Quad: चार मुल्क और एक दुश्मन की वज़ह पड़ी क्वाड की नींव

क्वाड (Quad) चार मुल्कों की कहानी है और इन चार देशों का एक ही दुश्मन है चीन। क्वाड पर काम साल 2004 की सुनामी के दौरान शुरू हुआ था। भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका सुनामी जैसे खतरों से निपटने के लिये एक साथ आये लेकिन इसके बाद क्वाड लगभग कही खो सा गया। करीब तीन साल इसका कोई अता पता नहीं चला।

फिर अगस्त साल 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) भारत आये। उन्होंने भारतीय संसद को संबोधित करते हुए कहा कि हिंद और प्रशांत महासागर (Indian and Pacific Ocean) क्षेत्रों में किसी भी देश को मनमानी करने की इज़ाजत नहीं दी जानी चाहिये। वो सीधे तौर पर चीन की ओर इशारा कर रहे थे। इस इलाके में चीन और जापान एक दूसरे के पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं। शिंजो आबे ने जोर देकर कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों (Democratic Forces) को चीन के खिलाफ एक साथ आना चाहिये।

भारत का दौरा करने के अगले ही महीने शिंजो आबे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद यासुओ फुकुदा जापान के नये प्रधानमंत्री बने लेकिन जापान के नये प्रधानमंत्री चीन से उलझने के पक्ष में नहीं थे, हालांकि इसके बाद भी क्वाड में शामिल देशों ने सिंगापुर के साथ समुद्री संयुक्त युद्धाभ्यास (Maritime Joint Exercises) किया, लेकिन साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया ने इससे हाथ पीछे खींच लिये।

इस दौरान भारत की तत्कालीन सरकार भी चीन के खिलाफ नहीं थी। बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (The then Prime Minister Dr Manmohan Singh) ने चीन को भारत का सहयोगी माना था। साल 2008 में ही अमेरिका को बराक ओबामा (Barack Obama) के रूप में एक नया राष्ट्रपति भी मिला और वो भी उस समय चीन से जुड़ने के मूड में नहीं थे। कुल मिलाकर क्वाड कमजोर हो गया और चीन ने क्वाड समुद्री झाग (Sea Foam) कहना शुरू कह दिया, जो कभी भी गायब हो जाता है।

धीरे-धीरे वक़्त बीतता गया और चीन भारत से दुश्मनी करने लगा। साल 2013 से 2020 के दौरान बीजिंग (Beijing) ने भारत के खिलाफ चार बार आक्रामक रुख अख़्तियार किया।

क्वाड में शामिल चार मुल्क अपनी अंदरूनी सियासत और तेजी से बदलती कूटनीति के कारण कमजोर पड़ने लगे थे। लेकिन इसी बीच जापान में कुछ ऐसा हुआ कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे साल 2012 में फिर से सत्ता में आये गये और पद संभालते ही उन्होंने चीन को घेरना शुरू कर दिया, लेकिन साल साल 2017 में उन्होंने इस कवायद को काफी रफ्तार दी।

ऑस्ट्रेलिया भी चीन की मंशा को तब तक अच्छी तरह समझ चुका था। इसलिए सिडनी क्वाड में फिर से सक्रिय हो गया। साल 2019 में इस संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई और यहीं से क्वाड 2.0 वजूद सामने आया। हाल ही में क्वाड मुल्कों से सर्वोच्च नेताओं की पहली व्यक्तिगत मुलाकात अमेरिका में हुई। चीन ने जिस संगठन का समुद्री झाग कहकर मखौल उड़ाया था, वही संगठन अब चीन के लिये सबसे बड़े खतरे और चुनौती के तौर पर उभरता दिख रहा है।

मौजूदा हालातों में क्वाड अभी भी असमंजस का शिकार है क्योंकि अभी कोई नहीं जानता कि इसमें शामिल देश एक-दूसरे की सैन्य मदद करना चाहते हैं या इसका मकसद एक साथ कोरोना जैसी बीमारियों से निपटना है या फिर उन्हें एक साथ सुनामी जैसे खतरों से निपटना है।

क्वाड में शामिल देशों में भारत अकेला ऐसा देश है जिसकी सीमा चीन से लगती है। ऐसे में चीन के आक्रामक रवैये का सबसे पहला असर भारत पर ही होगा। हालांकि क्वाड का बड़ा मकसद इंडो पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। नक्शे पर इसकी दिखावट चतुर्भुज की तरह है। इसलिए इसे क्वाड कहा जाता है।

इसी क्षेत्र में दक्षिण चीन सागर भी आता है, जिसे लेकर चीन का 9 देशों से विवाद है। विश्व का 33 फीसदी समुद्री कारोबार इंडो पैसिफिक के जरिये होता है, इसलिए चीन इस पर काबू पाना चाहता है लेकिन क्वाड में शामिल देश ये कतई मंजूर नहीं हैं।

सह-संस्थापक संपादक: राम अजोर

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