Quran Burnt: स्वीडन में जलायी गयी पवित्र कुरान, तुर्किये में फैला भारी गुस्सा

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): Quran Burnt: तुर्किये ने स्वीडन में मुस्लिमों के पवित्र ग्रंथ कुरान को जलाने की घटना की निंदा करते हुए इसे जघन्य अपराध करार दिया। इसी मुद्दे पर अपने सिलसिलेवार ट्वीट्स तुर्किये के विदेश मंत्री हाकन फ़िदान (Turkish Foreign Minister Hakan Fidan) ने कहा कि- “मैं ईद अल-अधा के पहले स्वीडन में हमारी पवित्र पुस्तक कुरान के खिलाफ घृणित कार्रवाई की निंदा करता हूं। अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने इस तरह के इस्लाम विरोधी कामों की मंजूरी देना नाकाबिले बर्दाश्त है। ऐसे गुनाह-ए-अज़ीम पर आंखें मूंद लेना उसमें हिस्सेदार बनना है।”

बता दे कि इराकी मूल के सलवान मोमिका (Salwan Momika) नाम के शख़्स ने बीते बुधवार (28 जून 2023) को स्टॉकहोम मस्जिद के सामने पुलिस की सुरक्षा में कुरान जला दिया। मोमिका जो कि मेडबर्गरप्लात्सेन स्क्वायर (Medburgerplatsen Square) में स्टॉकहोम (Stockholm) मस्जिद के सामने आयी, ने मस्जिद के सामने कुरान को जमीन पर फेंक दिया, उस पर पैर रखा, साथ ही इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। आखिरकर उसने आसपास के लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद कुरान में आग लगा दी।

खास बात ये है कि ये घटना ऐसे वक्त में सामने आयी है, जब स्वीडन (Sweden) अभी भी नाटो में शामिल होने के लिये तुर्किये (Turkey) का समर्थन मांग रहा है। तुर्किये सरकार ने नाटो (NATO) में शामिल होने के लिये स्वीडन का रास्ता रोक रखा है। गाहे बगाहे तुर्की की सरकार स्वीडन पर अक्सर इल्जाम लगाती रही है कि वो अंकारा (Ankara) विरोधी गुटों का समर्थन करते हुए उसकी हर मुमकिन मदद करता है। स्वीडन ने आतंकवाद के खिलाफ तुर्किये की लड़ाई का समर्थन करने का वादा किया है और आतंकवादी संदिग्धों अंकारा को सौंपने के लिये प्रत्यर्पण संधियों पर रजामंदी ज़ाहिर की है, हालांकि इस मामले को लेकर तुर्की संसद ने अभी तक स्वीडन की नाटो सदस्यता को लेकर पुष्टि नहीं की है।

इस घटना की निंदा करते हुए तुर्की सरकार के संवाद विभाग के निदेशक फहार्टिन अल्टुन ने अपने एक ट्वीट में कहा कि- “हम इस्लामोफोबिया (Islamophobia) को बढ़ावा देने और खासतौर से स्वीडन में यूरोपीय अधिकारियों की ओर से हमारे धर्म के प्रति घृणा की लगातार वारदातों से आज़िज आ चुके हैं। जो लोग नाटो में हमारे सहयोगी बनना चाहते हैं, वो इस्लामोफोबिक और ज़ेनोफोबिक आतंकवादियों के रवैये को बर्दाश्त नहीं कर सकते।”

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में स्टॉकहोम के तुर्की दूतावास के बाहर एक रैली के बाद तुर्की-स्वीडिश रिश्तों को बड़ा झटका लगा, जिसके दौरान आव्रजन विरोधी राजनेता ने कुरान की एक प्रति को आग लगा दी। इस घटना से तुर्की की राजधानी अंकारा में भारी गुस्सा फैल गया, जहां प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आये और प्रतिक्रिया में स्वीडिश दूतावास के बाहर स्वीडिश झंडे की आग के हवाले कर दिया।

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