Gwalior District: पैदा हुई चार टांगों वाली बच्ची, इलाकों के लोगों ने बताया देवी का स्वरूप

न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले (Gwalior District) में एक महिला ने चार टांगों वाली एक बच्ची को जन्म दिया, जिससे इलाके में काफी हैरत का माहौल है, कुछ लोग नवजात बच्ची को देवी का साक्षात् स्वरूप बता रहे है। सिकंदर कम्पू मोहल्ले की आरती कुशवाहा (Aarti Kushwaha) ने कमला राजा अस्पताल के महिला एवं बाल रोग विभाग में बुधवार (14 दिसंबर 2022) को बच्ची को जन्म दिया। प्रसव कराने वाले डॉक्टरों ने बताया कि नवजात बच्ची पूरी तरह सेहतमंद है।

बच्ची का वजन 2.3 किग्रा है। जन्म के बाद डॉक्टरों की एक टीम ने जयारोग्य अस्पताल ग्रुप (Jayarogya Hospital Group) ग्वालियर के सुपरिटेंडेंट के साथ नवजात बच्ची की जांच की।

जयारोग्य अस्पताल ग्रुप के सुपरिटेंडेंट डॉ. आरकेएस धाकड़ (Superintendent Dr. RKS Dhakad) ने मीडिया को बताया कि, ‘जन्म के समय से ही बच्ची के चार पैर हैं, उसमें शारीरिक विकृति है। ये अतिरिक्त पैर शरीर दो जगह विकसित हुआ है। इस बच्ची के कमर के नीचे का हिस्सा दो अतिरिक्त पैरों के साथ विकसित हुआ है, लेकिन वो पैर पूरी तरह निष्क्रिय हैं।”

डॉ. आरकेएस धाकड़ ने आगे कहा कि- अभी बाल रोग विभाग (Department of Pediatrics) के डॉक्टर बच्ची जांच कर रहे हैं कि कहीं शरीर के किसी हिस्से में कोई अन्य विकृति तो नहीं है। जांच के बाद अगर वो स्वस्थ है तो सर्जरी के जरिये उन अतिरिक्त पैरों को हटा दिया जायेगा। ताकि वो सामान्य जीवन जी सके।

अधीक्षक ने आगे कहा कि, ”बच्ची को फिलहाल कमला राजा अस्पताल (Kamala Raja Hospital) के बाल रोग विभाग के विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया है। शिशु की स्वास्थ्य हालातों पर लगातार नजर रखी जा रही है। डॉक्टर उसके अतिरिक्त पैरों को सर्जरी कर निकालने की बात कह रहे हैं। फिलहाल बच्ची पूरी तरह सेहतमंद है।”

बता दे कि इससे पहले इसी साल मार्च में मध्य प्रदेश के रतलाम (Ratlam of Madhya Pradesh) में एक महिला ने दो सिर, तीन हाथ और दो पैरों वाले बच्चे को जन्म दिया था। तब बच्चे का इलाज करने वाले डॉ. ब्रजेश लाहोटी (Dr. Brajesh Lahoti) ने मीडिया को बताया था कि, “दंपति की ये पहली संतान है, इससे पहले सोनोग्राफी रिपोर्ट (Sonography Report) में पता चला था कि दो बच्चे हैं। ये अपने आप में दुर्लभ मामला है, ऐसे बच्चे ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रहते है। बच्चे का वजन लगभग 3 किलो है, उसकी दो रीढ़ की हड्डी और एक पेट है। ये बहुत ही जटिल स्थिति है। मेडिकल की भाषा में इसे डाइसेफेलिक पैरापैगस (Diecephalic Parapagus) कहा जाता है।”

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