Rift Valley Fever: जानवरों से इंसानों में फैलता रिफ्ट वैली फीवर, CRISPR तकनीक ने किया वायरस डिकोड

हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): Rift Valley Fever: जहां एक ओर दुनिया कोविड -19 वायरस से जूझ रही है, वहीं वैज्ञानिकों ने एक और वायरस की खोज की है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। नये वायरस को रिफ्ट वैली फीवर (RVF) वायरस कहा जाता है। वैसे तो ये मुख्य रूप से गाय, भैंस, भेड़, बकरी जैसे जानवरों में फैलने वाली बीमारी है, लेकिन इंसानों में इससे संक्रमित होने के कई मामले सामने आये हैं।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय (University of Washington) में अमेरिका के शोधकर्ताओं ने घातक रिफ्ट वैली फीवर  वायरस के नये प्रकोप की और आगे ये इंसानी कोशिकाओं को सीधे कैसे संक्रमित करता है, इसकी खोज की है। इस खोज में शामिल प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक कश्मीर के वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर सफदर गनी (Virologist Dr Safdar Ghani) हैं। गनी और उनके सहयोगियों द्वारा की गयी खोज को सेल मैगजीन में पब्लिश किया गया है।

वैज्ञानिकों ने अब ये पता लगा लिया है कि ये वायरस इंसानी शरीर को कैसे संक्रमित करता है, जिससे उम्मीद जगी है कि अब जल्द ही इस वायरस पर काबू पाया जा सकेगा। हालांकि रिफ्ट वैली (आरवीएफ) वायरस के ज्यादातर मामले अफ्रीकी मुल्कों से सामने आये हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने इसे उन बीमारियों की लिस्ट में रखा है, जो निकट भविष्य में महामारी का रूप ले सकती हैं।

ये अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग (University of Pittsburgh), यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी (MIT) के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से किया है। इस टीम में कश्मीर के वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर सफदर गनी भी शामिल हैं, जिन्होंने कश्मीर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री हासिल की थी।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ये वायरस पालतू जानवरों के बीच मच्छरों से फैलता है, जो बाद में इंसानों में चले जाते हैं। आरवीएफ के असर से जानवरों में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और कई मामलों में ये जानलेवा भी साबित होता है। ये जानवरों के खून, एक्सटर्नल ब्लीडिंग और टिश्यू (External Bleeding And Tissue) के जरिये इंसानों में फैलता है।

खोज के दौरान ये भी पाया गया कि रिफ्ट वैली फीवर वायरस मच्छरों से फैलता है और प्रोटीन के माध्यम से इंसानी कोशिकाओं में घुसपैठ करता है। जब कोई मच्छर किसी संक्रमित जानवर को काटता है और फिर किसी इंसान को काटता है तो उसके जरिये रिफ्ट वैली फीवर वायरस इंसानों तक पहुंचता है।

आरवीएफ वायरस मच्छर के काटने के बाद फैलने लगता है और फिर मानव कोशिकाओं में एक प्रोटीन के जरिये ये घुसपैठ करता है जो कि आमतौर पर कम डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (Lipoprotein) को हटाने में शामिल होता है। लिपोप्रोटीन प्रोटीन और फैट से बने पदार्थ होते हैं, जो आपके ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ले जाते हैं।

अध्ययन अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर गनी और उनकी टीम द्वारा सीआरआईएसपीआर (CRISPR) तकनीक का इस्तेमाल करके 20,000 सामान्य जीन को रोककर किया गया था। इसके बाद ये पाया गया कि वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित करने में नाकाम रहा, जिनमें एलडीएल रिसेप्टर-संबंधित प्रोटीन 1, या एलआरपी1 के लिये जीन की कमी थी।

रिपोर्ट में बताया गया कि आरवीएफ रोग की वज़ह से अफ्रीका में गर्भवती महिलाओं में गर्भपात 4.5 गुना बढ़ गया है। साथ ही समय से पहले बच्चे पैदा हो रहे हैं।

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