नंवबर महीने में एक बार फिर बढ़ेगी IAF की आसमानी ताकत

न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): मौजूदा हालातों में चीन से हो रहे सीमा संघर्ष के बीच भारतीय वायु सेना (IAF) की आक्रामक क्षमताओं को जल्द ही और बढ़त मिलने वाली है। भारतीय सेना के तरकश में नवंबर के पहले हफ्ते तक 3 से 4 राफेल फाइटर जेट और जुड़ जायेगें। जिससे देश की आसमानी ताकत में और भी ज़्यादा इज़ाफा हो जायेगा। इन्हें गोल्डन एरो स्कवॉड्रन (Golden Arrow Squadron) हरियाणा के अंबाला एयरबेस का हिस्सा बनाया जा सकता है। दसॉ से मिलने वाले लड़ाकू जेट विमान राफेल का ये दूसरा दस्ता होगा। बीती 28 जुलाई को राफेल का पहला दस्ता भारतीय वायु सेना का हिस्सा बना था। जिसे 10 सितम्बर को आधिकारिक तौर पर सेना में शामिल किया गया।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक फाइटर जेट्स राफेल के 3 से 4 विमानों वाला दूसरा दस्ता नवंबर के पहले हफ्ते तक भारत पहुंच जाएगा। जिसके लिए फ्रांस सरकार और दसॉ एविएशन (Government of France and Dassault Aviation) की तैयारियां जोरों पर चल रही है। इन जेट्स के हासिल होते ही देश की हवाई ताकत में 8 से 9 राफेल एक्टिव हो जायेगें। साथ ही इन्हें मौजूदा हालातों के मद्देनज़र कुछ ही दिनों में जंगी हालातों के लिए भी तैयार किया जा सकेगा। पहले दस्ते से हासिल हुए राफेल विमानों की तैनाती बेहद कम समय में की जा चुकी है। जो कि लद्दाख के अग्रिम मोर्चे (Front of Ladakh) पर अपनी काबिलियत दिखा रहे है।

सहायक वायुसेनाध्यक्ष (परियोजना) एयर वाइस मार्शल एन तिवारी की अगुवाई वाली टीम ने इस परियोजना की सालाना होने वाली नियमित बैठक में हिस्सा लेकर फ्रांस के साथ इसके खाके का ज़ायज लिया। फिलहाल कुछ भारतीय पायलट फ्रांस में राफेल की उड़ान से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे है। जिनका प्रशिक्षण सत्र मार्च 2021 तक पूरा हो जायेगा। उम्मीद है कि इस अवधि तक सभी पायलट जल्द ही राफेल मैन्युवरविलटी (Rafael maneuverability) से जुड़े सभी हुनर सीख जायेगें।

भारतीय वायुसेना फौरी तौर पर राफेल के दो स्क्वाड्रन तैनात करेगा। जिसके लिए हरियाणा में अंबाला एयरबेस और पश्चिम बंगाल में हाशिमारा एयरबेस (Hashimara Airbase in West Bengal) का चयन किया गया है। गौरतलब है कि साल 2016 के दौरान भारत सरकार ने फ्रांसीसी सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ ये सौदा तात्कालिक जरूरतों (Urgent need) को देखते हुए किया। उस वक्त भारतीय लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रनों में जंगी जहाजों की बेहद कमी सामने आ रही थी। साथ ही सैन्य जरूरतों को देखते हुए पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर इसकी जल्द आवश्यकता भी महसूस की गयी थी। जिसे पूरा करने के लिए 36 राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद केन्द्र सरकार द्वारा 7.8 बिलियन यूरो में की गयी। भारत को पहले दस्ते में पांच राफेल हासिल हुए थे। जिन्हें भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया, फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पैरी और भारतीय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का हिस्सा बनाया गया।

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