2024 के चुनावों में BJP को पटखनी देने में कामयाब होगी विपक्षी एकता ?, पटना से हुई कवायदों की शुरूआत

न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिये एकजुट भाजपा (BJP) विरोधी मोर्चा शुरू करने के लिये बीते शुक्रवार (23 जून 2023) को पटना (Patna) में हुई मेगा बैठक के लिए लगभग 17 विपक्षी दल एक साथ एक मंच आये। जबकि कई शीर्ष नेताओं ने सत्तारूढ़ दल के खिलाफ अपनी संभावनाओं पर विश्वास ज़ाहिर किया। इस बैठक के दौरान कई दरारें दिखाई दे रही थीं जो कि विपक्ष के आरोप को उनकी सियासी पटरी से उतार सकती हैं।

बैठक की मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने अपने पटना वाले घर पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के साथ की। इस दौरान विपक्षी राजनीतिक दलों के 32 से ज्यादा नेता बैठक में मौजूद थे। इस दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, आरएलडी संरक्षक लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, सीपीआई-एम नेता सीताराम येचुरी, झारखंड के सीएम और जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव, शिव सेना-यूबीटी के उद्धव ठाकरे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, सीपीआई महासचिव डी राजा, सीपीआई (एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) और सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने अपनी खास मौजूदगी दर्ज करवायी।

रालोद नेता जयंत चौधरी (Jayant Chowdhary) ने तयशुदा पारिवारिक कार्यक्रम की वज़ह से बैठक में शामिल नहीं हुए। जिन लोगों को इस बैठक का न्यौता नहीं भेजा गया था, उनमें बीएसपी की मायावती, बीजेडी के नवीन पटनायक (Naveen Patnaik), बीआरएस के के.चंद्रशेखर राव (K. Chandrasekhar Rao) और वाईएसआरसीपी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) शामिल हैं। मामले पर नीतीश ने कुमार ने कहा कि कम से कम 10 और पार्टियां जल्द ही विपक्षी मोर्चे में शामिल होंगी।

नीतीश कुमार ने संयुक्त प्रेस बैठक में ऐलान किया कि विपक्षी दल साझा एजेंडे और राज्य वार रणनीति पर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि हर राज्य के लिये अलग-अलग योजनायें बनाई जायेगी। टीएमसी (TMC) की ममता बनर्जी ने कहा कि सभी दलों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि जहां भी राष्ट्रीय पार्टी सबसे मजबूत है, वो कांग्रेस का समर्थन करें।

बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी को लड़ाई की अगुवाई करना चाहिये। उन्होंने कांग्रेस से सीट बंटवारे में उदारता बरतने की भी गुज़ारिश की। द्रमुक (DMK) के स्टालिन ने कहा कि हालांकि चेन्नई (Chennai) में एक साथ आने का संकल्प लिया गया था, लेकिन 2024 के लिये एक साझा प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।

इस दौरान आप और कांग्रेस के बीच दरार विपक्ष की बैठक के लिये परेशानी का सबब बनी रही। आप ने एक बयान में कहा कि दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश के विवाद पर कांग्रेस पार्टी का रूख़ साफ नहीं है, ये उनके असर इरादे पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है।

आप ने कहा कि भविष्य में ऐसी किसी भी बैठक का हिस्सा बनना उसके लिये मुश्किल होगा जब तक कि कांग्रेस सार्वजनिक रूप से अध्यादेश के मुद्दे पर अपना समर्थन नहीं देती और ये ऐलान नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा (Rajya Sabha) में अध्यादेश का विरोध करेंगे।

ट्रेंडी न्यूज नेटवर्क को अपने सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने इस मुद्दे पर सैद्धांतिक समर्थन दिया है। वो बाद में इसका ऐलान करेगें। कथित तौर पर मौजूद सभी विपक्षी दल के सदस्य इस मुद्दे पर कांग्रेस की राय से सहमत थे। इस दौरान केजरीवाल ने किसी भी वक्त बैठक से बाहर निकलने की धमकी नहीं दी।

मौजूदा लोकसभा में इन विपक्षी दलों की संयुक्त ताकत 543 सीटों में से 200 से भी कम है। भाजपा को 300 से ज़्यादा सीटों का प्रचंड बहुमत हासिल है। कांग्रेस को विपक्षी एकता के बड़े नेता और भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जाता है। पिछले आम चुनाव में उसे सिर्फ 52 सीटें मिलीं। ये साल 2014 के चुनावी प्रदर्शन के मुकाबले मामूली सा सुधार था, जब उसने अब तक की सबसे कम 44 सीटें ही जीती थीं। कार्ययोजना तैयार करने के लिये विपक्ष की अगली बैठक 10-12 जुलाई के आसपास शिमला (Shimla) में होगी। इसकी अध्यक्षता कांग्रेस प्रमुख खड़गे करेंगे।

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