सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा- Corona Vaccine लगवाने के लिये किसी को भी मजबूर ना किया जाये

न्यूज डेस्क (ताराना बोस): देश में कोविड -19 मामलों की संख्या फिर से बढ़ रही है और एक कोशिश के तौर पर केंद्र सरकार ने टीकाकरण की रफ्तार को तेज करने और कोविड -19 प्रतिबंधों में से कुछ को फिर से लागू करने का फैसला लिया, जो कि तीसरी लहर के बाद हटा दिये गये थे, जब महामारी थमती दिख रही थी।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज (2 मई 2022) कहा कि किसी भी शख़्स को कोविड -19 के खिलाफ टीका (Corona Vaccine) लगाने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है और केंद्र सरकार से इस तरह के टीकाकरण के प्रभाव को सार्वजनिक करने के लिये भी कहा गया।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई (Justice L. Nageswara Rao and Justice B.R. Gavai) की अगुवाई वाली न्यायिक पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा कोविड -19 वैक्सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित नहीं कहा जा सकता है।

पीठ ने कहा कि, “संख्या कम होने तक, हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाये और सार्वजनिक इलाकों तक पहुंच कर बिना टीकाकरण (Vaccination) वाले व्यक्तियों पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाये अगर पहले से ऐसा नहीं किया गया है, तो उन्हें वापस बुला लिया जाये।”

ये कहा गया है कि वैक्सीन टेस्टिंग डेटा (Vaccine Testing Data) को अलग करने के संबंध में, व्यक्तियों की गोपनीयता के अधीन, सभी परीक्षण किये गये और बाद में आयोजित किये जाने के लिये सभी डेटा को बिना किसी देरी से जनता के लिये उपलब्ध कराया जाना चाहिये। शीर्ष अदालत ने केंद्र को व्यक्तियों के डेटा से समझौता किये बिना सार्वजनिक रूप से सुलभ प्रणाली पर जनता और डॉक्टरों से टीकों की प्रतिकूल घटनाओं पर रिपोर्ट प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने जैकब पुलियेल (Jacob Pulleyl) द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें कोविड -19 टीकों और टीका लगवाने के बाद के क्लिनिकल ट्रायल्स के डेटा (Data From Clinical Trials) को सार्वजनिक करने से जुड़े निर्देश देने की मांग की गयी थी।

बता दे कि देश में कोविड -19 मामलों की तादाद हर दिन बढ़ रही है, देश में 3,000 नये कोरोनोवायरस मामले सामने आ रहे हैं। कोविड -19 मामले की सकारात्मकता दर दो महीने के बाद फिर से एक प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है। कई राज्यों जिन्होंने पहले मास्क हटाने का फैसला किया था, ने सार्वजनिक स्थानों पर एक बार फिर से फेसमास्क (Facemask) अनिवार्य करने का फैसला किया है क्योंकि कोविड -19 मामले भारत में चौथी लहर का डर बढ़ रहे हैं।

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