ऐसा हुआ तो जल्द ही खराब होगा आपका Mobile और Internet

न्यूज़ डेस्क (श्रेयसी श्रीधरा): यूरोपियन स्पेस एजेंसी स्वार्म (European Space Agency Swarm) की एक रिसर्च में हैरतअंगेज खुलासा हुआ है। जिसके मुताबिक धरती अपनी मैग्नेटिक फील्ड (Earth’s magnetic field) खो रही है। धरती जब अपनी धुरी पर घूमती है तो धरती की सतह से 3 हजार किलोमीटर नीचे पिघले हुए गर्म लोहे के कारण चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है। स्वार्म के मुताबिक यही चुंबकीय क्षेत्र धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो जल्द ही खराब होगा आपका मोबाइल (Mobile) और इंटरनेट। क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र की मदद से ही सेटेलाइट (Satellite) ढंग से काम करते हैं। अगर धरती के चुंबकीय क्षेत्र में किसी तरह का फेर बदलाव आता है तो, उसका सीधा असर सेटेलाइट की कार्यप्रणाली पर पड़ेगा। जिसकी वजह से इंटरनेट (Internet) और मोबाइल काम करना बंद कर देंगे। सेटेलाइट टीवी चैनल, हवाई उड़ान और मौसम का पूर्वानुमान (Weather forecast) आदि कामों में बाधा उत्पन्न होगी। चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले इस बदलाव को साउथ एटलांटिक एनामोली (South Atlantic Anomaly) के नाम से जाना जाता है। धरती के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल करके प्रवासी पक्षी (Migratory Bird) कई हजार किलोमीटर की उड़ान भरकर गंतव्य तक पहुंचते हैं।

मौजूदा वक्त में धरती की मैग्नेटिक फील्ड 24 से 22 हजार नैनो टेस्ला (Nano tesla) के बीच है, जबकि सामान्य दशाओं में इसे 32 नैनो टेस्ला  होना चाहिए। अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका के बीच चुंबकीय क्षेत्र में खासा कमजोरी दर्ज की गई है। यानि की धरती का 10 हज़ार किलोमीटर का हिस्सा इसकी चपेट में आ चुका है। आने वाले वक्त में इसकी वजह से वैश्विक तापमान (Global temperature) में बढ़ोतरी, भूकंप, भारी बर्फबारी और अन्य असामान्य में मौसमी दशाएं देखने को मिल सकती हैं। मोटे तौर पर मैग्नेटिक फील्ड एक तरह से धरती के कवच के रूप में काम करती है। जिसकी वजह से सौर आंधियां (Solar storms), अतंरिक्षीय रेडिएशन (Space radiation) और उल्कापिंड (Meteorite) धरती की निचली कक्षा में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।

भू वैज्ञानिक (Geologist) मानते हैं कि, ये एक तरह की प्राकृतिक घटना (Natural Phenomena) है। जो नियमित अंतराल पर होती रहती है, पर मौजूदा वक्त में किस तरह के बदलाव दर्ज किए गए हैं, वह समय से काफी पहले हो रहे हैं। इंसानों के साथ-साथ इसका असर पशु पक्षियों पर भी पड़ेगा। कई प्रवासी पक्षी इसकी वजह से अपने घर का रास्ता भूल सकते हैं। साथ ही कई जानवरों के व्यवहार में आक्रामकता (Behavioral aggression) भी आ सकती है।

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