शुरूआती तौर पर ने NIA Court माना, शब्बीर शाह, यासीन मलिक, इंजीनियर राशिद, अल्ताफ फंतोश, मसरत और हुर्रियत को आंतकी फड़िंग मामले में दोषी

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): जम्मू और कश्मीर टेरर फंडिंग (Terror Funding) मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने सबूतों की चर्चा के बाद कहा कि ये प्रथम दृष्टया साफ करता है कि आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, इंजीनियर राशिद, अल्ताफ फंतोश, मसरत और हुर्रियत/जेआरएल आतंकी फंड के सीधेतौर पर हासिल करते थे। इसी क्रम में आरोपी पीर सैफुल्ला ने हुर्रियत के लिये पथराव करने वाली गतिविधि के लिये आंतकी फंडिंग की थी, जिसे प्रथम दृष्टया आतंकी हरकत पाया गया।

एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह (Special Judge Praveen Singh) ने आरोप तय करने पर आदेश पारित करते हुए कहा कि, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये पैसा पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों से भेजा गया था और यहां तक ​​​​कि राजनयिक मिशन का इस्तेमाल भी इस काम के लिये किया गया था। घोषित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी और आरोपी हाफिज सईद (Hafiz Saeed) ने भी आतंकी फंडिंग के लिये पैसा भेजा था।

एनआईए अदालत ने आगे कहा कि आरोपी जहूर अहमद शाह वटाली (Zahoor Ahmed Shah Watali) इस आतंकी फंडिंग की अहम कड़ियों में से एक था और अन्य आरोपी नवल किशोर कपूर (Naval Kishore Kapoor) आंतकी फड़िंग को आसानी से घाटी में बैठे आतंकियों तक पहुँचाता था।

अदालत ने ये पाया कि साज़िशन आपराधिक साजिश के तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके नतीज़न बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया वो गांधी के रास्ते पर नहीं थे, लेकिन उनकी योजना सीधे हिटलर की तरह थी। एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक (JKLF Chief Yasin Malik) ने “स्वतंत्रता संग्राम” के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिये दुनिया भर से पैसा इकट्ठा करने का सिस्टम खड़ा किया था।

एनआईए अदालत ने आतंकीऔर अलगाववादी गतिविधियों से जुड़े एक अन्य मामले में लश्कर-ए-तैयबा (LeT- Lashkar-e-Taiba) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन (Hizbul Mujahideen chief Syed Salahuddin), यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और समेत अन्य लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ ​​पीर सैफुल्ला और कई लोगों अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया। इस सिलसिले में उन लोगों पर भारतीय दंड संहिता और यूएपीए जिसमें आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना और गैरकानूनी गतिविधियों के संगीन आरोप तय करने की प्रक्रिया आगे बढ़ायी गयी।

हालांकि कोर्ट ने ये भी साफ किया कि आदेश में जो कुछ भी व्यक्त किया गया है वो सिर्फ एक प्रथम दृष्टया राय है, हालांकि सबूतों की अभी विस्तृत चर्चा किया जाना बाकी है क्योंकि दोनों पक्षों द्वारा बहुत विस्तार से तर्क दिये गये थे। एनआईए के मुताबिक विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (JeM- Jaish-e-Mohammed) आदि ने ISI के सहयोग से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया।

आगे ये भी आरोप लगाया गया कि साल 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को राजनीतिक मोर्चा देने के लिये ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का गठन किया गया था। एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि हाफिज मुहम्मद सईद, जमात-उद-दावा के अमीर और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों समेत अलगाववादी संगठनों और अलगाववादी नेता हिज्बुल मुज़ाहिद्दीन के साथ  मिलकर काम कर रहे हैं। जिसके लिये हवाला समेत कई गैर जरियों के देश-विदेश के भारी तादाद में पैसा जुटाया गया।

एनआईए कोर्ट ने ये पाया कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिये किया गया था और इस तरह उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव करके, सरकारी स्कूलों-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाकरऔर साज़िशन घाटी में अगजनी और अस्थिरता पैदा करके भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

इस जानकारी पर कार्रवाई करते हुए गृह मंत्रालय ने एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश दिये। मौजूदा हालातों में एनआईए ने आईपीसी की धारा 120 बी, 121, 121 ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत दर्ज किया।

एनआईए ने आगे कहा कि जांच के दौरान ये भी पता चला कि एपीएचसी और अन्य अलगाववादी आम जनता खासतौर से नौज़वानों को हड़ताल करने और सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिये हिंसा का सहारा लेने के लिये उकसाते हैं। इस कवायद का इस्तेमाल भारत सरकार के प्रति जम्मू-कश्मीर के लोगों में असंतोष पैदा करने के लिए किया गया था।

एनआईए ने ये भी कहा कि जांच से पता चला है कि अलगाववादी जम्मू-कश्मीर में चल रही अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और अशांति फैलाने के लिये सभी संभावित स्रोतों से पैसा जुटा रहे थे। अलगाववादियों को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों से पैसा और घाटी में चरमपंथी ज़मातों से चंदा मिल रहा था।

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