छत्तीसगढ़ में इस तरह मचा ओबीसी आरक्षण पर बवाल


अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के मसले पर आज छत्तीसगढ़ में जमकर बवाल कटा। ओबीसी समुदाय से जुड़े कई सांस्कृतिक संगठनों ने छत्तीसगढ़ ने भारी प्रदर्शन कर इस मामले पर अपना रोष जाहिर किया। धरना प्रदर्शन और बंद का आवाह्न छ्त्तीसगढ़ आरक्षण मंच की ओर से किया गया था। बंद को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े दूसरे समूहों का भी खुला समर्थन मिला। 

ये है पूरा मामला 

छत्तीसगढ़ सरकार ने जनसंख्या के आधार बनाते हुए आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की प्रशासनिक अनुशंसा की थी। जिसके तहत ओबीसी समुदाय को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए प्रावधान निर्धारित किये गये थे। बिलासपुर उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण के जनसंख्यिकी पक्ष को सिरे से खाऱिज कर दिया। फिलहाल छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का ही लाभ मिल रहा है। 


सामने आये कई संगठन और राज्य की जातीय राजनीति के कई बड़े चेहरे 

पूरे विरोध प्रदर्शन के दौरान रायपुर में 19 जातीय संगठनों ने अपनी ताकत की ताल ठोंकी। इन सभी लोगों ने आंबेडकर चौक पर आकर बाबा साहब की प्रतिमा के नीचे अपना विरोध जाहिर किया। इस महाबंद के दौरान साहू संयोजक पिछड़ा वर्ग, छत्तीसगढ़ साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन हिरवानी, अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ व प्रगतिशील सतनामी समाज के अध्यक्ष एलएल कोशले, आदिवासी समाज के संरक्षक पूर्व आईएएस अधिकारी नवलसिंह मंडावी और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ हमित उल्ला खान ओबीसी आरक्षण के पक्ष में खड़े दिखे। 


नियन्त्रित ढ़ंग से किया गया प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शन काफी नियन्त्रित तरीके से किया गया था। इससे आम जनता को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। प्रदेश भर में इस बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला। छ्त्तीसगढ़ आरक्षण मंच को नैतिक समर्थन देते हुए कोरबा में सभी व्यापारियों ने अपने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखे। दूसरी आम जनता की बुनियादी सहूलियतों को देखते हुए स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स पर बंद लागू नहीं किया गया। आंदोलनकारियों के मुताबिक अगर उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो आगे आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। 


इसी मसले को लेकर ट्विटर पर दो हैशटैग ट्रैंड होते दिखे। #आरक्षण_बचाओ_संविधान_बचाओ ये पहले स्थान पर काब़िज दिखा ठीक दूसरे पायेदान पर #आरक्षण_हटाओ_देश_बचाओ हो रहा था। इन दोनों विरोधाभासी हैशटैग पर लोगों ने अपनी बेबाक राय रखी।

कांबळे संदीप ट्विटर पर लिखते है कि आरक्षण कोई भीख नहीं है। ये हमारा बुनियादी हक़ है। कई जातियां आज भी इसलिए पिछड़ी है क्योंकि कई पीढ़ियों तक उनका शोषण किया गया है।


— कांबळे संदीप (@kamblesandeep12) November 13, 2019

अम्बेडकर एफसी नाम से एक यूजर लिखते है कि क्या मुझे कोई बतायेगा कि ओबीसी बुद्धिजीवी नहीं होते क्या ? तो फिर यहाँ पर उनका प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है।

#आरक्षण_बचाओ_संविधान_बचाओ
Can anyone say this OBC has no intellectual mind ..
Than why they have no representation …@SpArajesh pic.twitter.com/NVnizHteqa

— #Ambedkar FC (@FanBabaSahabDa) November 13, 2019

भूपेन्द्र आर्य लिखते है कि, समानता लाओं देश बचाओ और साथ ही पीएम मोदी की एक फोटो भी साझा करते है।

— Bhupendra Arya (@Bhupend58244749) November 13, 2019

इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल का औपचारिक बयान ट्विटर पर आता है। आरजेडी के मुताबिक जाति ही गरीबी का बड़ा कारण है। कई सालों तक लोगों के जातीय आधारों पर ही काम करने के लिेए मजबूर किया जाता था।

Poverty is related to castes because occupation were restricted based on castes for centuries!

That’s why caste based reservation is necessary in India!

10% EWS reservation is faulty because Upper castes faced no restrictions or discrimination!#आरक्षण_बचाओ_संविधान_बचाओ

— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) November 13, 2019

दूसरी ओर #आरक्षण_हटाओ_देश_बचाओ वाले हैशटैग पर भी काफी कड़ी प्रतिक्रियायें देखने को मिली। राजीव रंजन झा दिग्गज नाम से यूजर्स इस मसले पर चुटकी लेते हुए ओबीसी आरक्षण के विरोध में ये चुटकुला साझा करते है।

— राजीव रंजन झा दिग्गज (@rajeevicaktr) November 13, 2019

विकास नाम से एक यूजर लिखते है कि, जो बोयेगा, वो काटेगा।

— वि_KAS (@Boletoh_Vikas) November 13, 2019

सुषमा शर्मा लिखती है कि ये म्यूजिकल चेयर का गेम कितना लंबा चलेगा। आरक्षण सिर्फ आर्थिक तौर पर गरीब लोगों के लिए होना चाहिए यहीं सूत्र देश में समानता लायेगा।

How long will we continue to play “Musical – Chair”?

Reservation should be only for poor class people,that’s EQUALITY.#आरक्षण_हटाओ_देश_बचाओ pic.twitter.com/vrNlqReFLd

— Sushma Sharma (@SushOlwayzkhush) November 13, 2019

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