Hajj 2023: काफी अहम है ये तारीखें, पढ़े मंजिल-ए-हज के सफर के बारे में

नई दिल्ली (आबिद कुरैशी): Hajj 2023: सऊदी अरब के शहर मक्का में इस हफ्ते होने वाली मुकद्दस हज यात्रा (Holy Hajj Pilgrimage) में 20 लाख से ज्यादा मुसलमान शिरकत करेगें। हर साल लाखों मुस्लिम इस पाक मौके का हिस्सा बनते हैं। हज इस्लाम की पांच अहम बुनियादी रवायतों में से एक है। सभी मुसलमानों को पाक कुरान (Holy Quran) और रसूलों की ओर से हुक्म है कि ज़िन्दगी में एक मर्तबा हज़ करे। अगर कोई मोमिन (Islamic Believer) जिस्मानी और माली तौर पर हज़ करने में नाकाबिल है तो उसे इससे छूट है।

इस साल हज का सफर 26 जून से 1 जुलाई, 2023 के दरम्या पूरा होगा। ऐसे में जाने हर दिन होने वाली दीऩी रवायतों के बारे में

दिन 1: जब मोमिन ईमान और इराद पक्का करके हज़ के लिये निकलते है तो सबसे पहले उन्हें एहराम (खास मज़हबी लिबास) पहनने की कवायद से होकर गुजरना पड़ता है। दिल में नेक और पाक ख्यालात लिये मुसलमान मक्का (Holy City of  Mecca) के बाहरी इलाके में पहुँचते है, जिसे मिकात के नाम से जाना जाता है, और यहीं से शुरूआत होता है हज़ का पहला दौर। इसके बाद हज़ की मुराद दिल में लिये मोमिन मक्का के पास तम्बूओं के शहर मीना तक 8 किमी (पांच मील) का सफर करके पहुँचते है। यहां आने के लिये लोग पैदल चलकर आ सकते है या फिर हुकूमत-ए-सऊदी (Hukumat-e-Saudi) की ओर से तैनात बसों के मार्फत भी यहां बगैर किसी मशक्कत के पहुँचा जा सकता है।

दिन 2: मंजिल-ए-हज़ का दूसरा दिन अराफात का दिन (Day of Arafat) है, ये इस्लामिक कैलेंडर के काफी अहम दिनों में शुमार है। मीना से 15 किमी का सफर तय करने के बाद मोमिन रहमतों के पहाड़ आराफात की ओर बढ़ते है, जहां नमाज़ अता की जाती है।

दिन 3: इस दिन को धुल-हिज्जा ईद अल-अधा (Dhul-Hijjah Eid al-Adha) के नाम से जाना जाता है। राह-ए-हज़ का ये अहम पड़ाव है। हाज़ी इस दिन जमारत अल-अकाबा (Jamarat Al-Aqaba) के नाम से जाने जाने वाले तीन खंभों पर कंकड़ फेंककर रमी करने के लिये वापस मीना पहुंचते हैं। शैतान को कंकर-पत्थर मारना यानि बुराईयों और बदी से तौबा करना माना जाता है।

दिन 4 और 5: पत्थर फेंकनें की रवायत अगले दो दिनों तक बदस्तूर जारी रहती है, ये कवायद जमारत अल-उला (छोटे खंभे- Jamarat al-Ula) से शुरू होकर, जमारत अल-वुस्ता (दूसरा/मंझले खंभे- Jamarat al-Wusta) तक बढ़ते हुए, और आखिर में जमारत अल-अकाबा  (तीसरा और बड़ा खंभा) के साथ खत्म होती है।

दिन 6: ज़िल-हिज्जा के 12वें दिन रमी के बाद मोहतरम या तो अपना सिर मुंडवाते हैं (हल्क) या अपने बाल काटते हैं (तकसीर)। ख्वातीनें अपने बालों को उंगलियों की लंबाई तक ट्रिम कर सकती हैं।

इसके बाद मोमिन अलविदा तवाफ के दौरान अपने एहराम कपड़े उतार सकते हैं। इसके बाद काफी लोग तवाफ और सई करने के लिये मक्का की ओर निकल पड़ते है। इसके साथ ही मोमिनों को हाज़ी होने के ओहदा मिल जाता है। माली तौर पर मुक्ममल हाज़ी इस दिन कुर्बानी करते हुए जानवरों को जिबाह करते है। भाईचारें, अमन और शांति के लिये नमाज अता की जाती है। कमजोर लोगों और मजलूमों को जकात देकर राह-ए-बंदगी पर बढ़ा जाता है।

बता दे कि इस साल की हज़ कोरोनो वायरस महामारी के दरम्यां लगाये गयी हुकूमती बंदिशों (Government Restrictions) के बगैर होगा। साल 2020 में 10,000 से भी कम मुसलमानों ने और साल 2021 में लगभग 60,000 मोमिनों ने हज किया था, ये सभी सऊदी अरब (Saudi Arab) के बाशिंदे थे। काबिले गौर है कि उस दौरान हुकूमत-ए-सऊदी ने सिर्फ अपने मुल्क के लोगों को ही हज़ करने की इज़ाजत दी थी।

पिछले साल लगभग 900,000 लोगों ने हज़ किया, हुकूमत-ए-सऊदी ने तयशुदा तादाद में ही दूसरे मुल्कों के मोमिनों को हज़ करने की इज़ाजत अता फरमायी थी।

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