Menopause: घबराने के बजाये समझे मेनोपॉस को, आसानी से कर सकते है मैनेज

लाइफस्टाइल डेस्क (देविका चौधरी): रजोनिवृत्ति/मेनोपॉस (Menopause) की स्थिति उसी दशा में मानी जाती है, जब एक साल के तक पीरियड्स का आना रूका रहे। अगर आपके इनरेगुलर पीरियड्स (Irregular Periods) आते है तो आपको परेशान नहीं होना चाहिये। मेनोपॉस की अवस्था आमतौर पर महिलाओं में चालीस साल के बाद ही देखी जाती है, ये पूरी तरह से नॉमर्ल होता है। ऐसे में आपको खुद पर ध्यान देना चाहिए और खुद में होने वाले किसी भी बदलाव पर नज़र रखनी चाहिये, साथ ही जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिये।

1. सिलसिलेवार जैविक प्रक्रिया है मेनोपॉस

ये समझना अहम है कि मेनोपॉस महिलाओं के शरीर में सिलसिलेवार ढंग से होने वाली जैविक प्रक्रिया है। जैसे-जैसे महिला के प्रजनन के सालों का अंत होता है, ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें कई हार्मोनल और शारीरिक बदलाव  शामिल होते हैं, इसके लक्षण सामने आने लगते है। पेरिमेनोपॉज़ल चरण (Perimenopausal Phase) चालीस साल की उम्र के बाद 2 से 8 साल तक कहीं भी शुरू हो सकता है।

2. मेनोपॉस के कारण हो सकता है ऑस्टियोपोरोसिस

एस्ट्रोजेन- मादा हार्मोन (Estrogen – Female Hormone) हड्डियों के नुकसान को सीमित करने में मदद करता है और मेनोपॉस के दौरान ये हार्मोन उतनी तेजी से बनते जितनी तेजी से ये पहले बना करते थे। ऐसे में महिलाओं के शरीर की हड्डियां भूरभूरी होने लगती है। साथ कार्टिलेज (Cartilage) कम होने लगता है। साधारण भाषा में कहे तो हड्डियां घिसने लगती है। यानि कि महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का लक्षण दिखने लगते है। जैसे जैसे महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर गिरता चला जाता है, उनमें हाथ-पांव, कमर, कूल्हे में दर्द की शिकायत रहने लगती है। साथ एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के साथ ही शरीर में आयरन, कैल्शियम और विटामिन-डी भी तेज से कम होने लगता है। जिससे कि महिलाओं में जोड़ों में दर्द की शिकायत लगातार रहने लगती है। ऐसे में 40 साल की उम्र के बाद कैल्शियम सप्लीमेंट (Calcium Supplement) अहम भूमिका निभाते हैं।

3. ज़्यादातर महिलाओं को मेनोपॉस के दौरान करना पड़ता है समस्याओं का सामना

मेनोपॉस कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसके साथ होने वाले हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes) जैसे रात को पसीना आना, नींद का ना आना, योनि में सूखापन (Vaginal Dryness), कामेच्छा में कमी (Decreased Libido) , गुस्सा के साथ खीझ का बढ़ना और आक्रामक मिजाज जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। ये लक्षण मामूली से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जिससे दर्द और पीड़ा हो सकती है।

4. मौजूदा है ट्रीटमेंट

पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉस से जुड़े सभी लक्षणों के लिये ट्रीटमेंट मौजूद है। दूसरी ओर इन लक्षणों से ठीक से निपटने के लिये मामूली लेकिन लंबे समय तक लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना पड़ता हैं।

बिना दवा इस तरह मैनेज कर सकते है आप मेनोपॉस का दौर

  • रोजाना एक्सरसाइज करें।

  • रिलैक्सेशन या योग क्लासेज में जाये।

  • रसोई की दीवार पर आगामी गतिविधियों का एक कैलेंडर पोस्ट करें।

  • जब भी मुमकिन हो जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत हितों के बीच संतुलन बनायें।

  • दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क बनाये रखें।

  • अपने अनुभवों के बारे में अन्य लोगों से बात करें जो मेनोपॉस से गुजर रहे हैं।

  • यदि आप मेमोरी लॉस, चिंता, निराशा या किसी अन्य समस्या से परेशान हैं तो तुरन्त कारगर ट्रीटमेंट के लिये डॉक्टर/काउंसलर से मिले।

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