JNU उपकुलपति का बयान, कहा एससी एसटी समुदाय से है भगवान शिव

न्यूज डेस्क (मातंगी निगम): जेएनयू की उपकुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (JNU Vice Chancellor Shantisree Dhulipudi Pandit) ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Social Justice and Empowerment) द्वारा आयोजित एक लेक्चर में कहा कि भगवान शिव (Lord Shiva) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति (SC or ST) से होने चाहिए क्योंकि वो एक श्मशान में सांप धारण किये बैठते हैं और ब्राह्मण ऐसा नहीं कर सकते। ‘डॉ बीआर अंबेडकर का लैंगिक न्याय पर विचार: समान नागरिक संहिता की डिकोडिंग’ विषय पर बोलते हुए उन्होनें ये तर्क रखा, उन्होंने मानवशास्त्रीय रूप से कहा कि, कोई भी भगवान जाति से ब्राह्मण और क्षत्रिय (Brahmins and Kshatriyas) नहीं है।

उन्होनें अपने बयान में कहा कि- “भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के होने चाहिये। क्योंकि वो सांप के साथ श्मशान में बैठे हैं … वो पहनने के लिये बेहद कम कपड़े पहनते हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं,”

जाति-आधारित भेदभाव (Caste-Based Discrimination) के खिलाफ बोलते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्मी, शक्ति और भगवान जगन्नाथ समेत कोई भी देवता तथाकथित उच्च जाति से नहीं आते हैं। तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रख रहे हैं, जो बहुत ही अमानवीय है।

उन्होंने दावा किया कि प्राचीन ग्रंथ “मनुस्मृति” में सभी महिलाओं को शूद्रों (Shudras) के तौर पर वर्गीकृत किया गया है और वो शादी के बाद अपने पति की जाति जानी जाती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बहुत से लोग ये कहकर जाति व्यवस्था का बचाव करते हैं कि ये जन्म पर आधारित नहीं थी लेकिन अब है।

इसके साथ ही जेनएयू उपकुलपति उसने 9 वर्षीय स्कूली बच्चे की मौत का भी जिक्र किया, जिसे कथित तौर पर उसके शिक्षक ने पानी का बर्तन को छूने के लिये पीट-पीट कर मार डाला था।

राजनीति और लोक प्रशासन (Politics and Public Administration) की प्रोफेसर पंडित को जनवरी में जेएनयू का वीसी नियुक्त किया गया था और वो पांच साल के लिये विश्वविद्यालय के इस शीर्ष पद पर बनी रहेंगी। उन्होंने अपनी नियुक्ति के बाद कहा कि वो आम जनता के बीच विश्वविद्यालय की छवि को बदलने का भरसक प्रयास करेंगी।

बीते सोमवार (22 अगस्त 2022) को उन्होंने देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक जेएनयू में धन की कमी की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय 130 करोड़ रूपये के भारी घाटे में चल रहा है।

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