Chandrayaan 3: मिशन चन्द्रयान-3 ने शुरू किया असली काम, ISRO को मिलने लगा डेटा

न्यूज डेस्क (यामिनी गजपति): Mission Chandrayaan-3: विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) को बाहर निकालने में थोड़ा वक्त लगा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब तक विक्रम लैंडर (Vikram Lander) की लैडिंग से उड़ी धूल शांत नहीं हो जाती, तब तक रोवर को लॉन्च नहीं किया जा सकता था। दरअसल चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटी) पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बेहद कम है। इसके चलते धूल उस तरह वापस नहीं जमती जिस तरह वह पृथ्वी पर जमती है। वैज्ञानिकों को चिंता थी कि अगर धूल शांत होने से पहले रोवर को बाहर निकाला गया तो इससे प्रज्ञान रोवर पर लगे कैमरे और दूसरे संवेदनशील इक्विपमेंट्स को खासा नुकसान हो सकता था।

लैंडर के चांद पर उतरने के करीब ढाई घंटे बाद प्रज्ञान रोवर बाहर आया। इसके साथ ही चांद की जमीन पर प्रज्ञान ने अपने काम को अंजाम देना शुरू कर दिया यानि मिशन चन्द्रयान-3 का असली काम अब शुरू हुआ हो चुका है।

अब दोनों मिलकर चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Moon’s South Pole) की बरीकियां बताएंगे। विक्रम लैंडर की कामयाब लैंडिंग के बाद अगला बड़ा कदम प्रज्ञान रोवर को लैंडर से बाहर निकालना था। यही रोवर चांद की सतह से आंकड़े और जानकारियों को लैंडर तक भेजेगा। लैंडर से ये डाटा इसरो के पास जायेगा।

26 किलोग्राम के प्रज्ञान रोवर में 6 पहिये हैं। ये रोबोटिक व्हीकल अपने ऑप्रेशन को अंजाम देगा। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वो भारत के निशानों को चांद की सहत पर उकेरेगा। ये इसरो के लोगो और भारत के प्रतीक (अशोक स्तंभ) के निशान चांद पर उकेरेगा।

अब प्रज्ञान रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किये गये 14 दिनों के प्रयोग को शुरू करेगा। ये चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिये वहां प्रयोग करने के लिये जरूरी कवायदों को अंजाम देगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक लैंडर और प्रज्ञान रोवर में पांच पेलोड हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के अंदर रखा गया था। लैंडर और रोवर दोनों ही चांद के एक दिन यानि कि धरती के 14 दिनों के बराबर सक्रिय रहेगें।  चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपने रोवर को तैनात कर चुका है, जो ति चांद की मिट्टी और चट्टानों की बनावट के बारे में ज्यादा जानकारी देगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और खनिजों का भंडार होने की उम्मीद है।

प्रज्ञान रोवर में लगा सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE- Surface Thermo Physical Experiment) ध्रुवीय इलाके के पास चांद सतह के तापीय गुणों का मापेगा। चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (LSAE- Lunar Seismic Activity Equipment) लैंडिंग वाली जगह के आसपास भूकंपीयता को मापेगा और चन्द्रमाक्रस्ट और मेंटेल की संरचना की तस्वीर भी खींचेगा। लैंडर पेलोड, रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून-बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA- Radio Anatomy of Moon-Bound Hypersensitive Ionosphere and Atmosphere), सतह के करीब के प्लाज्मा डेंसिटी (Plasma Density) और वक्त के साथ इनमें आये बदलावों को भी दर्ज करेगा।

चंद्रयान 3 के ‘विक्रम’ लैंडर और छह पहियों वाले प्रज्ञान रोवर को एक चंद्र दिवस (14 दिन) की अवधि के लिये काम करने के लिये डिजाइन किया गया है। बता दें कि चार पैरों वाले लैंडर में कामयाब लैडिंग सुनिश्चित करने के लिये इसमें कई सेंसर लगाये गये थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, लैडिंग सेंसर, खतरे से बचने और हालातों से जुड़ी हासिल करने के लिये कैमरों का एक पूरा सूट लैंडर यूनिट में शामिल किया गया।

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