UP Election 2022: पिछली बार बीजेपी (BJP) ने जिन 58 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी, समाजवादी पार्टी ने जहां 2 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं बसपा (BSP) ने 2 और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने एक सीट जीती। लेकिन इन्हीं सीटों पर वोटिंग का पैटर्न बिल्कुल अलग दिख रहा था।
इन सीटों पर वोटिंग के दौरान मुस्लिम वोटरों ने जोरदार तरीके से वोट किया. जबकि हिंदू वोटरों (Hindu voters) में उत्साह कम नजर आया। मतदान केंद्रों पर मुस्लिम मतदाताओं (Muslim voters) की ये लंबी कतारें साफ देखी गयी।
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का फार्मूला अस्सी-बीस था। यानि बीजेपी 20 फीसदी मुस्लिम वोटरों को छोड़कर बाकी के 80 फीसदी हिंदू वोटरों को एकजुट करने पर लगी थी लेकिन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने 20 फीसदी मुस्लिम वोटरों को एकजुट रखा और 80 फीसदी हिंदू वोटरों को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया और इसके लिये उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग को दमदार तरीके से अंजाम दिया। मसलन मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) की मुस्लिम आबादी 41 फीसदी है, लेकिन इस जिले की छह विधानसभा सीटों पर अखिलेश यादव ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया।
मौटे तौर अनुमान है कि मुस्लिम मतदाताओं ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) की राष्ट्रीय लोक दल के पक्ष में एकजुट होकर मतदान किया यानि मुट्ठी भर मुस्लिम वोटर दूसरी पार्टियों में गये होंगे लेकिन ज्यादातर मुसलमानों ने गठबंधन को वोट दिया। इन सीटों पर मुसलमानों के अलावा जाट समुदाय (Jat community) के वोटों का भी अच्छा खासा प्रभाव है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) की कुल 71 सीटों में से 29 ऐसी सीटें हैं जिन पर अगर मुस्लिम और जाट मतदाता मिलकर किसी पार्टी को वोट देते हैं तो उस पार्टी के उम्मीदवार की जीत निश्चित मानी जाती है। साफ दिखा कि मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर मतदान किया। वहीं बीजेपी शायद जाट वोटरों को भी तोड़ने में नाकाम रही। ग्राउंड जीरो पर दिखे हालातों के आधार पर फिलहाल ये अनुमान लगाया गया।
इसके मुताबिक करीब 65 फीसदी जाट मतदाताओं ने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की पार्टी को वोट दिया। वहीं 35 फीसदी जाट वोटर बीजेपी के साथ गये। यानि ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव मुस्लिम और जाट वोट बैंक की सोशल इंजीनियरिंग करने में कामयाब रहे हैं।
आप ये भी कह सकते हैं कि पहले चरण के मतदान में मुस्लिम मतदाता एकजुट थे, लेकिन हिंदू वोट बंट गये और अगर सच में ऐसा हुआ है तो अखिलेश यादव के लिये ये बेहद अच्छी खबर है। भाजपा विधायकों ने पार्टी छोड़ दी और इन सीटों पर कई विधायकों के टिकट नहीं काटे। यानि योगी और बीजेपी के खिलाफ कोई लहर नहीं थी लेकिन कुछ विधायकों के खिलाफ लहर चल पड़ी है। पहले चरण की 58 सीटों में से बीजेपी ने सिर्फ 14 विधायकों के टिकट काटे हैं।