Testicles Problem: सैक्स लाइफ की है ये बेहद आम समस्या, जानें इसके बारे में

आज के युवाओं में सेक्स समस्याओं में एक प्रमुख समस्या है- अंडकोषों (Testicles Problem) का छोटा होना। कुछ लोगों का एक अंडकोष छोटा होता है और कुछ लोगों के दोनो अंडकोष छोटे होते है और कुछ लोग ऐसे होते भी हैं जिनके अंडकोष सही होते है और वहम की वज़ह से वैसे ही परेशान रहते हैं। बहुत से लोग इस बीमारी से बहुत परेशान है क्योंकि ऐसे लोग बहुत से डॉक्टर्स को दिखा चुके हैं, बहुत सी दवा ले चुके है। वैद और नीम-हकीमों से अपना इलाज करवा चुके है और बीमारी में कोई भी आराम नही मिला है।

सबसे पहले हमको ये पता होना चाहिए कि अंडकोष का साइज़ कितना बड़ा होना चाहिए ?

अंडकोष का साइज़ छोटा होने पर क्या परेशानी होती है?

अंडकोष का साइज़ कैसे बढ़ता है?

अंडकोष का साइज़ छोटा रहने का क्या कारण है और इसका क्या इलाज है?

आमतौर पर एक इंसान के अंडकोष का साइज़ एक मध्यम आकार के आड़ू की गुठली जितना होता है और दोनों अंडकोष का साइज़ बराबर होता है। कुछ लोगों का अंडकोष का साइज़ हल्का सा छोटा भी हो सकता है अगर उनका शरीर का वजन कम है या शरीर कमजोर है। अगर शरीर का वजन और बनावट सही है और आपके अंडकोष का साइज़ कम है तो आप इस बीमारी से ग्रस्त है।

जिस इंसान के अंडकोष का साइज़ छोटा होता है उनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या (Sperm Count In Semen) बहुत कम होती है और उनके वीर्य में बच्चा पैदा करने की शक्ति नही होती या शुक्राणुओं की संख्या ज़ीरो होती है। ये लोग संतान पैदा नहीं कर पाने की वजह से बहुत परेशान रहते हैं। समाज के लोग पति और पत्नी में तरह तरह की कमी बताते हैं, कई बार तो लोग पुरुष को नपुंसक कहने लगते है और औरत को बांझ कहते है।

कुछ लोगों के अंडकोष का साइज़ जन्म से ही छोटा होता है लेकिन उम्र के साथ साथ इनका साइज़ नॉर्मल हो जाता है लेकिन कुछ लोगों के अंडकोष का साइज़ छोटा ही रह जाता है जो बाद में परेशानी का कारण बनता है। कुछ लोगों के अंडकोष का साइज़ सही (नॉर्मल) होता है लेकिन 15-20 की उम्र में वो लोग अपने हाथों का भरपूर प्रयोग करते हैं मतलब वो लोग खूब हस्तमैथुन (Excessive Masturbation) करते है। कुछ लोग तो एक दिन में 4-5 बार भी अपने हाथों का प्रयोग करते हैं। हस्तमैथुन के समय हाथ के दवाब और हाथ की गर्मी से लिंग की नाजुक नसें दब जाती है और कुछ नसें मर जाती है।

नसों के मर जाने की वजह से नसों में खून का प्रवाह या तो खत्म हो जाता है या बिल्कुल ही कम हो जाता है। अंडकोष में खून का प्रवाह कम होने से ऑक्सीजन का प्रवाह भी बहुत कम हो जाता है या रूक जाता है। आप सभी लोग जानते हैं कि शरीर में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन (Circulation Of Oxygen) खून से ही होता है और आक्सीजन के बिना शरीर का विकास नहीं हो सकता। हस्तमैथुन के बहुत दुष्प्रभाव होते है। कई बार उन लोगों को भी अंडकोष के छोटे होने की समस्या आ जाती हैं जो खेलकूद में चोट का शिकार हो जाते हैं। खेलकूद में भी चोट लगने से नसें दब जाती है, जिसकी वजह से भी अंडकोष का विकास रूक जाता है।

अंडकोष के साइज़ को सामान्य करने का नुस्ख़ें

सबसे पहला तरीका है कि आप अपने अंडकोष और आसपास की जगह को गरम पानी से धोयें। यहाँ गरम पानी का मतलब है गुनगुना पानी। 10-15 मिनट तक सिकाई करें। उसके बाद आप तौलिये से पोंछ ले और तेल से मालिश करें। आप सरसों के तेल से मालिश करें। बहुत अच्छे नतीज़े पाने के लिए आप तेल का मिश्रण बना लें (लौंग का तेल + जायफल का तेल + मैकंज का तेल + काले तिल का तेल+ दालचीनी का तेल)

अंडकोष के साइज़ को नॉर्मल करने का दूसरा तरीका है अंडकोष और उसके आसपास की जगह में खून के प्रवाह को बढ़ाना और नसों की ब्लॉकेज (Blockage Of Nerves) को दूर करना। अब मन में सवाल उठता है कि खून के प्रवाह को कैसे बढ़ाया जाये और ब्लॉकेज को कैसे दूर किया जाये। इसके लिए आयुर्वेद में एक बहुत ही आसान सा फ़ॉर्मूला दिया गया है। जो कि इस तरह है।

(अश्वगंधा+कौंच बीज+सफेद मूसली+जायफल+सातावरी+तेजपत्ता+शिलाजीत+कालीमिर्च+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+सौंठ+काली मूसली+इलायाची+केसर)

आप ये इन सभी जड़ी बूटियों को सही और बराबर मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें और सुबह और शाम 2-3 ग्राम सुबह नाश्ते के घंटे भर के बाद दूध के साथ लें और इतनी ही मात्रा रात के खाने के बाद गरम दूध के साथ लें।  इससे आपको 7-8 दिन में ही असर आना शुरू हो जायेगा।

इस नुस्खें से आपके अंडकोष ओर लिंग की नसों में खून का प्रवाह बढ़ जायेगा। जिसे आप खुद भी महसूस करेंगे। इसके बाद आप बाज़ार से अच्छी कंपनी का वैक्यूम पंप खरीदें। इस पंप से आप अपने लिंग और अंडकोष को थोड़ा थोड़ा खींचें। ध्यान रहें कि आप थोड़ा थोड़ा ही खींचे। इससे आपका ब्लड सर्क्युलेशन नॉर्मल होना शुरू हो जायेगा (ध्यान रहें कि आपको पंप का प्रयोग दवा शुरू करने के 20 दिन बाद शुरू करना है)

वैक्यूम पंप का प्रयोग एक महीने  तक करना है और दवा का इस्तेमाल आपको 02 महीने तक करना है ताकि आपके इलाज में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना रहें। इस इलाज को करने के एक महीने के बाद आप अपना स्पर्म काउंट (Sperm Count) चेक करवायें और पहले और बाद का फ़र्क देखें।

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