पेंशन सुधार पारित किये जाने France में मचा बवाल, प्रदर्शनकारियों ने किया पुलिस पर पथराव

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): फ्रांस सरकार (French Government) की ओर से संसद में मतदान के बिना पेंशन सुधार लागू करने का फैसला लेने के बाद पेरिस में पुलिस प्रदर्शनकारियों से भिड़ गयी। रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 करने के विरोध में लोग प्लेस डे ला कॉनकॉर्ड (Place De La Concord) पर इकट्ठा हुए। जैसे-जैसे विरोध बढ़ता गया, भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश करने पर पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले दागे गये। मौके पर प्रदर्शनकारी पथराव करते नजर आये।

संसद में हंगामे के बीच पेंशन सुधार विधेयक (Pension Reform Bill) को लागू करने के लिये फ्रांसीसी सरकार की ओर से विशेष संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल किया गया क्योंकि कट्टरपंथी वामपंथी सांसदों ने फ्रांसीसी प्रधान मंत्री एलिजाबेथ बोर्न (French Prime Minister Elizabeth Borne) को बोलने से रोकने के लिये सदन में जोर से ला मार्सिलेज़ गाना शुरू कर दिया।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (President Emmanuel Macron) द्वारा संसदीय वोट से बचने और पेंशन की आयु 62 से बढ़ाकर 64 करने के लिये कानून पारित करने के लिये आखिरी वक्त में फैसला लिया गया।

फ्रांस के सांसदों के निचले सदन में वोट डालने से कुछ मिनट पहले मैक्रोन वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों के साथ कई दौर की बैठकें करने में व्यस्त थे, आखिरकर उन्होंने विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करने और मतदान का जोखिम नहीं उठाने का फैसला किया, जिसमें उनके हारने की पुख्ता संभावना थी।

मैक्रॉन ने संविधान के अनुच्छेद 49.3 का इस्तेमाल किया जो कि सरकार को संसद को बायपास करने की शक्ति देता है। वाम दलों के सांसदों इस मौके पर चिल्लाये “इस्तीफा! इस्तीफ़ा देना!” और कट्टरपंथी वाम दल फ्रांस अनबोड के सदस्यों ने राष्ट्रगान को जोर से गाया ताकि बोर्न बोलने में कामयबा न हो और सत्र स्थगित हो जाये।

संसद में बोलते हुए बोर्न ने कहा कि- “वो बिल को आगे बढ़ायेगें क्योंकि सरकार हमारी पेंशन के भविष्य को दांव पर लगाने का जोखिम नहीं उठा सकती है।”

बिल को पहले गुरुवार को सीनेट के सामने पेश किया गया था, हालांकि, नेशनल असेंबली में मौजूद दक्षिणपंथी विपक्षी सांसद मैक्रॉन का समर्थन करने के लिये रजामंद नहीं थे, इसलिये सरकार के पास निचले सदन में हार का सामना करने का एक अच्छा मौका था।

बोर्न ने इस कदम की ऐलान करते हुए कहा कि, “हम 175 घंटे की संसदीय बहस को देखने का जोखिम नहीं उठा सकते।”

धुर-दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन (Far-right leader Marine Le Pen) ने कहा कि, “ये सरकार के लिये पूरी तरह से नाकाम है। शुरुआत से ही सरकार ने ये सोचकर खुद को मूर्ख बनाया कि उसके पास बहुमत है।”

चुनावों के मुताबिक फ्रांस में लगभग दो-तिहाई नागरिक पेंशन की उम्र बढ़ने का विरोध करते हैं।

मामले पर सोशलिस्ट पार्टी के प्रमुख ओलिवियर फॉरे (Olivier Faure) ने कहा कि, “जब राष्ट्रपति के पास देश में बहुमत नहीं है, नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं है, तो उसे अपना बिल वापस लेना चाहिए।”

ले पेन समेत कुछ विपक्षी दलों की ओर से आज (17 मार्च 2023) अविश्वास प्रस्ताव बुलाये जाने की संभावना है, हालांकि दक्षिणपंथी रिपब्लिकन पार्टी के समर्थन की वज़ह बोर्न का वजूद कैबिनेट में बने रहने की संभावना है।

इमैनुएल मैक्रॉन के इस कदम के तुरंत बाद यूनियनों ने अगले आने वाले कई दिन के लिये बड़े पैमाने पर हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया, क्योंकि उन्होंने सरकार के कदम को लोकतंत्र का पूर्ण खंडन बताया।

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