किसानों को हक़ देकर रहेगें- PM Modi

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने पश्चिम बंगाल के हल्दिया से विधानसभा चुनावों का शंखनाद किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होनें ममता सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि, पश्चिम बंगाल सरकार ने किसानों को उनका उचित हक़ नहीं दिया। किसानों की बैंक डिटेल केन्द्र के साथ साझा नहीं की गयी। जिससे उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिल पायी। इसके साथ ही आयुष्मान भारत जैसी योजना से किसानों को दूर रखा गया। केन्द्र सरकार किसानों को हक़ देकर रहेगी।

पीएम मोदी के आने से पहले हल्दिया में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल देखा गया। प्रधानमंत्री को पोस्टर फाड़े गये और भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले किये गये। ये सभी भाजपायी कार्यकर्ता (BJP worker) हल्दिया में आयोजित होने वाली राजनीतिक सभा में हिस्सा लेने आये थे।

बीजेपी ने इस हमले का आरोप तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लगाया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने तेल, गैस और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े 4 प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दिखाई। ये हल्दिया रिफाइनरी (Haldia Refinery) का सरकारी कार्यक्रम था। उद्घाटन की गयी इन चारों परियोजनाओं की लागत 4700 करोड़ से ज्यादा है। जिनकी कमान सार्वजनिक क्षेत्र की गैस और तेल कंपनियों के पास होगी। साथ ही प्रोजेक्ट भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से जुड़ा हुआ है। इस कार्यक्रम में नंदीग्राम आंदोलन के मुख्य रणनीतिकार शुभेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु अधिकारी भी शामिल हुए। इस सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी शामिल होना था लेकिन वो इस कार्यक्रम से नदारद दिखी।

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहीं ये अहम बातें

  • आज हम मां गंगा के एक छोर पर हैं, लेकिन जो मां गंगा का उद्गम स्थल है, वो राज्य उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है। एक ग्लेशियर टूटने की वजह से वहां नदी का जलस्तर बढ़ गया है। नुकसान की खबर है।
  • मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, देश के गृहमंत्री अमित शाह जी, NDRF के अफसरों के निरंतर संपर्क में हूं। वहां पर राहत और बचाव का कार्य चल रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।
  • उत्तराखंड में ऐसे परिवार मुश्किल से मिलते हैं जिनका कोई न कोई सदस्य फौज में न हो। यानि वहां के लोगों का हौसला, किसी भी आपदा को मात दे सकता है। उत्तराखंड के साहसी लोग के लिए मैं प्रार्थना कर रहा हूं, बंगाल प्रार्थना कर रहा है, देश प्रार्थना कर रहा है।
  • भारत सहित पूरी दुनिया को दिशा दिखाने वाले महान मनीषियों, संतों, वीरों की पावन धरा- बंगाल को मैं सर झुकाकर के नमन करता हूं।
  • पश्चिम बंगाल का विकास और यहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण केंद्र सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है। कोलकाता में साढ़े 8 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से मेट्रो प्रोजेक्ट पर तेज़ी से काम चल रहा है। इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने इस अभियान को और विस्तार दिया है।
  • इस साल के बजट में चाय बगानों से जुड़े लाखों साथियों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इनके लिए 1 हज़ार करोड़ रुपए के पैकेज की व्यवस्था की गई है। इस पैकेज का बहुत बड़ा लाभ पश्चिम बंगाल के चाय बगान से जुड़े साथियों को, विशेषतौर पर हमारी बहनों को मिलेगा।
  • गुलामी के कालखंड में भी पश्चिम बंगाल देश के सबसे विकसित राज्यों में सर्वोपरि रहा है। यहां हर प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर बाकी देश के मुकाबले बहुत मज़बूत था। उस कालखंड में भी यहां रोज़गार के, स्वरोज़गार के अनेकों अवसर थे।
  • यहां के पोर्ट्स, समुद्र के रास्ते होने वाला व्यापार, पूरे देश में इसका कोई मुकाबला नहीं था। बंगाल के लोग, यहां के किसान इतने परिश्रमी हैं, यहां की जमीन इतनी उपजाऊ है। बंगाल से पढ़कर निकले लोगों को जो इज्जत, जो गौरव आज भी मिलता है, उसकी वजह यहां की शिक्षा व्यवस्था रही है।
  • बंगाल के सामर्थ्य ने हमेशा देश को दिशा दिखाई है, देश का मार्गदर्शन किया है। आखिर क्यों बंगाल विकास की अपनी उस रफ्तार को, उस गति को बरकरार नहीं रख पाया? बंगाल पहले से जितना आगे था, अगर बीते दशकों में उसकी वो गति और बढ़ी होती, तो आज बंगाल कहां से कहां पहुंच गया होता।
  • आज यहां जितने भी उद्योग हैं, जितना भी कारोबार है, जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर है, वो बदलाव चाहते हैं, आधुनिकता चाहते हैं। लेकिन आप सोचिए, बीते 10 सालों में यहां की सरकार ने कितनी फैक्ट्रियों का शिलान्यास या उद्घाटन किया?

  • उस बड़े स्टील प्लांट का क्या हुआ जो यहां की अराजक व्यवस्थाओं के कारण शुरु ही नहीं हो सका? पश्चिम बंगाल की इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है यहां की राजनीति। आज़ादी के बाद जब पश्चिम बंगाल के विकास को नई दिशा देने की ज़रूरत थी तब यहां विकास वाली राजनीति नहीं हो पाई। पहले कांग्रेस ने शासन किया, तो भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा।
  • फिर लेफ्ट का शासन लंबे समय तक रहा, उन्होंने भ्रष्टाचार, अत्याचार बढ़ाने के साथ ही विकास पर ही ब्रेक लगा दिया। 2011 में पूरे देश की नज़रें बंगाल पर थीं। लेफ्ट की हिंसा और भ्रष्टाचार का जर्जर किला ढहने की कगार पर था। उस समय, ममता दीदी ने बंगाल से परिबर्तोन का वादा किया, उनके इस वादे ने पूरे देश का ध्यान खींचा, लोगों ने भरोसा किया। बंगाल को आस थी ममता की लेकिन मिली निर्ममता।
  • लेकिन ममता सरकार के पहले साल में ही ये साफ हो गया कि, बंगाल को जो मिला है वो परिवर्तन नहीं, लेफ़्ट का पुनर्जीवन है। वो भी सूद समेत! लेफ़्ट का पुनर्जीवन यानी, भ्रष्टाचार का पुनर्जीवन, अपराध और अपराधियों का पुनर्जीवन। हिंसा का पुनर्जीवन, लोकतन्त्र पर हमलों का पुनर्जीवन, इससे पश्चिम बंगाल में गरीबी का दायरा और बढ़ता गया।
  • बंगाल में आप दीदी से अपने अधिकार की बात पूछ देंगे तो वो नाराज़ हो जाती हैं। यहाँ तक कि भारत माता की जय के नारे लगा दो, तो भी वो नाराज़ हो जाती हैं। लेकिन देश के खिलाफ बोलने वाले कितना भी जहर उगल दें, दीदी को गुस्सा नहीं आता।
  • साजिश करने वालों की बेचैनी इतनी ज्यादा है कि भारत को बदनाम करने के लिए वो चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने की बात कह रहे हैं। टी वर्कर्स की कड़ी मेहनत पर हमला करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
  • योग जैसी भारत की विरासत, जिसे महर्षि अरबिंदो और विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने निःस्वार्थ भाव से दुनिया तक पहुंचाया, उस योग पर हमला किया जा रहा है।
  • माँ माटी मानुष की बात करने वालों में आज भारत माता के लिए आवाज़ बुलंद करने का साहस नहीं है। साहस इसलिए नहीं है क्योंकि, इतने सालों में इन लोगों ने Politics को Criminalize किया है, करप्शन को Institutionalize किया है, और प्रशासन और पुलिस को Politicize किया है।
  • अभी कुछ दिन पहले ही, मारीचझापी नरसंहार की दुखद बरसी थी। देश इस घटना को, गरीबों और दलितों के इस नरसंहार को कभी नहीं भूलेगा।
  • लेकिन बंगाल तृणमूल से ये पूछना चाहता है, जिन पुलिस वालों ने नंदीग्राम में गोलियां चलाई थीं, जिन्होंने गरीबों का खून बहाया, आप उन्हीं को पार्टी में क्यों शामिल कर रहे हैं? बंगाल पूछना चाहता है, क्या बंगाल का गरीब क्या केवल वोट लेने के लिए ही है।
  • ये वो सरकार है जो आपदा में भी भ्रष्टाचार के अवसर खोज लेती है। इससे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है? इतना बड़ा Cyclone आया-चक्रवात आया, इतना कुछ तबाह हो गया। लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने जो पैसे भेजे उसका इन लोगों ने क्या किया, ये पश्चिम बंगाल के लोग भलीभांति जानते हैं।
  • हालात ये थी कि कोर्ट तक को इस पर सख्त टिप्पणी करनी पड़ी। आप कोरोना के दौरान आए संकट को भी याद करिए। पूरी दुनिया में ऐसा कोई नहीं था जो इससे प्रभावित नहीं हुआ हो, जिसकी रोजी-रोटी पर इसका असर न पड़ा हो।
  • केंद्र सरकार ने तुरंत पश्चिम बंगाल के लाखों परिवारों के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था की। लेकिन केंद्र सरकार के भेजे राशन को भी यहां की सरकार सही तरीके से गरीबों तक पहुंचाने में असफल रही।
  • कोरोना के दौरान देशभर के किसानों के बैंक खाते में पीएम सम्मान निधि के तहत हजारों करोड़ रुपए जमा किए गए। अभी तक इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ से अधिक छोटे किसान परिवारों के बैंक खाते में 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं।
  • इसमें पश्चिम बंगाल के भी लाखों किसान परिवार हो सकते थे। लेकिन यहां के एक भी किसान को ये लाभ नहीं मिल पाया, क्योंकि यहां की सरकार ने इस योजना से जुड़ने से ही इनकार कर दिया था। सोचिए, पश्चिम बंगाल के किसानों के साथ कितना बड़ा अन्याय किया गया।
  • अब जब पश्चिम बंगाल के किसानों ने ममता दीदी को सबक सिखाने का मन बना लिया है, तो सिर्फ कहने के लिए कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने बेमन से इस योजना से जुड़ने की सहमति दे दी है।
  • किसानों के पास सीधे पैसे जाएं, इससे यहां की सरकार को कितनी दिक्कत है, ये सिर्फ एक आंकड़े से समझ आता है। बंगाल के लाखों किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ मिल सकता है। इसमें से 25 लाख से ज्यादा किसानों ने TMC सरकार के पास इस सुविधा का लाभ लेने के लिए अप्लाई किया हुआ है।
  • और यहाँ ऐसी सरकार है जिसने सिर्फ 6 हजार किसानों के नाम तय कर पाई है। सोचिए, सिर्फ 6 हजार किसान। मां-माटी-मानुष कहने वालों की संवेदनहीनता, बंगाल का हर किसान देख रहा है, महसूस कर रहा है। किसान के नाम पर कौन अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है, और कौन किसानों के जीवन से एक एक परेशानी दूर करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है, ये देश पिछले 6 साल से देख रहा है।
  • ममता दीदी की सरकार, गरीबों की चिंता से कितना दूर है, इसका एक और उदाहरण केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना है। आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरे देश के अस्पतालों में 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा से भी पश्चिम बंगाल का गरीब मरीज़ वंचित है।
  • राज्य सरकार द्वारा खड़ी की गई तमाम अड़चनों के बावजूद, केंद्र सरकार बंगाल के लोगों के विकास के लिए पूरा प्रयास कर रही है। हाईवे हों, फ्लाइओवर हों, रेल नेटवर्क हो, एयरपोर्ट हों, पोर्ट हों, जलमार्ग हों, इंटरनेट की सुविधा हो, इन सभी पर केंद्र सरकार एक बड़ी राशि खर्च कर रही है।
  • पश्चिम बंगाल का विकास तेज गति से करने के लिए यहां भी डबल इंजन की सरकार आवश्यक है। करप्शन और टोलाबाज़ी तब हटेगी, जब यहां “आसोल पोरिबोर्तोन” आएगा, जब यहां भाजपा की सरकार बनेगी।
  • ये पॉरिबॉर्तन क्या होता है, ये पड़ोस में त्रिपुरा में हम अनुभव कर रहे हैं। वहां भी पश्चिम बंगाल की ही तरह सालों तक लेफ्ट के शासन ने बर्बादी फैलाई। त्रिपुरा के लोगों ने लेफ्ट को हटाकर भाजपा पर भरोसा किया।
  • पश्चिम बंगाल सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभी लागू ही नहीं की है। राशनकार्ड धारक देश में कहीं भी अपने हिस्से का सस्ता राशन ले सके, इसके लिए वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना केंद्र सरकार चला रही है। पश्चिम बंगाल के लोगों को अब भी इसके लागू होने का इंतजार है।
  • इसका सबसे बड़ा नुकसान दूसरे राज्यों में काम कर रहे पश्चिम बंगाल के गरीब मज़दूरों का हो रहा है। 7वां वेतन आयोग भी देश के कितने ही राज्यों में लागू हो चुका है। लेकिन पश्चिम बंगाल में ये अभी तक लागू नहीं हो पाया है।
  • बंगाल फुटबाल से प्यार करने वाला राज्य है। फुटबाल की भाषा में कहना चाहता हूँ, TMC ने एक बाद एक कई फ़ाउल कर लिए हैं। Misgovernance का फ़ाउल विरोधियों पर हमले और हिंसा का फ़ाउल बंगाल के लोगों का पैसा लूटने का फ़ाउल आस्था पर हो रहे हमलों का फ़ाउल बंगाल के लोग सब देख रहे हैं।
  • बुआ-भतीजावाद को पश्चिम बंगाल से हटाने का मन आप लोग बना चुके हैं। टीएमसी के वो सभी साथी जो बुआ-भतीजावाद से परेशान हैं, वो भी वहां से निकल रहे हैं। टीएमसी के टोलाबाज, उनका सिंडिकेट, अब कुछ दिन के ही मेहमान हैं। मुझे उम्मीद है कि बंगाल का स्थानीय प्रशासन संविधान को सर्वोपरि रखते हुए ही काम करेगा। किसी को टीएमसी के टोलाबाजों से डरने की जरूरत नहीं।
  • बंगाल की धरती के गौरव के लिए भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता का त्याग, उनकी तपस्या, उनके बलिदान ने समूचे बंगाल को ये ऐहसास करा दिया है कि इस बार ‘पोरिबोर्तोन’ होकर रहेगा। बंगाल में हमारी लड़ाई टीएमसी से है, लेकिन साथ ही इनके छिपे हुये दोस्तों से भी सावधान रहना है। पहले हम खेलों में मैच फिक्सिंग की बात सुनते थे, लेकिन अब लेफ्ट, काँग्रेस और तृणमूल मिलकर राजनीति में मैच फिक्सिंग कर रहे हैं।
  • दिल्ली में लेफ्ट, काँग्रेस और तृणमूल, ये तीनो एक साथ बंद कमरों में मिलते हैं-बैठते हैं, एक साथ मिलकर रणनीति बनाते हैं। केरल में काँग्रेस और लेफ्ट ने मिलकर डील कर रखी है, 5 साल तुम लूटो, 5 साल हम लूटेंगे। लेकिन बंगाल में लेफ्ट और तृणमूल एक दूसरे से लड़ने का दिखावा करते हैं।
  • जब मैं यहां आ रहा था तो मुझे भारतीय टेनिस जगत की बड़ी हस्ती अख्तर अली साहब के कोलकाता में निधन की दुखद खबर भी मिली। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, उनके प्रशंसकों के साथ हैं।
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