Khatu Shyam Ji: भक्तों पर दयालु और कृपालु रहते है बाबा श्याम, पढ़े खाटू श्याम से जुड़े रहस्य

बाबा खाटू श्याम (Baba Khatu Shyam) कलियुग में जागृत देवता है, बाबा ने हारने वालों और निर्बल लोगों आश्रय देने का देने की प्रतिबद्धता ग्रहण कर रखी है। श्याम बाबा वास्तव में पांड़व भीम के पोते और घटोत्कच (Ghatotkach) के बेटे है। बाबा श्याम का असली नाम बर्बरीक है। आद्या शक्ति माँ भगवती (Adya Shakti Maa Bhagwati) की असीम उपासना करके इन्हें कई मायावी शक्तियां हासिल हुई थी। पराम्बा (Paramba) में स्वयं इन्हें तीन अमोघ बाणों से सुसज़्जित किया था। ऐसे में आइये जाने खाटू नरेश श्याम बाबा से जुड़े रहस्य

1. खाटू श्याम अर्थात मां सैव्यम पराजित: अर्थात जो हारे हुए और निराश लोगों को संबल प्रदान करता है।

2. खाटू श्याम बाबा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर हैं उनसे बड़े सिर्फ भगवान श्रीराम (Lord Shriram) ही माने गये हैं।

3. खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष (Karthik Shukla Paksha) की देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

4. खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन वर्तमान मं‍दिर की आधारशिला सन् 1720 में रखी गयी थी। सन 1679 में औरंगजेब (Aurangzeb) की सेना ने इस मंदिर को खंड़ित कर दिया था। मंदिर की रक्षा के लिये उस समय अनेक राजपूतों ने अपनों प्राणों बलिदान किया था।

5. खाटू श्‍याम मंदिर परिसर में लगता है बाबा खाटू श्याम का प्रसिद्ध मेला। हिन्दू मास फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक ये मेला चलता है। ग्यारस के दिन मेले का खास दिन रहता है।

6. बर्बरीक देवी (खाटू श्याम) के उपासक थे। देवी के वरदान से उन्हें तीन दिव्य बाण मिले थे, जो कि अपने लक्ष्य को भेदकर वापस उनके पास आ जाते थे। इसकी वज़ह से बर्बरीक अजेय थे।

7. बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली और मायावी थे।

8. कहा जाता हैं कि जब बर्बरीक से भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने शीश मांगा तो बर्बरीक ने रातभर भजन किया और फाल्गुन शुक्ल द्वादशी (Falgun Shukla Dwadashi) को स्नान करके पूजा की और अपने हाथ से अपना शीश काटकर भगवान श्रीकृष्ण को दान कर दिया।

9. शीश दान से पहले बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्‍छा जतायी तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने उनके शीश को एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करके उनकी युद्ध देखने की इच्छा पूरी की।

10. आखिर में श्रीकृष्ण ने वरदान दिया की कलियुग में मेरे नाम से तुम्हारी पूजा जायेगी और तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा।

11. स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे और श्रीकृष्ण शालिग्राम (Shaligram) के रूप में मंदिर में दर्शन देते हैं।

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