोरेटरों और पार्टी पदाधिकारियों का समर्थन शामिल है। हालांकि शिंदे को विधायकों और कुछ सांसदों का समर्थन हासिल है, लेकिन कथित तौर पर ठाकरे को जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का समर्थन हासिल है। जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक चुनाव आयोग का पैनल दोनों गुटों को दो अलग-अलग प्रतीक भी सौंप सकता है।

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