Lionel Messi and Neymar: पेरिस सेंट जर्मेन की टीम में सम्मोहन पैदा करेगें मेस्सी और नेमार

लियोनल मेस्सी (Lionel Messi) और 10 नम्बर की जर्सी एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। इसके बिना मेस्सी की कल्पना भी नहीं की जाती। लेकिन पेरिस में नेमार (Neymar) 10 नम्बर की जर्सी पहनते हैं। जब मेस्सी पेरिस पहुँचे तो प्रश्न पूछा गया कि अब नेमार कौन-से नम्बर की जर्सी पहनेंगे, क्योंकि 10 नम्बर की जर्सी तो मेस्सी को ही मिलेगी। किन्तु मेस्सी ने तुरंत इस समस्या का समाधान कर दिया। उन्होंने कहा, 10 नम्बर की जर्सी नेमार के पास ही रहने दीजिए, मैं 30 नम्बर की जर्सी पहन लूँगा। कारण पूछे जाने पर मेस्सी ने जवाब दिया- क्योंकि जब मैंने बार्सिलोना (Barcelona) के लिए खेलना शुरू किया था तो 30 नम्बर ही पहनता था, और ये भी एक नई शुरुआत है। लेकिन सब बिना कहे ही समझ गये कि मेस्सी ने ऐसा इसलिए किया ताकि नेमार का अभिमान आहत ना हो, वो स्वयं को मेस्सी की तुलना में दोयम दर्जे का महसूस ना करें। ये और बात है कि अब 30 नम्बर की जर्सी सबसे लोकप्रिय हो गयी है और बीते तीन-चार दिनों में पेरिस में 30 नम्बर की जर्सी की इतनी बिक्री हुई है कि मेस्सी की तनख़्वाह जितनी रकम पेरिस-सेंट-जर्मेन (Paris Saint Germain) ने पहले ही वसूल कर ली है।

जो लोग लियोनल मेस्सी को जानते हैं, उनके लिए उनका ये आत्मत्याग अप्रत्याशित नहीं है। मेस्सी ने हमेशा ही इस तरह ख़ुद को पीछे रखकर दूसरों को आगे बढ़ाया है। उन्होंने अनेक मर्तबा पेनल्टी किसी और को सौंप दी है- कभी-कभी तो तब जब वो हैट्रिक पूरी करने वाले थे, उन्होंने ख़ाली गोलपोस्ट (Goal Post) सामने होने के बावजूद किसी और को गेंद पास कर दी है ताकि वो साथी खिलाड़ी भी स्कोरशीट (Scoresheet) पर आ सके, टीम के हित में उन्होंने सेंटर-फ़ॉरवर्ड की भूमिका छोड़कर मिडफ़ील्ड में खेलने से भी परहेज़ नहीं किया है। आज अगर मेस्सी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय फ़ुटबॉलर हैं तो उसके पीछे उनकी अलौकिक प्रतिभा का जितना हाथ है, उतनी ही उनके स्वभाव की इस विनम्रता, उदारता और सदाशयता की भी भूमिका है।

नेमार इसके ठीक उलट हैं। वे उद्दंड, बेपरवाह, शाहख़र्च और अभिमानी हैं। उनकी रगों में ब्राज़ीली रक्त बहता है, इसलिए वे प्रदर्शनप्रिय और मजमेबाज़ भी कम नहीं। जब वो बार्सिलोना में थे तो लेफ़्ट फ़्लैन्क में अपने वर्चस्व के लिए जोर्डी अल्बा से झगड़ पड़े थे कि तुम मेरे एरिया में क्यों दौड़ रहे हो। जब वो पेरिस गये तो यहाँ पेनल्टी लेने के लिए क्लब-लेजेंड एडिन्सन कवानी (Edinson Cavani) से ठान बैठे। इसके लिए दर्शकों ने उनकी मलामत भी की। नेमार ट्रिक्स्टर्स हैं, फ़ुटबॉल के साथ जितने करतब करना उनको आते हैं, उतने किसी और को नहीं आते। मैदान पर इसका मुज़ाहिरा करने से वो चूकते नहीं, लेकिन इस क्रम में अपने मुख्य लक्ष्य से उनका ध्यान भटक जाता है।

ब्राज़ीलियों को लगता है कि फ़ुटबॉल का खेल जीतने या हारने के लिए नहीं, बल्कि करतब दिखाने के लिए होता है। वो अपनी ट्रिक्स से दर्शकों का मनोरंजन करने का मौक़ा नहीं चूकते। ब्राज़ीलियों की दूसरी आदत मजमेबाज़ी की है और इसके चलते अनेक ब्राज़ीली खिलाड़ियों ने अपना करियर चौपट किया है। पेले और रोमारियो को छोड़ दें तो लगभग हर ब्राज़ीली सुपर-सितारे ने मजमेबाज़ी और शराबनोशी से अपनी देह ख़राब की है। नेमार भी अपवाद नहीं हैं। वे 29 के हो गए हैं, लेकिन अभी तक वो मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं, जिसकी कि उनसे उम्मीद लगाई गई थी। जबकि प्रतिभा का ज्वालामुखी उनके भीतर सुलगता है। गत सीज़न में नेमार ने बायर्न म्यूनिख़ के विरुद्ध एक चैम्पियंस लीग गेम खेला था, जिसमें उन्होंने कोई गोल नहीं किया, अलबत्ता तीन से चार बार वो गोल करने के क़रीब पहुँच गये थे। अकेले उस एक मैच की नेमार की इंडिविजुअल-हाईलाइट्स किसी भी दूसरे खिलाड़ी की पूरे सीज़न की हाईलाइट्स पर भारी थी। यूट्यूब पर नेमार की ट्रिक्स के वीडियोज़ भरे पड़े हैं और करोड़ों दर्शक उन्हें देखने के लिए उमड़ते हैं।

वास्तव में मेस्सी और नेमार एक-दूसरे के पूरक हैं। मणि-कांचन संयोग की तरह ये एक-दूसरे को बेहतर बनाते हैं। मेस्सी को अपनी जोड़ का कोई रचनात्मक-खिलाड़ी चाहिए, जो आज नेमार के सिवा कोई और नहीं। वहीं नेमार को एक ऐसा अग्रज चाहिए, जो उसे अनुशासित करे, उसे संयत और विनम्र बनाये। मेस्सी की संगत में नेमार अनुशासित हो जाता है। जब ये दोनों बार्सिलोना में थे, तब इनका खेल देखते ही बनता था। अब ये फिर पेरिस में साथ आये हैं तो फ़ुटबॉलप्रेमियों के लिए उम्दा खेल की दावत प्रस्तुत करेंगे। फ्रांसीसी लीग अब दुनिया की सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली लीग बनने जा रही है।

मेस्सी और नेमार : ये फ़ुटबॉल की दुनिया में राम-लखन की जोड़ी है। इनकी कहानी बड़ी दिलचस्प है। साल 2011 में जब नेमार सान्तोस के लिए खेलते थे और ब्राज़ील के बाहर उन्हें ना के बराबर जाना जाता था, तब उनके भाग्य से उन्हें उस समय की सबसे अच्छी टीम बार्सिलोना के विरुद्ध खेलने का मौक़ा मिला। योकोहोमा में क्लब वर्ल्ड कप फ़ाइनल खेला गया, जिसमें बार्सिलोना ने सान्तोस को 4-0 से रौंद दिया और मेस्सी ने दो गोल किए। लेकिन मेस्सी सहित पूरी बार्सिलोना टीम की नज़र सान्तोस के उस उन्नीस साल के छरहरे नौजवान पर टिक गई, जिसमें अद्भुत प्रतिभा थी। दो ही साल के भीतर नेमार ब्राज़ील के सबसे चमकीले सितारे बन चुके थे और जब ब्राज़ील ने कंफ़ेडरेशन कप में स्पेन को हराकर ख़िताब जीता तो नेमार ने गोल्डन-बॉल हासिल की। इसके बाद बार्सिलोना ने नेमार को साइन करने में देरी नहीं की। लातीन अमरीका की खदानों से निकले इस अनगढ़ हीरे ने दूसरे ही पल अपने को चावी, इनीएस्ता, पुयोल, आल्वेस और मेस्सी जैसे महानायकों के बीच पाया। नेमार की क़वायद शुरू हुई। उन पर धीरे-धीरे तराश धरी गई। उनकी चमक में निखार आता गया। ये साल 2013 की बात है।

साल 2014 में लिवरपूल से लुइज़ सुआरेज़ बार्सीलोना आये और सेंटर-फ़ॉरवर्ड की ज़िम्मेदारी सम्भाली। मेस्सी ने ख़ुद को राइट-फ़्लैन्क में समेट लिया। मेस्सी-सुआरेज़-नेमार की वो जोड़ी तब एम-एस-एन के नाम से मशहूर हुई। साल 2002 की रोनाल्डो-रिवाल्डो-रोनाल्डीनियो (Ronaldo-Rivaldo-Ronaldinio) की ब्राज़ीली त्रयी के बाद से फ़ुटबॉल में ऐसी प्रतिभाशाली त्रयी नहीं देखी गई थी। एम-एस-एन ने फ़ुटबॉल को संगीत की तरह सुंदर और लयपूर्ण बना दिया था। ये हँसते-खेलते गोल करते, गोल से भी बढ़कर इनका लिंक-अप का खेल दर्शनीय होता, इनकी रचनात्मकता अथाह थी और उल्लास से भरती थी। 2015 में जब बार्सिलोना ने लीग, कप और चैम्पियंस लीग जीते, तो उसमें इस त्रयी की केंद्रीय भूमिका थी। यूरोप में बार्सिलोना का जो उत्कर्ष 2006 में आरम्भ हुआ था, वो इसका आखिरी पड़ाव था।

साल 2017 में नेमार ने घोषणा कर दी कि वो अब बार्सिलोना में नहीं खेलेंगे। कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें अपने लिये एक नई चुनौती चाहिए, किंतु विश्लेषकों का मत था कि नेमार मेस्सी की छाया में नहीं खेलना चाहते थे और टीम में अपने लिए एक केंद्रीय भूमिका की तलब रखते थे। बार्सिलोना में नेमार को मेस्सी के उत्तराधिकारी की तरह देखा जाता था। ये तय था कि मेस्सी के बाद जो जगह ख़ाली होगी, उसे नेमार ही भरेंगे। लेकिन नेमार में धीरज नहीं था। वो आने वाले कल में नहीं, बल्कि अभी राजा का मुकुट पहनना चाहते थे। वो बार्सिलोना छोड़कर पेरिस चले गए। बार्सिलोना टूटकर बिखर गई।

संगीत सात सुरों से सम्भव होता है, एक भी सुर अगर उसमें छूट जाये तो बात बेसुरी हो जाती है। बार्सिलोना उसके बाद कभी नेमार की अनुपस्थिति को भर नहीं पाई, उनके जाने के सदमे से उबर नहीं पाई। मेस्सी को लगा जैसे उनका दायाँ हाथ टूट गया है। उधर नेमार भी पेरिस जाकर बार्सिलोना वाली चमक क़ायम नहीं रख सके। नेमार और बार्सीलोना : ये स्वर्ग में बनाई गई जोड़ी थी, जिसे नेमार ने अपनी महत्वाकांक्षा से तोड़ दिया और बाद में पछताये। पेरिस में एक सीज़न खेलने के बाद ही नेमार समझ गये थे कि उन्होंने भूल कर दी है। निरन्तर ख़बरें आती रहीं कि वो बार्सिलोना लौटना चाहते हैं, लेकिन समीकरण कभी इस वापसी के पक्ष में नहीं बन सके।

गत सीज़न में चैम्पियंस लीग का नॉकआउट मुक़ाबला बार्सिलोना और पेरिस के बीच खेला गया था। कैम्प नोउ में उत्साह था कि नेमार आख़िरकार अपने घर लौटकर आएँगे, भले ही विपक्षी टीम की ओर से खेलें। लेकिन मैच से पहले नेमार चोटिल हो गये और वो मुक़ाबला खेल नहीं सके। फिर कोई एक महीना पहले कोपा अमरीका फ़ाइनल में ब्राज़ील और अर्जेन्तीना की टीमें भिड़ीं। लातीन अमरीका में इन दोनों देशों की कटु प्रतिद्वंद्विता का एक लम्बा इतिहास रहा है। फ़ाइनल से पहले नेमार ने अर्जेन्तीना का समर्थन कर रहे प्रशंसकों के बारे में कुछ तल्ख़ टिप्पणियाँ कीं, जिससे मैच में तनाव व्याप्त हो गया। पूरे मैच में वो तनाव दिखलाई दिया। पूछा जाने लगा कि क्या इसका असर मेस्सी और नेमार के रिश्तों पर पड़ेगा? लेकिन जैसे ही खेल समाप्त हुआ और मेस्सी ने विजेता की ट्रॉफ़ी उठाई, नेमार रोते हुए आये और मेस्सी से लिपट पड़े। वो दृश्य देखकर फ़ुटबॉलप्रेमियों का गला रूंध गया और आँखें नम हो गईं। बड़े भाई और छोटे भाई ने अपने बीच बनी ग़लतफ़हमियों को आँसुओं की धारा में बहा दिया था। इन दोनों को साथ देखकर फ़ुटबॉल प्रेमियों का दिल दुआओं से भर उठा।

जब बार्सिलोना ने मेस्सी से किनारा कर लिया, तो मेस्सी ने सबसे पहले नेमार को याद किया। नेमार ने फ़ौरन पेरिस-सेंट-जर्मेन के मालिकान से बात की और मेस्सी के लिये जगह बनाने का उद्यम शुरू कर दिया। आज अगर मेस्सी पेरिस में हैं तो इसमें नेमार की केंद्रीय भूमिका है। नेमार को देखकर ही मेस्सी वहाँ पहुँचे हैं। आठ साल पहले सान्तोस से नेमार बार्सिलोना आये थे और मेस्सी ने उनकी आवभगत की थी, अब मेस्सी बार्सीलोना से पेरिस आये हैं तो नेमार ने बाँहें फैलाकर उनका स्वागत किया है। इतिहास ने ख़ुद को दोहरा दिया है। वर्तुल पूरा हो गया है।

ऐसे में मेस्सी नेमार की 10 नम्बर की जर्सी कैसे ले सकते थे? सवाल ही नहीं उठता। अगर वो माँगते तो नेमार हँसते-हँसते दे देते, लेकिन ये मेस्सी का किरदार नहीं है। उन्होंने 30 नम्बर की जर्सी चुनी। इसी के साथ उन्होंने यह भी संकेत दे दिया कि पेरिस में आज भी केंद्र में नेमार ही रहेंगे, मेस्सी परिधि पर रहेंगे। मेस्सी को परिधि पर रहना ही अच्छा लगता है।

पेरिस में मेस्सी किस भूमिका में खेलेंगे, इसमें उनको जानने-समझने वालों को कोई संशय नहीं है। नेमार फ़ॉरवर्ड लाइन का नेतृत्व करेंगे और मेस्सी मिडफ़ील्ड से उनकी मदद करेंगे। मेस्सी वेरात्ती और व्यानडुलम से गेंद लेकर अग्रपंक्ति में नेमार और एमबाप्पे को रसद मुहैया कराएँगे। थोक में गोल करने का मोह मेस्सी बहुत पहले ही त्याग चुके हैं और एक अरसे से वो प्लेमेकर की भूमिका निभा रहे हैं। अगर नेमार ऑनसाइड हैं और उनके पास स्पेस है तो उन्हें निश्चित होना चाहिए कि मेस्सी जहाँ भी होंगे, उन्हें रोशनी की लक़ीर सरीखा एक ऐसा पारदर्शी पास मुहैया कराएँगे कि विपक्षी टीम के डिफ़ेंडर हैरान रह जाएँगे। गेंद स्वयं को नेमार के क़दमों में पायेगी, जिसे उन्हें एक कोमल स्पर्श से गोलचौकी के हवाले भर करना होगा।

ये जादू है। जब मेस्सी और नेमार जैसे खिलाड़ी फ़ुटबॉल खेलते हैं तो ये खेल सम्मोहन बन जाता है। पेरिस में ये दोनों फिर साथ हैं। पेरिस में गंगा और जमुना फिर मिल गये हैं। फ़ुटबाल से प्यार करने वालों के लिए इस अद्भुत संगम का साक्षी होना किसी वरदान से कम नहीं।

साभार - सुशोभित

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