JDU नेता केसी त्यागी का बयान, UCC पर PM Modi के बयान का अल्पसंख्यकों के कल्याण से कोई नहीं वास्ता

न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): जनता दल (JDU) के नेता केसी त्यागी ने बीते बुधवार (28 जून 2023) को समान नागरिक संहिता (UCC) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर असंतोष ज़ाहिर किया। जेडीयू के सी त्यागी ने अपने बयान में कहा कि, “हमारी पार्टी इसे आगामी आम चुनावों के लिये इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ मानती है और उनके बयान का अल्पसंख्यकों के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है।”

बता दे कि पीएम मोदी (PM Modi) ने मंगलवार (27 जून 2023) को कहा कि “देश दो कानूनों से नहीं चल सकता और समान नागरिक संहिता संविधान का हिस्सा है। आज यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है। देश दो (कानूनों) पर कैसे चल सकता है? संविधान भी समान अधिकारों की बात करता है…सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है। ये (विपक्ष) लोग वोट बैंक की राजनीति खेल रहे हैं।”

गौरतलब है कि भारतीय संविधान के भाग 4, अनुच्छेद 44, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (Directive Principles) से मेल खाता है, जो कि राज्य के लिये अपने नागरिकों को पूरे भारत में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) प्रदान करना अनिवार्य बनाता है।

यूसीसी के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए केसी त्यागी आगे ने कहा कि, “जेडी (यू) को पता है कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य अपने सभी नागरिकों के लिये समान नागरिक संहिता प्रदान करने का प्रयास करेगा। ये खंड राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा है, न कि मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) धारा के तहत। जबकि राज्य को यूसीसी लाने का प्रयास करना चाहिए, ऐसा प्रयास, स्थायी और टिकाऊ होने के लिये इस तरह के कदम के पक्ष में व्यापक सहमति पर आधारित होना चाहिए, ना कि ऊपरी फरमान से थोपा जाना चाहिए।”

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए केसी त्यागी आगे ने कहा कि, “ये हमेशा याद रखना अहम है कि हमारा देश विभिन्न धर्मों और जातीय समूहों के लिये कानूनों और शासकीय सिद्धांतों के संबंध में नाजुक संतुलन पर आधारित है। इसलिए ठोस गहन मशवरा किए बिना यूसीसी लागू करने का कोई भी प्रयास नहीं किया जाना चाहिये। इस मुद्दे पर विभिन्न धार्मिक समूहों की सहमति खासतौर से अल्पसंख्यक की रजांमदी लेनी चाहिये। अगर ऐसा ना किया गया तो सामाजिक ढ़ांचा बिखर सकता है। धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी में विश्वास की बुनियाद चरमरा सकती है। यूसीसी को लागू करने के लिए मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों और हिंदुओं (बौद्ध, सिख और जैन समेत) के संबंध में ऐसे मामलों में लागू सभी मौजूदा कानूनों को खत्म करना होगा। सभी के साथ ठोस बातचीत के बिना इतना कठोर कदम शायद ही उठाया जा सकता है। राज्य सरकारों समेत सभी हितधारकों को इसमें शामिल करना होगा।”

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More