G20 से ठीक पहले दिल्ली में हो सकती है Quad नेताओं की मुलाकात, गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हो सकते है क्वाड लीडर्स

नई दिल्ली (देवांगना प्रजापति): राष्ट्रपति जो बिडेन इस वीकेंड होने जा रहे G20 शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार (8 सितम्बर 2023) को नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। सामने ये भी आ रहा है कि मोदी सरकार क्वाड समूह (Quad Group) के नेताओं को अगले वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के लिये न्यौता देने पर विचार कर रही है। मोदी और बाइडेन की मुलाकात का आखिरी फैसला राष्ट्रपति बिडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बनीस और जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा (Australian Prime Minister Anthony Albanese and Japanese Prime Minister Fumio Kishida) की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही लिया जायेगा।

गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर मुख्य अतिथि बनने का न्यौता मोदी सरकार के नज़रिये से प्रतीकात्मक है। नई दिल्ली (New Delhi) गणतंत्र दिवस के लिये अपना मुख्य अतिथि तय करने के लिये आतिथ्य सत्कार की रणनीति बना रही है। हर साल मुख्य अतिथि का चुनाव कई कारणों से तय होता है, जिनमें रणनीतिक-कूटनीतिक, व्यावसायिक हित और अंतर्राष्ट्रीय भूराजनीति जैसे फैक्टर अहम है।

औपचारिक न्यौता आमतौर पर नेताओं की अनौपचारिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही भेजा जाता है। भारतीय पक्ष उसी तर्ज पर काम कर रहा है क्योंकि क्वाड समूह के सभी तीन नेता जी20 शिखर सम्मेलन के लिये दिल्ली आएंगे। अगले साल क्वाड लीडर्स समिट (Quad Leaders Summit) की मेजबानी करने की बारी भारत की है।

फिलहाल तीनों नेताओं का आगे का कार्यक्रम काफी व्यस्त है। बिडेन 2024 के आखिर तक चुनावी साल की ओर बढ़ रहे होंगे और अमेरिका में चुनाव से पहले जनवरी उनका आखिरी स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन (State of the Union Address) होगा। ऑस्ट्रेलियाई सरकार 26 जनवरी को अपना राष्ट्रीय दिवस भी मनाती है, क्योंकि ये द्वीप महाद्वीप पर पहली स्थायी यूरोपीय बस्ती की स्थापना का सम्मान करती है। अल्बानीज़ गणतंत्र दिवस जैसे सार्वजनिक समारोहों में व्यस्त रहेंगे।

जापान का डाइट (संसद) सत्र आमतौर पर जनवरी के आखिरी हफ्ते में खुला रहता है और प्रधानमंत्री किशिदा के बजट सत्र के पहले हफ्ते में वहां मौजूद रहने की उम्मीद है। फिलहाल अगले साल 150 दिवसीय सत्र 23 जनवरी से निर्धारित है। अगर सभी क्वाड नेताओं को एक साथ लाने की ये योजना सफल होती है तो यह चीन (China) के लिये एक मजबूत संकेत होगा, जिसके हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific region) में आक्रामक रवैये ने चारों देशों को एक साथ एक मंच ला खड़ा किया है।

बिडेन आज (7 सितंबर 2023) G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये नई दिल्ली जायेगें। वो शुक्रवार को मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे, साथ ही शनिवार और रविवार को शिखर सम्मेलन सत्र में भाग लेंगे। हाल ही में वाशिंगटन (Washington) में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (US National Security Advisor Jake Sullivan) ने कहा कि बिडेन उभरते बाजार भागीदारों के साथ बड़ी चीजों को पूरा करने के लिये काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ”हमारा मानना है कि दुनिया इस हफ्ते के अंत में नई दिल्ली में यही देखेगी।”

सुलिवन ने आगे कहा कि- ”G20 के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता कम नहीं हुई है और उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन दिखायेगा कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थायें चुनौतीपूर्ण वक्त में भी मिलकर काम कर सकती हैं। इसलिए जैसे ही हम नई दिल्ली जा रहे हैं, हमारा ध्यान विकासशील देशों के लिये काम करने पर होगा। जलवायु से लेकर प्रौद्योगिकी तक, अमेरिकी लोगों के लिये प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रगति करना। प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व और भारत के राष्ट्रपति पद के लिये धन्यवाद, हमें उम्मीद है कि हम वो सभी चीजें करने में सक्षम होंगे।”

शिखर सम्मेलन में अमेरिका मेज पर क्या ला रहा है, इस पर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि- “G20 में जाने के लिये अमेरिका का मुख्य फोकस बहुपक्षीय विकास बैंकों, खासतौर से विश्व बैंक और आईएमएफ को मौलिक रूप से नया आकार देने और बढ़ाने के एजेंडे पर काम करना है।”

इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने बीते बुधवार (6 सितंबर 2023) को कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का G20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होना असामान्य नहीं है और इससे बैठक में सर्वसम्मति विज्ञप्ति तैयार करने की बातचीत प्रभावित नहीं होगी। साथ ही उन्होनें कहा कि- “G20 शिखर सम्मेलन बहुत अशांत वैश्विक माहौल के बीच आयोजित किया जा रहा है और दुनिया को कुछ गंभीर समस्याओं का समाधान खोजने के लिये G20 से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं।” 

जब विदेशमंत्री एस जयशंकर से ये पूछा गया कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति शी की गैरमौजूदगी से शिखर सम्मेलन पर कोई असर पड़ेगा, उन्होंने कहा कि- “मुझे नहीं लगता कि इसका भारत से कोई लेना-देना है। मुझे लगता है कि वो जो भी फैसला लेंगे, उन्हें सबसे बेहतर पता होगा।”

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