Pakistan के प्रोपेगैंडा टूलकिट में फंसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां और नई दिल्ली का पलटवार

पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) के दबाव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कश्मीर में जिहाद को जायज ठहराते हुए इस्लामाबाद के समर्थन में ट्वीट किये। इनमें दक्षिण कोरिया की दो सबसे बड़ी कंपनियां हुंडई और किआ (Hyundai and Kia) भी शामिल हैं। इसके अलावा पिज्जा हट और केएफसी (Pizza Hut and KFC) जैसी कंपनियों ने भी इसी तरह के ट्वीट किये।

भारत सरकार (Indian government) ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लिया। जिसके बाद भारत के विदेश मंत्री ने दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री से इस बारे में बात की। इन कंपनियों के लिये भारत काफी अहम कारोबारी फैक्टर (Important Business Factor) है, अगर हमारा देश इनके उत्पादों को खरीदना बंद कर देता है तो इन कंपनियों की आर्थिक हालात चरमरा जायेगे।

पाकिस्तान हर साल 5 फरवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस (Kashmir Solidarity Day) मनाता है, जिसकी शुरुआत उसने साल 1990 में की थी। इसके जरिये पाकिस्तान कश्मीर पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता है, आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी कहता है और कश्मीर में मौजूद अलगाववादी ताकतों का भी समर्थन करता है। लेकिन इस बार पाकिस्तान ने कश्मीर पर भारत को बदनाम करने के लिये ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल किया, जो यहां अच्छा कारोबार कर रही हैं और जिनके उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल लाखों भारतीय करते हैं।

इनमें दक्षिण कोरियाई कार निर्माता हुंडई भी है, जिसकी कश्मीर पर भारत विरोधी पोस्ट को एक पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया था और इसमें लिखा गया था कि, “आइये कश्मीरी भाइयों के बलिदान को याद करें और उनका समर्थन करें ताकि वो आजादी के लिये लड़ते रहें।” इसे कश्मीर एकजुटता दिवस के साथ ट्वीट किया गया था।

इसके साथ ही एक तस्वीर भी शेयर की गयी, जिसमें कश्मीर को कंटीले तारों में बंधा हुआ दिखाया गया था। हुंडई के अलावा दक्षिण कोरियाई कंपनी किआ, अमेरिकी कंपनी पिज्जा हट और केएफसी ने भी पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल (Pakistani Twitter Handle) से कश्मीर की आजादी के लिये इसी तरह के ट्वीट किये। जब आप इन ट्विट्स की भाषा पढ़ेंगे और इनका पैटर्न देखेंगे तो आपको लगेगा कि इन सभी ट्वीट्स की स्क्रिप्ट एक ही है। और शायद ये स्क्रिप्ट राइटर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार है।

हालांकि इन ट्वीट्स के बाद भारत में इन कंपनियों के संचालन को लेकर सफाई दी गयी। और इन कंपनियों को भारत सरकार के सामने अपनी सफाई भी पेश करनी पड़ी। हालांकि हुंडई ने अभी तक इस मामले में माफी नहीं मांगी है। लेकिन ये आश्वासन दिया कि कंपनी कश्मीर पर भारत के रुख का सम्मान करती है और राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों पर जीरो टॉलरेंस की नीति (Zero Tolerance Policy) अपनाने के पक्ष में है।

इस मामले में बीते सोमवार (7 फरवरी 2022) को विदेश मंत्रालय ने भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत को भी तलब किया था, जिन्होंने इस पूरी घटना पर खेद जताया है और इसके बाद हुंडई पाकिस्तान ने भी कश्मीर पर अपना ट्वीट तुरन्त डिलीट कर दिया।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने भी इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री से बात की है। इन विदेशी कंपनियों के लिये भारत का मतलब बड़ा कारोबार है। ज़ाहिर तौर पर गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे पाकिस्तान में इन कंपनियों को खरीदार आसानी से नहीं मिलते है।

मिसाल के लिये हुंडई भारत में हर साल औसतन पांच लाख कारें बेचती है। जबकि पाकिस्तान में बामुश्किल उनकी 8,000 सालाना कारें बिकती हैं। पिज़्ज़ा हट के भारत में कुल 391 आउटलेट हैं। पाकिस्तान में पिज़्ज़ा हट के आउटलेट सिर्फ 40 ही है।

यही हाल केएफसी और दूसरी कंपनियों का भी है। इसलिये इन कंपनियों को समझना चाहिए कि अगर भारत के 140 करोड़ लोग इन कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं को लेना बंद कर दें तो उनका क्या हाल होगा। इसे आप चाहें तो इजराइल के एक उदाहरण से समझ सकते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में बेन एंड जेरी नाम का एक मशहूर आइसक्रीम ब्रांड है। पिछले साल कंपनी ने 2023 की शुरुआत से फिलिस्तीन (Palestine) के उन इलाकों में अपनी आइसक्रीम नहीं बेचने का फैसला किया, जहां अब इजरायली रहते हैं। कंपनी ने कहा कि इस्राइल ने इन इलाकों पर जबरन कब्जा किया है।

इसके बाद इस्राइली सरकार (Israeli Government) और उनके लोगों ने इसराइल में इस आइसक्रीम का बहिष्कार करने का फैसला किया ताकि पूरी दुनिया को पता चले। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में इजरायल के राजदूत ने अमेरिका के उन 35 राज्यों के राज्यपालों को 35 पन्नों का खत लिखा जहां इजरायल के बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाये गये हैं।

यानि इजरायल और उसके लोग अपने देश का विरोध करने वाली एक कंपनी के खिलाफ एक साथ खड़े हो गये। लेकिन अब कल्पना कीजिये कि अगर भारत के लोग हुंडई और केएफसी जैसी कंपनियों के खिलाफ एक साथ आ गये तो क्या ये कंपनियां भारत के आंतरिक मामलों पर किसी और देश से इस तरह के ट्वीट कर पायेगी?

भारत ने आज जिस तरह से इस मामले में अपना कड़ा रुख दिखाया है, वो एक नए अध्याय की शुरुआत है। और आज हम अपनी तरफ से एक सुझाव देना चाहते हैं। इन घटनाओं के बाद ये मुमकिन हो सकता है कि आने वाले दिनों में भारत सरकार विदेशी कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर सुनिश्चित करे कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में कारोबार करने के साथ-साथ भारत की नीतियों और आंतरिक मामलों का भी सम्मान करें।

संस्थापक संपादक – अनुज गुप्ता

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More