Mukhtar Baba: मुख्तार बाबा ने भिजवाये थे घाटी के पत्रकारों को धमकी भरे खत, सुरक्षा एजेंसियां पहुँची मामले की तह तक

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): J&K: एक पूर्व-कश्मीरी पत्रकार जिसकी पहचान मुख्तार बाबा (Mukhtar Baba) के तौर पर हुई, ने कई स्थानीय पत्रकारों को आतंकी धमकी भेजने का काम किया। कथित धमकियां मिलने के बाद घाटी में पांच पत्रकारों ने अपने काम से इस्तीफा दे दिया। बाबा ने कथित तौर पर पत्रकारों की एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वो सुरक्षा बलों के मुखबिर हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu and Kashmir Police) ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत ये मामला दर्ज किया।

मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि मुख्तार बाबा ने तुर्की (Turkey) से पाकिस्तान (Pakistan) का दौरा किया और द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF- The Resistance Front) के बैनर तले कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद के लिये तैयार करने के लिये झूठी कहानियां गढ़ता हैं। सुरक्षा एजेंसियां ने उसके संपर्क में रहने वाले छह लोगों की पहचान की है, जिनमें चार पत्रकार भी शामिल हैं।

मुख्तार बाबा श्रीनगर का रहने वाला है जो नौगाम (Naugam) शिफ्ट हो गया था। वो अब तुर्की में रहता है। 1990 के दशक में वो आतंकी संगठन हिजबुल्लाह (Terrorist Organization Hezbollah) के साथ काम करता था। खुफिया एजेंसियों की ओर से तैयार किये गये एक कथित डोजियर में दावा किया गया है कि वो मसरत आलम (Masrat Alam) से जुड़ा था। साथ ही वो पाकिस्तान समर्थक और आतंकवाद-समर्थक भाषण देने के लिये पत्रकारों और स्थानीय मीडिया आउटलेट्स को मजबूर करता है, इस काम के लिये वो लगातार सज़िशें करने के लिये कुख्यात है।

बाबा एक कश्मीरी संगठन में पत्रकार था। वो जम्मू की कोट भलवल जेल (Kot Bhalwal Jail) में भी कैद रहा है। मुख्तार बाबा को साल 2018 में जर्मन मूल की अमेरिकी नागरिक जोधा कैरिन फिशर (Jodha Carin Fisher) की ओर से तुर्की में रखा गया था, जिसने लगभग आठ सालों तक जम्मू-कश्मीर में गहरी पैठ वाले आईएसआई (ISI) एजेंट के तौर पर काम किया, बाद में जोधा कैरिन फिशर को घाटी से निर्वासित कर दिया गया था।

पुलिस ने 12 नवंबर को कई लोगों के खिलाफ कई वरिष्ठ पत्रकारों को धमकी भरे खत भेजने का मामला दर्ज किया था। आतंक के डर से इस्तीफा देने वालों में संपादक भी शामिल हैं। पिछले कुछ महीनों से घाटी में आतंकी कारोबारियों, शिक्षकों और प्रवासी मजदूरों समेत सिविलियन टारगेटों पर हमले कर रहे हैं। बीते रविवार (13 नवंबर 2022) को अनंतनाग (Anantnag) में दो गैर स्थानीय लोगों को गोली मार दी गयी। 10 दिनों के भीतर ये अपने आप में इस तरह का दूसरा हमला था।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More