Farmers Protest: 25 दिसंबर को 6 राज्यों के किसानों के साथ बातचीत करेंगे – PM Modi

न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): तीन नए कृषि कानूनों का विरोध के चलते किसान आन्दोनल (Farmers Protest) के 28वें दिन भी केंद्र और किसानों के साथ गतिरोध ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा, इसी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को छह राज्यों के किसानों के साथ बातचीत करेंगे। इस अवसर पर, पीएम मोदी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi scheme) के तहत नौ करोड़ किसानों के बैंक खातों में डिजिटल रूप से कुल 18,000 करोड़ रुपये जमा करेंगे।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि, “किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न अन्य पहलों पर किसान अपने अनुभव साझा करेंगे।” इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित रहेंगे।

PM-KISAN योजना के तहत, 6,000 रुपये प्रति वर्ष छोटे और सीमांत किसानों को प्रदान किए जाते हैं, जो 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में देय होते हैं। फंड सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि MSP सिस्टम जारी रहेगा, और उनकी सरकार किसानों की किसी भी चिंता पर चर्चा करने के लिए तैयार थी। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में एक किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे तीनों कृषि कानूनों पर विपक्ष द्वारा तीन “बड़े झूठ” फलाये जा रहे है कि एमएसपी बंद हो जाएगा, मंडियां बंद हो जाएंगी, और नए सुधार केवल अनुबंध कृषि की रक्षा करेगा।

उन्होंने कहा, “हाल ही में सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों में अविश्वास का कोई कारण नहीं है, और झूठ के लिए कोई जगह नहीं है।”

इस बीच, कई किसानों ने किसान घाट पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) की जयंती को ‘किसान दिवस’ के रूप में चिह्नित किया, दूसरी और गाजीपुर की सीमा पर विरोध करने वालों ने एक “हवन” आयोजित किया। किसान यूनियनों ने लोगों से आग्रह किया कि वे चल रहे विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में ‘किसान दिवस’ पर भोजन छोड़ें।

अब तक, सरकार और किसान यूनियनों के बीच पाँच दौर की वार्ता के बाद कोई ऐसा रास्ता नहीं निकला है। मंगलवार को तोमर ने किसानों से आग्रह किया कि वार्ता के लिए तारीख तय करने के दो दिन बाद उनके मंत्रालय ने फार्म यूनियनों को और अधिक चर्चा के लिए आमंत्रित किया।

दूसरी ओर, सरकार नए कृषि कानूनों को वापिस न लेने के अपने रुख पर अड़ी हुई है और कहा है कि हम प्रदर्शनकारी किसानों के साथ गतिरोध को तोड़ने के लिए बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।

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