Gyanvapi Masjid Controversy: जाने आखिर कैसे और किस तरह शुरू हुआ ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

न्यूजफ डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): दशकों पुराना ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ विवाद (Gyanvapi Masjid and Kashi Vishwanath controversy) हाल ही में तब सुर्खियों में आया जब ये मामला 13 मई को ये विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वाराणसी (Varanasi) की एक स्थानीय अदालत ने धार्मिक परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण (Videography Survey) को जारी रखने का निर्देश दिया और सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियोग्राफी सर्वे पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।

बीती 16 मई को वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उस जगह को सील करने का निर्देश दिया, जहां एक अदालत द्वारा अनिवार्य वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान वज़ूखाना (Vazukhana) में कथित तौर पर ‘शिवलिंग’ (Shivling) पाया गया। तीन दिवसीय सर्वेक्षण को कड़ी सुरक्षा के बीच अंज़ाम दिया गया।

पिछले साल अप्रैल महीने में पांच महिलाओं ने याचिका दायर की थी कि उन्हें पुराने मंदिर परिसर के भीतर मां श्रृंगार गौरी (Maa Shringar Gauri) और अन्य देवताओं के दैनिक दर्शन, पूजा और अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति दी जानी चाहिये। जिसके बाद सिविल जज (Civil Judge) ने कमिश्नर नियुक्त किया। वादियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर देवी की एक छवि होने का दावा किया था।

मार्च में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद के कार्यवाहकों द्वारा साइट का निरीक्षण करने के लिये कोर्ट कमीश्नर (Court Commissioner) नियुक्ति करने वाले न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। सर्वेक्षण टीम द्वारा बीते शुक्रवार (13 मई 2022) को बिना किसी बाधा के सर्वेक्षण किया गया।

ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मामले में सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और वाराणसी कोर्ट (Supreme Court, Allahabad High Court and Varanasi Court) में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब (Mughal emperor Aurangzeb) ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराकर करवाया था।

मूल याचिका में किये गये दावे और मामले के सिलसिलेवार घटनाक्रम

  • साल 1991 में वाराणसी की अदालत में एक याचिका दायर की गयी थी जहां याचिकाकर्ताओं, स्थानीय पुजारियों ने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति मांगी थी।

  • याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 16 वीं शताब्दी में औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को ध्वस्त करके मस्जिद का निर्माण करने का फरमान जारी किया था।

  • दिसंबर 2019 में वाराणसी के वकील विजय शंकर रस्तोगी (Advocate Vijay Shankar Rastogi) ने निर्माण अवैध होने का हवाला देते हुए निचली अदालत में एक याचिका दायर की और पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की।

  • अप्रैल 2021 में वाराणसी की अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI- Archaeological Survey of India) को पुरातात्विक सर्वेक्षण करने और अदालत में अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

  • उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Uttar Pradesh Sunni Central Waqf Board) और ज्ञानवापी मस्जिद चलाने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masjid Committee) ने याचिका और मस्जिद सर्वेक्षण का विरोध किया।

  • मामला तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) पहुंचा और इसमें शामिल सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने एएसआई को सर्वेक्षण करने के निर्देश पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया।

  • मार्च 2021 में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने पूजा स्थल अधिनियम की वैधता की जांच करने पर सहमति ज़ाहिर की।

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