International Women’s Day: ये है इंडियन वंडर विमेंस, जो हैं सभी के लिए मिसाल

न्यूज डेस्क (दीक्षा गुप्ता): इंटरनेशनल विमेंस डे (International Women’s Day) यानि की महिलाओं का दिन। आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी महिलाओं ने ये साबित कर दिया है कि कोई भी काम मुश्किल नहीं है। आज औरतें ना सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुकामों पर भी डट कर खड़ी हैं, लेकिन हमेशा से महिलाओं के लिए ये सफर इतना आसान नही था। हर मोड़ पर मुश्किलों से लोहा लेती महिलाओं ने उनके सामने घुटने टेकने की जगह चुनौतियों का डटकर सामना किया और ये साबित भी कर दिया कि अगर हम चाहें कुछ भी कर सकते हैं।

तो चलिए आज आपको बताते हैं, ऐसी ही वंडर विमेन्स के बारे में जो अपने काम के चलते सभी के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं।

1.    गीता गोपीनाथ…इस कड़ी में सबसे पहला नाम गीता गोपीनाथ का है, जिन्होंने अपना नाम अपने काम से बनाया। गीता को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की चीफ इकोनॉमिस्ट (Chief economist) चुना गया। जो कि इस मुकाम हासिल करने वाली पहली महिला है उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया। गीता की मेटिवेशनल स्टोरी हम सभी के लिए एक मिसाल है।

2.    हिमा दास…डींग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर हिमा मूल रूप से असम से एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं। 18 साल की छोटी सी उम्र में इंडिया की सेंसेशन बनी। हिमा कॉमन गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिला चुकी हैं। इतनी कम उम्र में इतना कुछ हासिल कर पाना वाकई काबिले तारीफ है।

3.    टेसी थॉमस…किसी ने सही कहा है, जहाँ चाह वहां राह और ये बात टेसी थॉमस पर बिल्कुल सटीक लागू होती है। जो कि कई लड़कियों की प्रेरणा का स्त्रोत रही हैं। अग्नि पुत्री और मिसाइल वुमन के नाम से मशहूर टेसी पहली महिला हैं, जिन्होंने मिसाइल मिशन में काम किया। अग्नि 5 मिसाइल प्रोजेक्ट की कामयाबी के पीछे उन्ही का हाथ था।

4.    अरुणिमा सिन्हा…ये नाम किसी तारीफ का मोहताज नही है। राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल प्लेयर अरुणिमा ने जब चोरों को अपनी सोने की चेन देने से मना कर दिया तो, चोरों ने सनकपन के चलते उन्होंने अरुणिमा को ट्रेन से नीचे फेंक दिया। जिसकी कीमत उन्हें अपने पैर खोकर चुकानी पड़ी लेकिन बुलंद हौसलों से बड़ा शायद कुछ भी नही होता। अरुणिमा ने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया और माउंट एवरेस्ट (Mount everest) पर फतह हासिल की।

5.    सुरेखा यादव…पहली महिला ट्रेन चालक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली सुरेखा एक गरीब किसान परिवार से तालुक्क रखती हैं। समाज की दकियानूसी सोच पर करारी चोट करते हुए सुरेखा ने ऐसे काम को चुना जिसके बारे में सोचा जाता है कि ये सिर्फ आदमियों के लिए ही है। सुरेखा ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से पढाई करने के बाद इस करियर को चुना, और उनके इस कदम ने कई महिलाओं को प्रेरित किया।

तो ये थी कुछ ऐसी महिलाओं की कहानी जो हम सभी को प्रेरित करने के साथ-साथ हमें कुछ अच्छा करने की सीख भी देती हैं।

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