Delhi Police के जवान आशीष दहिया ने कायम की मिसाल, 95 वीं बार किया रक्तदान

नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): महामारी के इस दौर में पुलिस (Police), आपदा प्रबंधन, गृह मंत्रालय, केन्द्र एवं राज्य सरकारें और सार्वजनिक अस्पतालों समेत कई एजेंसियां अपनी जान पर खेलकर संक्रमण पर लगाम कसने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इंफेक्शन पर रोकथाम लगाने की जद्दोजहद में कई कोरोना योद्धाओं ने अपनी जानें भी गवां दी। जिनमें सफाईकर्मी, सुरक्षा बल के जवान, पुलिसकर्मी, डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ (Paramedical staff) खासतौर से शामिल है। आज भी ये लोग अपने घर-परिवार के परवाह किये बगैर कोरोना के खिलाफ मुस्तैदी के साथ मोर्चे पर डटे हुए है।

दिल्ली पुलिस लगातार सुरक्षा-व्यवस्था संभालने के साथ कोरोना से भी जंग लड़ रही है। इसी फेहरिस्त में दिल्ली पुलिस का जवान आशीष दहिया फर्ज और इंसानियत की मिसाल बना हुआ है। आशीष बतौर कांस्टेबल दिल्ली पुलिस के पराक्रम कमांडो दस्ते (Parakaram commando squad) का हिस्सा हैं। जिनकी तैनाती उत्तर-पश्चिमी जिले में है। साथ ही वो नियमित रक्तदाता है। कोरोना काल में जहां आम लोग अस्पतालों में जाने से कतरा रहे है, उन हालातों को दरकिनार करते हुए जवान आशीष दहिया ने कैंसर मरीज को प्लेटलेट्स मुहैया करवाये। इस तरह उन्होनें 95 वीं बार रक्तदान कर एक और ज़िन्दगी की बचाने की कोशिश की।

गौरतलब है कि काठमांडू नेपाल निवासी समीरा सिंह कैंसर का इलाज करवाने के लिए रोहिणी के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में भर्ती है। समीरा सिंह ल्यूकेमिया (ब्लड़ कैंसर) से जूझ रही है। बीते 14 दिनों से लगातार उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। जिसकी वज़ह से उन्हें आईसीयू ने शिफ्ट किया गया। एकाएक समीरा की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने समीरा का प्लेटलेट्स ट्रांसप्लांट (Platelets transplant) करने के बात कहीं। आसपास कोई तीमारदार और नातेदार ना होने के कारण समीरा सिंह के पिता रमेश सिंह ने दिल्ली पुलिस को खत लिखकर मदद की गुहार लगायी। जैसे ही ये जानकारी दिल्ली पुलिस के पास पहुँची तो जवान आशीष दहिया स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए आगे आये।

फिलहाल समीरा सिंह की हालत स्थिर बतायी जा रही है। इलाज कर रहे डॉक्टर्स के मुताबिक आगे उन्हें और भी प्लेटलेट्स के दरकार होगी। दूसरी ओर जवान आशीष दहिया की जमकर तारीफ हो रही है। कोरोना संक्रमण के बीच रक्तदान के उनके जज़्बे को दिल्ली पुलिस का महकमा काफी सराहा रहा है। कर्तव्य के साथ मानवता को प्राथमिकता (Priority to humanity) देकर उन्होनें दूसरे साथी जवानों के लिए बेहतरीन मिसाल पेश की है।

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