Colleges की बढ़ती मनमानी पर University सख्त, दिया बयान

नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): कोरोना संकट और लॉकडाउन (Corona Crisis and Lockdown) के बीच तकरीबन हर शख़्स की माली हालत काफी खराब है। एक दो सैक्टर्स को छोड़ दिया जाये तो सभी में आर्थिक तंगी (economic crunch) साफतौर पर देखी जा सकती है। इन हालातों के बीच खुद पीएम मोदी ने कई संस्थानों से उदार रवैया अख्तियार करने की अपील की थी। जिससे कि संकट काल के दौरान लोगों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ (Additional financial burden) ना पड़े। सीबीएसई (CBSE) सहित कई राज्यों के सीनियर सेकेंडरी बोर्ड्स (Senior Secondary Boards) ने निजी स्कूलों द्वारा जबरन फीस उगाही करने की कवायद पर विशेष ध्यान रखा। जिसके तहत कई राज्यों में विशेष समितियों (Special committees) का गठन किया गया।

लेकिन राजधानी दिल्ली में गुरू गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (Indraprastha University) से संबंद्ध Management Education & Research Institute (MERI) ने छात्रों को फीस बढ़ोतरी का फरमान जारी कर दिया। जिसके तहत बीबीए (तीसरे सेमेस्टर) और बीबीए (पांचवे सेमेस्टर) की फीस में पिछले साल की तुलना में 14,700 रूपये की बढ़ोत्तरी की गयी। ठीक इसी तरह एमबीए (तीसरे सेमेस्टर) और एमसीए (पांचवे सेमेस्टर) की सालाना फीस में 24,000 रूपये की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। गुरू गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त MERI निजी शैक्षणिक संस्थान है।

Note 01 3
Note 02 1

मामले की छानबीन के लिए जब टैन्ड्री न्यूज की टीम (Trendy News Team) इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय पहुँची तो, विश्वविद्यालय से जुड़े अधिकारियों ने ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार किया। साथ ही आश्वासन दिया कि, मामला हमारे संज्ञान में आया है, यदि ऐसा है तो Management Education & Research Institute के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) की जायेगी।

किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य और लोकतान्त्रिक देश में शिक्षा मुनाफा कमाने का जरिया नहीं होना चाहिए। ऐसे में यदि विश्वविद्यालय की नाक के नीचे उनकी जानकारी के बगैर संबंद्ध निजी शैक्षणिक संस्थान (Affiliated private educational institute) मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूल रहा है तो, ये अपने आप में गंभीर मसला है। साथ ही ये विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। कोई भी सरकारी शिक्षा संस्थान आंख बंद करके मान्यता और संबंद्धता (Recognition and affiliation) बांटकर अपने प्रशासनिक कर्तव्यों से पल्ला नहीं झाड़ सकता है। विश्वविद्यालय से जुड़े अधिकारियों को खुद ऐसे निजी शैक्षणिक संस्थान का दौरा करना चाहिए। और छात्रों से फीस और अन्य जरूरी नीतिगत विषयों पर बातचीत करनी चाहिए। वरना यूं ही शिक्षा माफिया (Education mafia) अभिभावकों के पैसों की गाढ़ी कमाई लूटता रहेगा। गौरतलब है कि इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली सरकार के अधीन काम करता है, ऐसे में सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को शिक्षा माफिया के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More