कोर्ट ने मंजूर की जगदीश टाइटलर की जमानत याचिका, DSGMC ने किया रिहाई का विरोध

नई दिल्ली (श्री हर्षिणी सिंधू): राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने आज (5 अगस्त 2023) साल 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान पुल बंगश इलाके में हुई हत्याओं के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की जमानत याचिका मंजूर कर ली। राउज एवेन्यू कोर्ट की सत्र अदालत ने शुक्रवार को मामले में जगदीश टाइटलर को अग्रिम जमानत दे दी। जब अदालत में कार्यवाही चल रही थी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) के सदस्यों ने टाइटलर को जमानत देने के फैसले के खिलाफ अदालत के बाहर धरना दिया और उनके खिलाफ नारे लगाये।

प्रदर्शनकारी सदस्यों ने जगदीश टाइटलर को दी गयी जमानत रद्द करने और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की मांग की। विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा कारणों से कोर्ट का एन्ट्री गेट बंद किये जाने के बाद कोर्ट के बाहर खड़े डीएसजीएमसी के सदस्यों और दिल्ली पुलिस कर्मियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प भी हुई।

आज अदालती कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद (Additional Chief Metropolitan Magistrate Vidhi Gupta Anand) ने जगदीश टाइटलर का जमानत बांड मंजूर कर लिया, जिन्हें बीते शुक्रवार को एक लाख के जमानत बांड और इतनी ही रकम की जमानत पर अग्रिम जमानत दे दी गयी।

इस बीच अदालत ने सीबीआई को जगदीश टाइटलर को चार्जशीट देने का भी निर्देश दिया और मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट की जांच के लिये भी लिस्टिंग कि गयी। अब सुनवाई की अगली तारीख 11 अगस्त 2023 है।

जमानत पर बहस के दौरान लोक अभियोजक अमित जिंदल (Public Prosecutor Amit Jindal) के जरिये सीबीआई (CBI) ने जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया और कहा था कि गवाह बहुत हिम्म्त दिखाते हुए आगे आये हैं और उन्हें प्रभावित करने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

सीबीआई ने कहा कि नये गवाहों के बयान के मुताबिक प्रथम दृष्टया इस मामले में जगदीश टाइटलर की सीधी भूमिका दिखायी देती है। सीबीआई ने कहा कि मामले का फैसला मेरिट के आधार पर हुआ है, अब संदेह की बुनियाद पर राहत नहीं मांगी जा सकती।

पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का (Senior Advocate HS Phoolka) ने कहा कि- “ये देश का पहला ऐसा मामला है, जहां तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गयी और तीन बार कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। फुल्का ने कहा कि अदालत मामले में गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगी कि अधिकतम मौत की सजा दी जानी चाहिये या नहीं, ये मुकदमे का विषय है।”

एचएस फुल्का ने आगे कहा कि- “ये सिर्फ 3 सिखों की हत्या का मामला नहीं है, ये सिखों के नरसंहार (Sikh Massacre) से जुड़ा मामला है। दिल्ली में दिनदहाड़े 3000 लोगों की हत्या कर दी गयी। सिख महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या करने वालों को सम्मानित किया गया, इसलिये आज मणिपुर में क्या हो रहा है, ये हम सब देख रहे हैं। आजादी के वक्त बंटवारे के दौरान जो हत्याएं हुईं, वही पैटर्न सिख दंगों, गुजरात, मुजफ्फरनगर और अन्य जगहों पर भी देखा गया। मामले में न सिर्फ गवाहों बल्कि वकीलों को भी धमकी दी गयी थी।”

बहस के दौरान टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने कहा कि- “ये वारदात इंदिरा  गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के एक दिन बाद 1984 में हुई। जांच एजेंसी की ओर से घटना का सही समय कभी पता नहीं लगाया गया। ये हमारे देश के लिये दुखद घटना है, ये माफी के काबिल नहीं है। नानावती आयोग (Nanavati Commission) की रिपोर्ट के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की।”

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने दो बार और सीबीआई ने एक बार कहा कि टाइटलर के खिलाफ कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि, ”सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसके बाद लोकसभा चुनाव से 11 महीने पहले कुछ नये गवाहों के बयानों के आधार पर सीबीआई ने हमारे खिलाफ आरोप पत्र दायर किये।”

टाइटलर के वकील ने ये भी कहा कि सीबीआई ने मामले में कई बार क्लोजर रिपोर्ट दायर की और विरोध याचिका का भी विरोध किया। टाइटलर के वकील ने कहा कि सीबीआई ने 2007, 2014 में चार्जशीट दाखिल कर क्लीन चिट दे दी थी। टाइटलर के वकील ने कहा कि सीबीआई ने मई 2023 में आरोप पत्र दायर किया और उन्हें आरोपी बनाया।

टाइटलर के वकील ने कहा कि- ”इस मामले में चार दशक बाद गवाह सामने आये हैं…देखना होगा कि जांच एजेंसी ने पहले क्या किया। पूरी जांच के दौरान सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। क्या टाइटलर ने कभी जांच में सहयोग नहीं किया’ और क्या उसने कभी किसी गवाह को प्रभावित किया है।”

उनके वकील ने आगे कहा कि, “उनकी उम्र 79 वर्ष है और उन्हें कई हेल्थ प्रबॉलम्स हैं। उनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है और वो दो बार कोविड-19 से भी पीड़ित हो चुके हैं। उनकी दिमागी सेहत भी ठीक नहीं है।”

बता दे कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने साल 1984 में पुल बंगश (Pul Bangash) इलाके में हुई हत्याओं के मामले में मंगलवार को दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

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