J&K: हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख के बेटे और ‘बिट्टा कराटे’ की पत्नी को निकाला सरकारी नौकरी से

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): J&K: प्रतिबंधित आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के स्वयंभू प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन (Syed Salahuddin) के बेटे और जेल में बंद अलगाववादी ‘बिट्टा कराटे’ की पत्नी समेत चार सरकारी कर्मचारी, जो अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर घातक हमले में शामिल थे, को आज (13 अगस्त 2022) राजकीय नौकरी से निकाल दिया गया है।

मामले पर अधिकारियों ने कहा कि भारत के खिलाफ काम करने वाली ताकतों और दुर्भावनापूर्ण प्रचार फैलाने वाले चार कर्मचारियों के कथित संबंधों के कारण बर्खास्त करने का निर्देश दिया गया था। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त कर दिया गया है, जो सरकार को अपने कर्मचारियों को बिना किसी जांच के बर्खास्त करने में प्रावधान निर्धारित करता है।

बर्खास्त कर्मचारियों में सलाहुद्दीन (सैयद मोहम्मद युसूफ) का बेटा और वाणिज्य एवं उद्योग विभाग में प्रबंधक (सूचना एवं प्रौद्योगिकी) सैयद अब्दुल मुईद (Syed Abdul Mueed) भी शामिल है। वो हिज़्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख का तीसरा बेटा हैं जिसे सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है। इसी क्रम में सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ (Syed Ahmed Shakeel and Shahid Yusuf) को पिछले साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

अधिकारियों के मुताबिक मुईद को पंपोर (Pampore) के सेम्पोरा (Sempora) में जम्मू और कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (JKEDI- Jammu and Kashmir Entrepreneurship Development Institute) परिसर पर तीन आतंकी हमलों में कथित तौर पर भूमिका निभाते हुए पाया गया, संस्था में उनकी मौजूदगी से अलगाववादी ताकतों के साथ सहानुभूति बढ़ी है।

फारूक अहमद डार उर्फ ​​’बिट्टा कराटे’ की पत्नी और साल 2011 बैच के जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (JKAS- Jammu and Kashmir Administrative Service) अधिकारी असबाह-उल-अर्जमंद खान (Asbah-ul-Arzmand Khan) पर पासपोर्ट आवेदन में झूठी जानकारी देने के आरोप में बर्खास्त किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों की फड़िंग के लिये पैसे की खेप ले जाने में भी उन हाथ होने की जानकारी मिली है।

बिट्टा कराटे (Bitta Karate) टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में साल 2017 से तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद है। वो 1990 के दशक की शुरूआत में अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों की हत्याओं में भी शामिल था। साथ ही कश्मीर विश्वविद्यालय (Kashmir University) में पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस में वैज्ञानिक के पद पर तैनात डॉ. मुहीद्द अहमद भट (Dr. Muhidd Ahmed Bhat) को भी राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया गया है। उस पर आरोप है कि वो पाकिस्तान और उसके प्रतिनिधियों के कार्यक्रम और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये छात्रों को कट्टरपंथी बनाकर विश्वविद्यालय में अलगाववादी-आतंकवादी एजेंडे के प्रचार में शामिल कई सालों से लिप्त पाया गया है।

कश्मीर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी (Assistant Professor Majid Hussain Qadri) पर प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा समेत आतंकवादी संगठनों के साथ लंबे समय से संबंध होने का आरोप है। उस पर पहले भी कड़े जन सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था और विभिन्न आतंकी मामलों से संबंधित कई प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। जम्मू-कश्मीर में अब तक लगभग 40 कर्मचारियों को सरकारी सेवाओं से बर्खास्त किया जा चुका है।

उनमें से हिज्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख दो बेटे और दागी पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह (अब हटा दिया गया) हैं, जिन्हें श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे मोस्ट वांटेड आतंकवादी और दो अन्य लोगों के साथ पकड़ा गया था।

अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा मामलों के तथ्यों और हालातों पर विचार करने के साथ ही मौजूदा जानकारी की बुनियाद पर बर्खास्तगी की ये कार्रवाई की गयी थी। इन कर्मचारियों की गतिविधियों को अनुच्छेद 311 (2) (सी) के प्रावधान के तहत सेवा से बर्खास्त किया गया है।

इस प्रावधान के तहत बर्खास्त कर्मचारी सिर्फ अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ अपनी याचिका के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। बर्खास्तगी की प्रक्रिया पिछले साल अप्रैल महीने में शुरू हुई, जब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने राज्य विरोधी गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता के आरोपों की जांच के लिये समिति का गठन किया और इसमें शामिल पाये गये लोगों की बर्खास्तगी की सिफारिश की।

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