कांग्रेस आलाकमान गहलोत को मुकर्रर करेगी सजा?, Rajasthan कांग्रेस में खींच रहा है हितों का टकराव

राजस्थान (Rajasthan) में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल आज (26 सितम्बर 2022) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के वफादार 82 विधायकों के साथ बढ़ गयी, जिन्होंने रविवार (25 सितम्बर 2022) रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया, कांग्रेस पर्यवेक्षकों के साथ बैठक करने पर इन विधायकों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी, अब पर्यवेक्षकों के दिल्ली वापस लौटने की संभावना है।

इस बीच राजस्थान में सामने आये संकट को लेकर पार्टी आलाकमान गहलोत से खासा खफा है। राजस्थान के लिये कांग्रेस प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) ने पार्टी के प्रस्ताव के लिये शर्तें तय करने के लिए गहलोत गुट विधायकों की हरकतों को “हितों का टकराव” करार दिया, और कहा कि समानांतर बैठक करने का उनका फैसला साफतौर पर अनुशासनहीनता है।

खबर है कि कांग्रेस पैनल ने पार्टी आलाकमान से गहलोत को पार्टी प्रमुख की दौड़ से बाहर करने की सिफारिश की है। कथित तौर पर गांधी परिवार (Gandhi Family) अशोक गहलोत द्वारा उनके गुट के विधायकों को मोबालाइज करने और कांग्रेस को “अपमानित” करने से नाराज हैं। गहलोत को 17 अक्टूबर को होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिये कल अपना नामांकन पत्र दाखिल करना है।

कांग्रेस नेतृत्व मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) को राजस्थान में राजनीतिक संकट को हल करने के लिये आगे कर सकती है। माकन जो कि मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के साथ नये सीएम चेहरे पर फैसला लेने के लिये सीएलपी की बैठक बुलाने के लिये जयपुर (Jaipur) में थे, ने मीडिया को बताया कि गहलोत खेमे के तीन सदस्यों ने उनसे कई प्रस्तावों के साथ मुलाकात की थी, जिन्हें टकराव से बचने के लिये ठुकराना पड़ा।

माकन ने कहा कि गहलोत गुट की अगुवाई करने वाले शांति धारीवाल, महेश जोशी और प्रताप खाचरियावास (Mahesh Joshi and Pratap Khachariawas) ने रविवार (25 सितम्बर 2022) रात तीन प्रस्तावों के साथ उनसे मुलाकात की और कहा कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) को नया मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहिये। उनके पहले प्रस्ताव में कहा गया था कि अगर आप प्रस्ताव पारित करना चाहते हैं तो कांग्रेस आलाकमान को आखिरी फैसला लेना चाहिए, फिर इसे 19 अक्टूबर (पार्टी राष्ट्रपति चुनाव के लिये वोटों की गिनती) के बाद पारित करना चाहिये।

माकन ने आगे कहा कि “हमने उनसे कहा कि इससे हितों का टकराव पैदा होता है, जैसे कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर चुने जाते हैं तो ये प्रस्ताव उन्हें 19 अक्टूबर के बाद और मजबूत करेगा और इससे बड़ा हितों का टकराव नहीं हो सकता है। दूसरा जब हमने उनसे कहा कि हम उनमें (गहलोत गुट के विधायक) से हरेक से व्यक्तिगत तौर पर से बात करना चाहते हैं तो उन्होंने अपने पूरे ग्रुप से बात करने पर जोर दिया। हमने उन्हें साफतौर पर बताया कि पार्टी में प्रत्येक नेता से प्रतिक्रिया लेना कांग्रेस की पुरानी रवायत रही है लेकिन वो अपनी बातों और मांगों पर कायम रहे। गहलोत गुट के तीनों विधायक इन बात पर कायम रहे कि हम गहलोत गुट के सभी विधायकों से एक साथ बात करें और बातचीत का ब्यौरा सबके सामने खुलेतौर पर रखे। तीसरा उन्होंने कहा कि सीएम को उन 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिये, जो बगावत के दौरान गहलोत गुट के वफादार थे, न कि पायलट के खेमे से।”

गहलोत खेमे के 82 विधायकों की आज बैठक होने की संभावना है ताकि आगे की कार्रवाई तय की जा सके। 200 विधानसभा सदस्यों वाले राजस्थान सदन में कांग्रेस के 108 विधायक हैं।

इस बीच कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) के आज दोपहर करीब 3 बजे पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिले। वेणुगोपाल को पार्टी नेताओं से चर्चा के बाद राहुल गांधी ने केरल से दिल्ली भेजा था। राहुल गांधी इस वक्त केरल (Kerala) में पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं।

एआईसीसी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान प्रभारी अजय माकन जिन्होंने रविवार को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक के लिये सभी विधायकों के आने का बेकार इंतजार किया था, वो गहलोत खेमे के वफादारों विधायकों को एक-एक करके उनसे मिलने के प्रयास में उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे थे ताकि मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर किया जा सके। पार्टी सूत्रों ने बताया कि हालांकि कई विधायक नवरात्रि त्यौहार के मद्देनज़र अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिये रवाना हो गये हैं।

ये पूछे जाने पर कि क्या विधायक सोमवार को पर्यवेक्षकों से मिलेंगे, लोढ़ा ने कहा कि जो भी संदेश देना है, बता दिया गया है। उन्होंने कहा कि 82 विधायकों ने अध्यक्ष को त्याग पत्र दिया है।

चूंकि गहलोत का समर्थन करने वाले 90 से ज्यादा कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम पद पर प्रमोट करने का फैसला नहीं लेने के लिये पार्टी आलाकमान को दरकिनार किये जाना बरकरार रखा है, ऐसे में माना जा रहा है कि स्पीकर सीपी जोशी (Speaker CP Joshi) और एक अन्य गहलोत वफादार विधायक एक दौड़ में उभरते दिखायी दे रहे है।

पार्टी नेतृत्व के लिये गहलोत और पायलट के बीच सत्ता संघर्ष को दूर करना मुश्किल है, ऐसे में सीएम पद के लिये सी पी जोशी के नाम पर एकमत राय बन सकती है, जो कि फिलहाल निर्विवादित विकल्प के रूप में उभर सकते हैं।

गहलोत जिन्हें कई लोग कांग्रेस पार्टी के शीर्ष अध्यक्ष पद के लिए अनिच्छुक उम्मीदवार के रूप में देखते थे, शुरू में अपना अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिये तैयार नहीं दिखे। बाद में ये कयास लगाया गया कि वो पायलट के बजाय जोशी या किसी और को मुख्यमंत्री के तौर पर देखते है, जिन्होंने उनके नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था।

गहलोत ने जैसलमेर (Jaisalmer) में मीडिया से कहा था कि विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिये सीएलपी की बैठक में एकमत प्रस्ताव पारित करेंगे। लेकिन विधायक फिलहाल इस स्क्रिप्ट से हटते नज़र आये।

जोशी ने कुछ गहलोत के वफादारों ने कहा था कि अगला सीएम कोई ऐसा होना चाहिये जिसने साल 2020 के दौरान सरकार बचाने में अहम भूमिका निभायी हो, न कि इसे गिराने में शामिल रहा हो। साफ है कि उनका इशारा सचिन पायलट की ओर ही था।

दूसरी ओर खाचरियावास ने मीडिया से कहा कि, “हम अध्यक्ष के आवास जा रहे हैं और अपना इस्तीफा सौंपेंगे।” एक अन्य कांग्रेसी नेता गोविंद राम मेघवाल (Govind Ram Meghwal) ने कहा कि गहलोत मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर गहलोत मुख्यमंत्री नहीं बने रहते हैं तो पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीतने में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार लोढ़ा ने कहा था कि, ‘अगर विधायकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला नहीं लिया गया तो सरकार खतरे में पड़ जायेगी।

फ्लैश बैक में देखा जाये तो साल 2018 दिसंबर में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद गहलोत और पायलट मुख्यमंत्री पद को लेकर आमने-सामने थे। इसके बाद आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना जबकि पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। जुलाई 2020 में पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी।

सह-संस्थापक संपादक : राम अजोर

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