Vedic Niyam For Food: जीवन की आधारशिला भोजन की बुनियाद पर रखी गयी है। समस्त जीव पोषण के लिये इसी पर निर्भर करते है। भोजन हमें ऊर्जावान बनाता है, जिसकी सहायता से मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष से जुड़ी गतिविधियों में लिप्त रहता है। माँ अन्नपूर्णा और माँ शाकुम्भरी (Goddess Annapurna and Goddess Shakumbhari) अन्न शाक और फलों से सीधे जुड़ी हुई है। इसलिये कहा जाता है अन्नपूर्णा हुई जग पाला। ऐसे में भोजन से जुड़े कुछ वैदिक नियम है, जिनका पालन सभी करना चाहिये।
ॐ ब्रहमार्पणं ब्रहमहविर्ब्रहमाग्नौ ब्रहमणा हुतम् ।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रहमकर्मसमाधिना ॥
ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु ।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
भोजन सम्बन्धी नियम
1. पांच अंगो (दो हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे।
2. गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है।
3. प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है।
4. पूर्व और उत्तर दिशा की ओर ही मुंह करके ही खाना चाहिये।
5. दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है।
6. पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।
7. शैय्या पर हाथ पर रख कर, टूटे फूटे बर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिये।
8. मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल और वट वृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिये।
9. परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिये।
10. खाने से पूर्व अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिये।
11. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले 3 रोटियां अलग निकाल कर (गाय, कुत्ता, और कौवे हेतु) फिर अग्नि देव का भोग लगाकर ही घर वालों को खिलाये।
12. ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीन भाव और द्वेष भाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।
13. आधा खाया हुआ फल और मिठाईयां आदि पुनः नहीं खानी चाहिये।
14. खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिये।
15. भोजन के समय मौन रहे।
16. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाये।
17. रात्रि में भरपेट न खाये।
18. गृहस्थ को 32 ग्रास से ज्यादा नहीं खाना चाहिये।
19. सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन और आखिर में कड़वा खाना चाहिये।
20. सबसे पहले रसदार, बीच में गरिस्थ और आखिर में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे।
21. थोड़ा खाने वाले को --आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुन्दर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है।
22. जिसने ढ़िढोरा पीटकर खिलाया हो वहां कभी न खाये।
23. कुत्ते का छुवा, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राद्ध का निकाला, बासी, मुंह से फूक मरकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन, अनादर युक्त और अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे।
24. कंजूस का, राजा का, वैश्या के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिये।