Jyotish: नवग्रहों के लिये है अलग-अलग दान के विधान, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) के अनुसार जब कुंडली में ग्रह अशुभ प्रभाव युक्त हो दशा चक्र एवं गोचर प्रभाव कष्टदायक सिद्ध हो रहे हो तो उस ग्रह से संबंधित कारकत्व वाली वस्तुओं के दान का विधान बताये गये है। जिसमें ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव का निस्तारण, कमी या न्यूनता आती है।

इस संबंध मे ज्योतिर्विदाभरण ग्रन्थ मे लिखा है –

” खगेरिता साधुफलं जनेन

तदर्चया यत्तदितं वरेण्यम्।

सदौषधिस्नान विधानहोमा-

पवर्जनेभ्योऽभ्युदयाय वा स्यात् ।।

अर्थात् ग्रहों के अनिष्ट फल शान्ति ग्रह पूजा, औषधि स्नान, होम और दान करने से होती है और मनुष्य का अभ्युदय (Rise Of Man) होता है।

नवग्रहों (Navagrahas) से सम्बंधित निम्नवत् वस्तुओं के दान का प्रावधान बताये गये है जो इस तरह से हैं –

सूर्य

सूर्य की अनिष्ट शान्ति के लिए केसर, जेठीमधु, कमलगट्टा ,इलायची, खस ,देवदारू, लाल पीले रंग से मिश्रित (नारंगी) रंग के वस्त्र, गुड़, ताम्रपात्र, माणिक्य, गेंहू, लाल कमल, बछड़े वाली गौ, तथा मंसूर की दाल का दान करना चाहिये।

चन्द्रमा

चन्द्रमा की अनुकूलता के लिए श्वेत चन्दन, घृत या घी, श्वेत वस्त्र, दही, दुग्ध, शंख, मोती, दूध से बने पदार्थ, रजत या चाँदी की वस्तुओं के दान का प्रावधान बताया गया है।

मंगल

मंगल ग्रह की शान्ति के लिये लाल पुष्प और पका हुए भोजन का दान, मूंगा, गेंहू, मसूर की दाल, लाल रंग का बैल, कनेर पुष्प, लाल वस्त्र, गुड़, ताम्र पात्र, रक्त चंदन के दान का विधान (law of charity) है।

बुध

जन्म कुंडली में बुध अशुभ प्रभाव मे पीड़ा प्रदायक स्थिति में होने पर हरी मूंग, पन्ना, घी, कांस्य धातु के पात्र, हाथी दांत, भेड़, हरे रंग की वस्तुयें , गाय को चारा, पंछियों को दानापानी, पुष्प, हरे रंग के फल, लता का दान बताया गया है ।

गुरू

गुरु ग्रह की शान्ति के लिए अश्व, पीले रंग की धातु, मधु या शहद, पीले रंग के वस्त्र, पीला धान्य जैसे धान, चने की दाल नमक, पीले पुष्प, शर्करा (मीठा), हल्दी, ज्ञानवर्धक पुस्तकें, पुखराज रत्न के दान का विधान बताया गया है।

शुक्र

शुक्र ग्रह दोष निवारण करने के लिए श्वेत अश्व, श्वेत वस्त्र, चित्रित चमकीले सुन्दर वस्त्र, चावल, घी, हीरा, सुगंधित पदार्थ, श्रृंगार सामग्री, बछड़े वाली श्वेत गौ, स्फटिक, कपूर, शर्करा, मिश्री, सफेद रंग की वस्तुओं के दान का प्रावधान वैदिक परम्परा में निर्देशित है ।

शनि

जन्मांक में शनि अशुभ फल प्रदायक स्थिति में हो तो काले रंग की गाय, सरसों के तेल का दान, नीलम, भैंसा, काले रंग के वस्त्र, लोहा, जटा नारियल, उड़द, काले तिल, छाता, जूते और कम्बल का दान दक्षिणा के साथ करना चाहिये।

राहु

राहु ग्रह के दोष निवारण के लिए खड्ग (तलवार), काली भेड़, गोमेद (onyx), लोहा, कम्बल, नीले या काले रंग के वस्त्र, तिलपूर्ण खाद्य सामग्री, ताम्र पात्र का दान करने से राहु जनित दोष शान्त होते है।

केतु

जन्म कुंडली के अनुसार यदि केतु ग्रह दोषकारक हो तो छाग (बकरी) का दान, लहसुनिया, तेल युक्त वस्तुयें, कस्तूरी, तिलयुक्त खाद्यपदार्थ, ऊनी वस्त्र, कम्बल, उड़द का दान करना चाहिए।

इस तरह से नवग्रहों हेतु विशिष्ट दान शास्त्रों मे बताये गये है योग्य दैवज्ञ के परामर्श से दान कार्य संपन्न करना चाहिये।

नवग्रहों के निमित्त दान सामान्यतया उस ग्रह के वार को किया जाता है। सूर्य का दान रविवार को, चन्द्र का सोमवार को, मंगल का दान मंगलवार को, बुध का दान बुधवार को, गुरु का दान गुरुवार को, शुक्र का दान शुक्रवार को, शनिवार का दान शनिवार को, राहु एवं केतु का दान शुक्रवार या शनिवार को करना चाहिए।

विशेष- ध्यान देने योग्य बात ये है जन्म कुंडली मे शुभ प्रभाव युक्त बली ग्रह हितकर लाभदायक ग्रह का दान कदापि नहीं करना चाहिये।

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