DU प्रोफेसर जीएन साईंबाबा की रिहाई को मिली मंजूरी, जाने क्या था पूरा मामला

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा (Professor GN Saibaba) को बीते शुक्रवार (14 अक्टूबर 2022) बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने रिहाई की मंजूरी दे दी। जीएन साईबाबा का पूरा नाम गोकरकोंडा नागा साईंबाबा (Gokarkonda Naga Saibaba) है। उनका जन्म आंध्र प्रदेश (Andra Pradesh) के पूर्वी गोदावरी में हुआ था। पांच साल की उम्र में पोलियो वायरस से संक्रमित होने के बाद से ही उनका चलना फिरना व्हीलचेयर पर ही टिका हुआ है। वो दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के राम लाल आनंद कॉलेज (Ram Lal Anand College) में अंग्रेजी पढ़ाते थे।

जी एन साईंबाबा पर भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश रचने और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) (आईपीसी) की धाराओं के तहत माओवादियों (Maoists) से रिश्ते रखने का आरोप लगाया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU- Jawaharlal Nehru University) के एक छात्र हेम मिश्रा (Hem Mishra) की गिरफ्तारी के बाद जी एन साईंबाबा के बारे में जांच एजेंसियों को पता लगा। हेम मिश्रा ने एजेंसियों को बताया था कि साईंबाबा छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों (Forests of Abujhmad in Chhattisgarh) में छिपे हुए माओवादी लगातार उनके सम्पर्क में बने हुए है। साईंबाबा माओवादियों के लिये कूरियर का काम भी करते हुए। इसी जानकारी की बुनियाद पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया था।

साईंबाबा समेत पांच अन्य लोगों महेश तिर्की, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय तिर्की (Prashant Rahi and Vijay Tirkey) को भी बरी कर दिया गया है। साल 2013 और 2014 के बीच साईंबाबा और अन्य कथित लोगों को हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने कथित तौर पर साईंबाबा के घर से कई दस्तावेज, हार्ड ड्राइव और पेन ड्राइव अपनी कस्टडी में ले लिये थे।

साल 2016 में जब साईंबाबा के परिवार ने उनके सेहत से जुड़े हालातों का हवाला कोर्ट में दिया और उनकी रिहाई की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) से उन्हें उचित सुविधायें मुहैया करवाने का फरमान जारी कर दिया। जिसके कुछ महीने बाद ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मेडिकल आधार पर उन्हें जमानत का आदेश दे दिया।

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