Joshimath: इस वज़ह से डूब रहा है उत्तराखंड का जोशीमठ, साल 1976 में विशेषज्ञों ने दे दी थी चेतावनी, जानें वैज्ञानिक कारण

न्यूज डेस्क (यशस्वी गौर): जोशीमठ का उत्तराखंड (Joshimath of Uttarakhand) शहर जो हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है, पिछले कुछ दिनों से सुर्खियां बटोर रहा है क्योंकि इस इलाके जमीन कथित तौर पर डूब रही है, जिसकी वज़ह से घरों और इमारतों की दीवारों पर दरारें दिखायी दे रही हैं।

स्थानीय लोगों के मुताबिक जोशीमठ में 500 से ज्यादा घरों में दरारें आ गयी हैं और जमीन धंसने की वजह वो अपने ही वजन के नीचे गिरने के करीब हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से स्थिति पर संज्ञान लेने की मांग को लेकर हाल ही में विरोध भी जताया।

मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि जोशीमठ के हालातों पर वो कड़ी नजर रखे हुए है और शहर का सर्वेक्षण करने के लिये विशेषज्ञों की एक टीम जोशीमठ भेजी गयी है। पता चला है कि जोशीमठ का डूबना महज एक आपदा है, जिसके लिये दशकों पहले से चेतावनी दी जा रही थी।

बता दे कि जोशीमठ उत्तराखंड का एक छोटा सा शहर है जो हिमालय की तलहटी में और प्राचीन भूस्खलन वाली जगह पर बसा हुआ है। विशेषज्ञों की ओर से दशकों पहले जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ साल 1976 से रहने के लिये खतरनाक जगह है।

जोशीमठ के जमीन के कुछ इंच नीचे धंसने की अहम वजह जगह का भूगोल है। चूंकि शहर भूस्खलन के मलबे पर बसा हुआ है, ऐसे में जमीन की वजन थामने की क्षमता काफी कम है और ये जमीन बड़ी तादाद में बसावट और जनसंख्या को लंबे समय तक थामने के काबिल नहीं है।

हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट (Hydroelectricity Project) जैसी कई भारी परियोजनाओं के निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण और बेतहाशा आबादी की वजह जोशीमठ की जमीन अस्थिर साबित हुई है, जिसने शहर में ढलानों को अस्थिर बना दिया है।

न सिर्फ निर्माण और बढ़ती जनसंख्या, बल्कि विष्णुप्रयाग (Vishnuprayag) से बहने वाली धाराओं के कारण जोशीमठ में चट्टानों का क्षरण हुआ है और में शहर में चट्टानें बिखरी हुई हैं, ये चट्टानें ढीली मिट्टी और पुराने भूस्खलन के मलबे के साथ जुड़ गयी है।

साल 2022 में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के शोधकर्ताओं की ओर से एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें खुलासा किया गया था कि जिस मिट्टी पर जोशीमठ शहर का बसाया गया है, उसकी वजन थामने क्षमता काफी कम है, खासकर बेतहाशा कंस्ट्रक्शन के बाद।

उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) की ओर से हालातों का जायजा लेने के बाद उम्मीद की जा रही है कि सीएम धामी जोशीमठ में विकासात्मक परियोजनाओं को बंद कर देंगे और निवासियों को एक स्थिर सुरक्षित जगह पर ले जाया जायेगा।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More