Kaal Sarp Dosh: जातक के लिये घातक कालसर्प दोष

कुंडली में सात गृह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि जब राहू और केतु के बीच स्थित होते है तो कुंडली में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का निर्माण होता है। मान लीजिये अगर कुंडली के पहले घर में राहू स्थित है और सातवें घर में केतु तो बाकी के सभी ग्रह पहले से सातवें या सातवें से पहले घर के बीच होने चाहिए! यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात ये है कि सभी ग्रहों की डिग्री राहू और केतु की डिग्री के बीच स्थित होनी चाहिए, अगर किसी ग्रह की डिग्री राहू और केतु की डिग्री से बाहर आती है तो पूर्ण कालसर्प योग स्थापित नहीं होगा, इस स्थिति को आंशिक कालसर्प कहेंगे। कुंडली में बनने वाला कालसर्प कितना दोष पूर्ण है ये राहू और केतु की अशुभता (Ketu’s inauspiciousness) पर निर्भर करेगा।

मानव जीवन पर कालसर्प दोष का प्रभाव

सामान्यता कालसर्प योग जातक के जीवन में संघर्ष ले कर आता है। इस योग के कुंडली में स्थित होने से जातक जीवन भर अनेक प्रकार की कठिनाइयों से जूझता रहता है और उसे सफलता उसके अंतिम जीवन में प्राप्त हो पाती है। जातक को जीवन भर घर, काम काज, स्वास्थ्य, परिवार, विवाह, कामयाबी, नौकरी, व्यवसाय आदि की परेशानियों से सामना करना पड़ता है। बैठे बिठाये बिना किसी मतलब की मुसीबतें जातक को जीवन भर परेशान करती है। कुंडली में बारह प्रकार के काल सर्प पाये जाते है, ये बारह प्रकार राहू और केतु की कुंडली के बारह घरों की अलग अलग स्थिति पर आधारित होती है। कुंडली में स्थित ये बारह प्रकार के काल सर्प दोष कौन से है, आइये जानने की कोशिश करते है।

अनंत कालसर्प दोष

जब कुंडली के पहले घर में राहू , सातवें घर केतु और बाकि के सात ग्रह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो वो अनंत कालसर्प दोष कहलाता है। अनंत कालसर्प दोष (Anant Kaal Sarp Dosh) जातक की शादीशुदा जिन्दगी पर बहुत बुरा असर डालता है। बीतते वक्त के साथ जातक और जातक के जीवन साथी के बीच तनाव बढ़ता जाता है। जातक के नाजायज़ सम्बन्ध बन सकते है। इसी कारण बात तलाक तक पहुच सकती है। जातक के अपने जीवन साथी के साथ संबंधों में मधुरता नहीं होती। अनंत कालसर्प दोष के कारण जातक जीवन भर संघर्ष करता है और पूर्णतया फल प्राप्त नहीं करता। संधि व्यापार में सफलता नहीं मिलती और भागीदार धोखा कर जाते है।

कुलीक कालसर्प दोष

जब कुंडली के दूसरे घर में राहू और आठवें घर में केतु और बाकी के सातों ग्रह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो ये कुलीक कालसर्प दोष कहलाता है। जिस जातक की कुंडली में कुलीक कालसर्प दोष होता है वो जातक शराब पीने की गलत आदतों को अपना लेता है। तम्बाकू , सिगरेट आदि का भी सेवन करता है, जातक को ये आदतें बचपन से ही लग जाती है। इस कारण जातक का पढ़ाई से ध्यान हट कर अन्य गलत कार्यों में लग जाता है। ऐसे जातकों को मुंह और गले के रोग अधिक होते है। इन जातको का वाणी पर नियंत्रण नहीं होता, इसलिए समाज में बदनामी भी होती है। कुलीक कालसर्प से ग्रस्त जातक की शराब पीकर वाहन चलाने से हुई भयंकर दुर्घटना का शिकार बनने की संभावनायें ज़्यादा होती है।

वासुकी कालसर्प दोष

जब कुंडली में राहु तीसरे घर में, केतु नौवें घर में और बाकी के सभी ग्रह इन दोनों के मध्य में स्थित हो तो वासुकी काल सर्प दोष का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में वासुकी कालसर्प दोष होता है उन्हें जीवन के सभी क्षेत्र में बुरी किस्मत की मार खानी पड़ती है, कड़ी मेहनत और ईमानदारी के बावजूद असफलता हाथ आती है। जातक के छोटे भाई और बहनों पर भी बुरा असर पड़ता है। जातक को लम्बी यात्राओं से कष्ट उठाना पड़ता है और धर्म कर्म के कामों में विश्वास नहीं रहता। वासुकी कालसर्प दोष के कारण जातक की कमाई भी बहुत कम हो सकती है। इस कारण से जातक गरीबी और लाचारी का जीवन व्यतीत करता है।

शंखफल कालसर्प दोष

कुंडली में राहू चौथे घर में, केतु दसवें घर में और बाकी सभी ग्रह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो शंखफल कालसर्प दोष का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में शंखफल कालसर्प दोष होता है, वे जातक बचपन से ही गलत कार्यों में पड़कर बिगड़ जाते है। जैसे पिता की जेब से पैसे चुराना, विद्यालय से भाग जाना, गलत संगत में रहना और चोरी चाकरी और जुआ आदि खेलना। अगर माता पिता द्वारा समय रहते उपाय किये जाये तो बच्चों को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। शंख फल कालसर्प से ग्रसित जातक की माता को जीवन बहुत परेशानियां झेलनी पड़ती है। ये परेशानियां मानसिक और शारीरिक दोनों हो सकती है।जातक को विवाह का सुख भी ज़्यादा नहीं मिलता, पति या पत्नी से हमेशा दूरियां और अनबन बनी रहती है।

पदम् कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू पांचवे घर में, केतु ग्यारहवें घर में और बाकी के सभी ग्रह इन दोनों के मध्य स्थित होते है तो पदम् कालसर्प दोष का निमाण होता है। कुंडली में पदम् कालसर्प स्थित होने से जातक को जीवन में कई कठनाइयों का सामना करना पड़ता है। शुरूवाती जीवन में जातक की पढ़ाई में किसी कारण से बाधा उत्पन्न होती है। अगर शिक्षा पूरी न हो तो नौकरी मिलने में परेशनियां पैदा होती है। विवाह के उपरान्त बच्चों के जन्म में कठिनाई और बच्चों का बीमार रहना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पदम् कालसर्प के बुरे प्रभाव से प्रेम में धोखा मिल सकता है, इस दोष का विद्यार्थियों के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है, उन्हें इस काल सर्प का उपाय अवश्य करना चाहिये क्योकि हमारा पूरा जीवन अच्छी शिक्षा पर आधारित होता है।

महापदम कालसर्प दोष

कुंडली में महापदम् कालसर्प का निर्माण तब होता है जब राहू छठें घर में, केतु बारहवें घर में और बाकि के सभी ग्रह इन दोनों के मध्य स्थित हो। महापदम् कालसर्प दोष जातक के जीवन में नौकरी, पेशा, बीमारी, खर्चा, जेल यात्रा जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देता है। जातक जीवन भर नौकरी पेशा बदलता रहता है क्योंकि उसके सम्बन्ध अपने सहकर्मियों से हमेशा ख़राब रहते है। हमेशा किसी न किसी सरकारी और अदालती कार्यवाही में फंसकर जेल यात्रा तक करनी पड़ सकती है। तरह तरह की बीमारियों के कारण जातक को आये दिन अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते है। इस तरह महापदम् कालसर्प दोष जातक का जीना दुश्वार कर देता है।

तक्षक कालसर्प दोष

कुंडली के सातवें घर में राहू  और पहले घर में केतु और बाकी ग्रह इन दोनों के मध्य आ जाने से तक्षक कालसर्प दोष का निर्माण होता है। सबसे पहले तो तक्षक काल सर्प का बुरा प्रभाव उसकी सेहत पर पड़ता है। जातक के शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बहुत कम होती है और इसलिए वो बार-बार बीमार पड़ता रहता है। दूसरा बुरा प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है या तो जातक के विवाह में विलम्ब होता है और यदि हो भी जाये तो विवाह के कुछ सालों के पश्चात् पति पत्नी में इतनी दूरियाँ आ जाती है कि एक घर में रहने के पश्चात् वे दोनों अजनबियों जैसा जीवन व्यतीत करते है। जातक को अपने व्यवसाय में सहकर्मियों द्वारा धोखा मिलता है और उसे भारी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है।

कर्कोटक कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू आठवें घर में केतु दुसरे घर में और बाकि सभी ग्रह इन दोनों के मध्य फंसे हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है। कर्कोटक कालसर्प दोष के प्रभाव से जातक के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जातक हमेशा सभी के साथ कटु वाणी का प्रयोग करता है। जिसकी वजह से उसके सम्बन्ध अपने परिवार से बिगड़ जाते है और वो उनसे दूर हो जाता है। कई मामलों में पुश्तैनी जायजाद से भी हाथ धोना पड़ता है। जातक खाने पीने की गलत आदतों की वजह से अपनी सेहत बिगाड़ लेता है। कई बार ज़हर खाने की वजह से मौत भी हो सकती है। पारिवारिक सुख न होने की वजह से कई बार विवाह न होने, विवाह देरी जैसे फल मिलते है, लेकिन इस दोष की वजह से जातक को शारीरिक संबंधो की हमेशा कमी रहती है और वो विवाह का पूर्ण आनंद नहीं प्राप्त करता।

शंखनाद कालसर्प दोष

राहू कुंडली के नौवें घर में, केतु तीसरे घर में और बाकि ग्रह इन दोनों के मध्य फंसे हो तो इसे शंखनाद कालसर्प कहते है। शंखनाद कालसर्प दोष का जातक के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जातक को जीवन के किसी भी क्षेत्र में किस्मत या भाग्य का साथ नहीं मिलता। बने बनाये काम बिना किसी कारण के बिगड़ जाते है। जातक को जीवनचर्या के लिए अधिक महनत करनी पड़ती है। जातक के बचपन में उसके पिता पर इस दोष का बुरा असर पड़ता है और लोग कहते है कि इस बच्चे के आने के बाद घर में समस्यायें आ गयी। ये कालसर्प एक तरह से पितृ दोष का निर्माण भी करता है, जिसके प्रभाव से जातक नाकामयाबी और आर्थिक संकट जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है।

घटक कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू दसवें घर में और केतु चौथे घर में और बाकि सभी ग्रह इन दोनों के मध्य फंसे हो तो घटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है। घटक कालसर्प जातक के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। जातक हमेशा व्यवसाय और नौकरी की परेशानियों से जूझता रहता है। अगर वो नौकरी करता है तो उसके सम्बन्ध उच्च अधिकारियों से ठीक नहीं बनते, तरक्की नहीं होती, कई कई सालों तक एक ही पद पर कार्यरत रहना पड़ता है और इसीलिए किसी भी काम से संतुष्टि नहीं मिलती और बार बार व्यवसाय या नौकरी बदलनी पड़ती है। इस कालसर्प का माता पिता की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है और किसी कारण से जातक को उनसे पृथक होकर रहना पड़ता है।

विषधर कालसर्प दोष

राहू ग्यारहवें स्थान पर केतु पाचवें स्थान पर और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के मध्य फंसे होने से कुंडली में विषधर कालसर्प दोष का निर्माण होता है। विषधर कालसर्प दोष जातक के जीवन बहुत बुरा प्रभाव डालते है। इस दोष के कारण जातक को आँख और हृदय रोग होते है, बड़े भाई बहनों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते। जातक की याददाश्त कमज़ोर होती है, इसीलिए वो पढ़ाई ठीक से नहीं कर पाते। जातक को हमेशा व्यवसाय में उचित लाभ नहीं मिलता। जातक ज़्यादा पैसा लगाकर कम मुनाफा कमाता है। इस योग के चलते जातक आर्थिक परेशानियाँ घिरा रहता है। प्रेम सम्बन्ध में धोखा मिलता है और विवाह के उपरान्त बच्चों के जन्म में समस्यायें आती है, जन्म के बाद बच्चों की सेहत भी खराब रहती है।

शेषनाग कालसर्प दोष

कुंडली के बारहवें घर में राहू, छठें घर में केतु और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के मध्य फंसे होने से शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है। शेषनाग कालसर्प दोष जातक के जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न करता है। जातक हमेशा गुप्त दुश्मनों डर में रहता है, उसके गुप्त दुश्मन ज़्यादा होते है जो उसे समय समय पर नुक्सान पहुचाते रहते है। जातक हमेशा कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या से घिरा रहता है, इसलिए उसे इलाज पर ज़्यादा पैसा खर्चना पड़ता है। इस दोष के कारण जातक को जन्म स्थान से दूर रहना पड़ता है, गलत कार्यों में भाग लेने से जेल यात्रा भी संभव है।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More