समान नागरिक संहिता के खिलाफ खड़ा हुआ AIMPLB, कहा जुलाई के पहले हफ्ते में सौपेंगे विधि आयोग को फीडबैक रिपोर्ट

नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB- All India Muslim Personal Law Board) ने मंगलवार (27 जून 2023) शाम को समान नागरिक संहिता (UCC-Uniform Civil Code) पर चर्चा के लिये अपनी पहली बैठक की, खास बात ये है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भाजपा बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूसीसी पर जोर दिया, जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने वाले है।

इस बात से इनकार करते हुए कि बैठक और पीएम के भाषण के बीच कोई रिश्ता है, बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि बैठक पहले से तयशुदा थी क्योंकि एआईएमपीएलबी इस मामले पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगने वाले विधि आयोग के सार्वजनिक नोटिस पर प्रतिक्रिया तैयार करने के लिये तैयार है। इसी मुद्दे को लेकर एआईएमपीएलबी की कार्यकारी समिति के सदस्य डॉ. कासिम रसूल (Dr. Kasim Rasool) ने कहा कि- “ये बैठक पहले ही निर्धारित की गयी थी। उसी दिन प्रधानमंत्री का भाषण भी हुआ। हम जुलाई के पहले हफ्ते में विधि आयोग को अपनी प्रतिक्रिया सौंपेंगे।”

मंगलवार को हुई बैठक में एआईएमपीएलबी के सदस्यों ने अपनी प्रतिक्रिया की रूपरेखा और उन मुख्य मुद्दों पर चर्चा की जिन पर आगे चलकर वैधानिक या फिर धार्मिक पेंच अटक सकता है।

डॉ. कासिम रसूल ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि-“हम पहले भी एक बार 2016 में विधि आयोग (Law Commission) को अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं और आयोग ने साल 2018 में जवाब दिया था और कहा था कि कम से कम 10 सालों तक यूसीसी को लागू नहीं किया जाना चाहिये। हमें लगता है कि ताजातरीन सार्वजनिक नोटिस मौजूदा सरकार की ओर से ऐसी स्थिति पैदा करने के लिये सियासी स्टंट के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे वो 2024 के संसदीय चुनावों से पहले भुनायेगें। विधि आयोग ने इस बार जिस तरह से फीडबैक मांगा है वो भी अस्पष्ट है। 2016 में विधि आयोग ने खास सवाल पूछे थे, जिनका हमने जवाब दिया था।”

बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते मंगलवार को कहा था कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे पर अल्पसंख्यकों को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि- “मुझे बताओ एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिये एक कानून है और परिवार के दूसरे सदस्य के लिये दूसरा, क्या वो घर चल सकता है?”

प्रधान मंत्री ने आगे कहा था कि- “ये पसमांदा (पिछड़े) मुसलमान हैं, जो इस तरह के कानून के अभाव में खासतौर से प्रभावित होते हैं। पिछले कुछ सालों में बीजेपी (BJP) ने देश में पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) को तरक्की की राह पर लाने के लिये मुहिम चलायी है। भारतीय संविधान (Indian Constitution) भी यूसीसी की बात करता है।”

रसूल ने पीएम के भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि- “पीएम मोदी ने एक राष्ट्र, एक कानून का आह्वान किया है। लेकिन क्या हम बता दें कि देश के लिये एक कानून की ऐसी व्यवस्था भारत में मौजूद नहीं है। यहां तक कि आईपीसी और सीआरपीसी (IPC and CrPC) को लागू करने में भी अलग-अलग राज्यों की स्थिति अलग-अलग है। देश में गोहत्या पर कोई एक समान कानून नहीं है। ये कुछ राज्यों में लागू है, जैसे कि पूर्वोत्तर राज्य, गोवा और बंगाल (Goa and Bengal) में। बाकी राज्यों में ऐसा कोई कानून नहीं है।”

रसूल ने दावा किया कि भाजपा ने मध्य प्रदेश में यूसीसी को एक चुनावी मुद्दा (Election Issue) बना दिया है, जबकि कानून पर चर्चा, एक संवेदनशील मामला है, इसे पहले हितधारकों और इससे प्रभावित होने वाले सभी समुदायों के साथ मशविरों तक सीमित होना चाहिये।

अपनी बातों पर जोर देते हुए रसूल ने कहा कि- “यूसीसी न तो जरूरी है और न ही इससे हमारे देश को किसी भी तरह से फायदा होगा। भारत बहु-धार्मिक, बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है, जिसे अपनी विविधता का सम्मान करना चाहिए। संविधान धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करता है और यूसीसी इस अधिकार में सीधा दखल देता है क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग है। ये ना सिर्फ मुसलमानों के बारे में नहीं है बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई समेत अन्य सभी समुदायों के बारे में है, जो इस कानून से सीधे प्रभावित होंगे और इसलिए हम इसका विरोध करेंगे। किसी भी मामले में यूसीसी एक तरह से विशेष विवाह अधिनियम, विरासत अधिनियम आदि के तौर पर देश में पहले से ही मौजूद है। ये सिर्फ वैकल्पिक हैं।”

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